भारत का रूस से तेल आयात 3 साल के निचले स्तर पर, 40 फीसदी तक गिरावट; अमेरिकी प्रतिबंधों का दिखा असर

दिसंबर में भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात तेज गिरावट के साथ तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. नवंबर में रिकॉर्ड खरीद के बाद अमेरिकी प्रतिबंधों का असर अब दिखने लगा है. रिलायंस इंडस्ट्रीज और न्यू मंगलोर रिफाइनरी जैसी बड़ी कंपनियों ने रूस से खरीद घटाई है.

दिसंबर में रूस से भारत का कच्चा तेल आयात घटा. Image Credit: FreePik

Russia crude oil: दिसंबर महीने में भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात बड़ी गिरावट के साथ दर्ज किया गया है. नवंबर में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद दिसंबर में आयात में तेज कमी आई है. अमेरिका के प्रतिबंध लागू होने से पहले रिफाइनरियों ने ज्यादा खरीद की थी. अब इसका असर दिसंबर के आंकड़ों में साफ दिख रहा है. डेटा के अनुसार रूस से आयात महीने दर महीने काफी घटा है. यह स्तर पिछले तीन साल में सबसे कम बताया जा रहा है. हालांकि जानकारों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है.

रूस से तेल आयात में तेज गिरावट

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर में रूस से भारत का कच्चा तेल आयात करीब 35 से 40 फीसदी घट सकता है. नवंबर में जहां आयात करीब 1.84 मिलियन बैरल प्रतिदिन था. वहीं दिसंबर में इसके घटकर करीब 1.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन रहने का अनुमान है. यह भारत के कुल तेल आयात का लगभग 25 फीसदी है. दिसंबर का यह स्तर दिसंबर 2022 के बाद सबसे कम माना जा रहा है.

पहले हुई ज्यादा खरीदारी

अमेरिका ने नवंबर के आखिर में रूस की बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे. रूस से भारत तक तेल पहुंचने में करीब 30 से 40 दिन लगते हैं. इसी कारण भारतीय रिफाइनरियों ने प्रतिबंध लागू होने से पहले ज्यादा कार्गो बुक किए थे. इसका फायदा नवंबर के आंकड़ों में दिखा. लेकिन दिसंबर में प्रतिबंधों का असर नजर आने लगा. इसे रूस से एनर्जी ट्रेड पर अमेरिका का अब तक का सबसे सख्त कदम माना जा रहा है.

बड़ी रिफाइनरियों ने घटाई रूस से खरीद

डेटा के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज और न्यू मंगलोर रिफाइनरी ने दिसंबर में रूस से कच्चे तेल की खरीद में कटौती की है. इन्हीं बड़ी कंपनियों की वजह से कुल आयात में तेज गिरावट आई है. जानकारों का कहना है कि यह बदलाव फिलहाल अस्थायी है. रिफाइनरियों ने अपने खरीद सोर्स में थोड़े समय के लिए बदलाव किया है. इससे कुल आयात पर असर पड़ा है.

जनवरी से फिर सुधर सकता है आयात

जानकारों का मानना है कि जनवरी से रूस से तेल आयात धीरे- धीरे फिर बढ़ सकता है. नए बिचौलिए और ट्रेडर्स सप्लाई चेन को दोबारा खड़ा कर रहे हैं. हालांकि सीधे खरीद में कमी आई है लेकिन भारत की मांग अब भी बनी हुई है. कीमतें और रिफाइनरी की जरूरतें रूस के तेल को आकर्षक बनाए रखती हैं. इसलिए लंबे समय में रूस का तेल भारत के लिए अहम बना रहेगा.

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बीच रास्ते में बदल रहा है तेल का रूट

रूस से भारत आने वाले कई तेल जहाज इस समय एशिया की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन उनका अंतिम डेस्टिनेशन तय नहीं है. ऐसे मामलों में अक्सर स्वेज नहर के रास्ते डेस्टिनेशन बदला जाता है. जानकारों का कहना है कि रूस का तेल अब सीधे की जगह बिचौलियों और वैकल्पिक रास्तों से भारत पहुंच रहा है. इसी वजह से असली आयात आंकड़े पूरी तस्वीर नहीं दिखाते. आने वाले महीनों में नए चैनलों के जरिए सप्लाई सामान्य हो सकती है.