भारत के ‘परशुराम’ को मिलेंगे बाहुबली दोस्त, तैयार हो रहा है 112 टैंकर का समुद्री बेड़ा, जानें क्या है प्लान
शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री को बूस्ट करने और विदेशी जहाजों पर निर्भरता कम करने के लिए भारत नए क्रूड ऑयल टैंकर खरीदेगा. 2040 तक 112 टैंकर खरीदने की प्लानिंग है, इसके लिए 850 अरब रुपये खर्च करने की योजना है. तो कितने फेज में होगी ये खरीदारी, कैसे भारत का दिखेगा दम, यहां चेक करें पूरी डिटेल.
India to boost shipping fleet: भारत ने तेल की सप्लाई में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए बड़ा दांव खेला है. सरकार 2040 तक 850 अरब रुपये ($10 बिलियन) खर्च करके 112 क्रूड ऑयल टैंकर खरीदने की तैयारी में है. इसके जरिए भारत अपनी खुद की शिपिंग फ्लीट बढ़ाएगा, जिससे तेल की सप्लाई के लिए किसी और के भरोसे न रहना पड़े. इससे देश की शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री को बूस्ट मिलेगा और विदेशी जहाजों पर निर्भरता कम होगी.
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल इंपोर्टर है, ऐसे में सरकार देश की शिपिंग फ्लीट का विस्तार करना चाहती है. देश की रिफाइनिंग क्षमता अभी 250 मिलियन टन है, जो दशक के अंत तक 450 मिलियन टन तक पहुंचने वाली है. घरेलू और विदेशी मांग को देखते हुए ये बढ़ोतरी जरूरी है. लेकिन इतने तेल को लाने-ले जाने के लिए अपने जहाजों का होना भी उतना ही जरूरी है, क्योंकि भारत अपनी ज्यादातर क्रूड ऑयल जरूरतों के लिए इंपोर्ट पर निर्भर है. इसी को ध्यान में रखते हुए बड़े पैमाने पर क्रूड ऑयल टैंकर खरीदने का प्लान तैयार किया गया है.
पहले फेज में खरीदे जाएंगे 79 जहाज
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक पहले चरण में 79 जहाज खरीदे जाएंगे, जिनमें 30 मीडियम-रेंज टैंकर होंगे. खास बात ये है कि इस महीने ही 10 टैंकरों का ऑर्डर दिया सकता है. साथ ही सिर्फ वही जहाज खरीदे जाएंगे जो भारत में बनाए गए हों और भले ही इसमें विदेशी कंपनियों का सहयोग हो.
मेड इन इंडिया को बढ़ावा देने की कोशिश
रिपोर्ट के मुताबिक अभी भारत के तेल टैंकर फ्लीट में सिर्फ 5% जहाज लोकल बने हुए हैं, लेकिन 2030 तक इसे 7% और 2047 तक 69% करने का लक्ष्य है. यानी जब भारत विकसित राष्ट्र बनने का सपना पूरा करेगा, तब उसके ज्यादातर टैंकर ‘मेड इन इंडिया’ होंगे. इसके लिए सरकार ने इस साल 250 अरब रुपये का फंड भी बनाया है.
अभी छोटी है भारत की शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री
भारत की शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री अभी शुरुआती दौर में है और इसे बड़ा करने के लिए डिमांड चाहिए. जानकारों का कहना है कि जब ग्लोबल शिपबिल्डिंग कंपनियां भारत में आएंगी और दुनिया के लिए जहाज बनाएंगी, तब स्केल बढ़ेगा. अभी भारत का सबसे बड़ा तेल टैंकर MT महर्षि परशुराम है, जो 238 मीटर लंबा है और 93,332 मेट्रिक टन का डेडवेट ले सकता है. लेकिन चीन के सुपरटैंकर ओशिनिया (380 मीटर, 441,584 मेट्रिक टन) के सामने ये छोटा है.
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जापान-कोरिया को लुभाने की कोशिश
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत जापान और साउथ कोरिया की शिपबिल्डिंग कंपनियों को भारत में बुलाने की कोशिश में है. इसके लिए साउथ कोरिया की HD ह्युंडई हेवी इंडस्ट्रीज कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड के साथ कोच्चि में नया प्लांट लगाने की बात की जा रही है. वहीं सैमसंग हेवी इंडस्ट्रीज और जापान की NYK लाइन से भी बातचीत जारी है. भारतीय सरकार विदेशी कंपनियों को लुभाने के लिए इंसेंटिव्स दे रही है.