OYO को 1,140 करोड़ के टैक्स मामले में राहत, दिल्ली हाईकोर्ट ने वसूली पर लगाई रोक

ओयो होटल्स एंड होम्स को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दरअसल कोर्ट ने इनकम डिपार्टमेंट की ओर से कंपनी से मांगे गए 1140 करोड़ रुपये के एंजेल टैक्स पर रोक लगा दी है. ऐसे में चलिए जानते हैं डिपार्टमेंट ने एंजेल टैक्स क्यों लगाया साथ ही क्या है पूरा मामला.

ओयो Image Credit: tv9 bharatvarsh

OYO Tax Case: रितेश अग्रवाल की कंपनी OYO Hotels & Homes को बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने आयकर विभाग द्वारा मांगे गए 1,140 करोड़ रुपये के एंजेल टैक्स की वसूली पर फिलहाल रोक लगा दी है. ये फैसला 2021-22 के असेसमेंट ईयर से जुड़ा है, जिसमें OYO पर गैरजरूरी और भारी टैक्स डिमांड का आरोप लगा था. कोर्ट में जस्टिस विभु बखरू और तेजस कारिया की बेंच ने इस पर सुनवाई की और वसूली पर रोक लगा दी है.

क्या है मामला?

यह टैक्स डिमांड इनकम टैक्स एक्ट की धारा 56(2)(viib) के तहत लगाई गई थी, जिसे आमतौर पर ‘एंजेल टैक्स’ कहा जाता है. OYO ने अपनी होल्डिंग कंपनी Oravel Stays को कंपल्सरी कनवर्टिबल प्रेफरेंस शेयर्स (CCPS) जारी किए थे. आयकर विभाग ने इस निवेश को कंपनी की इनकम मानते हुए टैक्स डिमांड बनाई थी. हालांकि, OYO का तर्क था कि यह फंड निवेश के तौर पर दिया गया था, न कि कमाई के रूप में. इसलिए इसे टैक्स के दायरे में नहीं लाया जा सकता.

कैसे लगता है यह टैक्स ?

बता दें एंजेल टैक्स उन निवेशों पर लगाया जाता है, जो शेयरों की फेयर मार्केट वैल्यू से ज्यादा होते हैं. चलिए उदाहरण के जरिए समझते हैं, अगर किसी कंपनी के शयरों की फेयर मार्केट वैल्यू 100 करोड़ है और उसमें 150 करोड़ का इन्वेस्टमेंट आता है, तो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 56(2)(viib) के तहत कंपनी से 50 करोड़ के अतिरिक्त निवेश पर करीब 30.9 फीसदी टैक्स मांगा जा सकता है. इस एक्स्ट्रा निवेश राशि को दूसरे सोर्स से इनकम माना जाता है और उसी के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है.

कोर्ट ने क्यों दी राहत?

OYO ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करते हुए बताया कि आयकर विभाग इस टैक्स की वसूली पर पहले से लगाई गई रोक को आगे नहीं बढ़ा रहा है. इससे कंपनी पर भारी दबाव बन रहा था. कंपनी की तरफ से बताया गया है कि दिसंबर 2022 की असेसमेंट रिपोर्ट में उसकी आय करीब 3,142 करोड़ रुपये आंकी गई थी, जबकि कंपनी ने 859 करोड़ रुपये के घाटे की रिपोर्ट दी थी. विभाग ने 4,001 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जोड़कर यह भारी टैक्स डिमांड बना दी थी.

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वहीं OYO की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अजय वोहरा और मनुज सभरवाल ने दलील दी कि पहले यह टैक्स डिमांड फरवरी 2023 में ही रोक दी गई थी और इसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा. लेकिन अब अचानक इसे रोके जाने से इनकार कर देना न्यायसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) की 1969 की गाइडलाइन के मुताबिक, अगर असेसमेंट बहुत ज्यादा और अव्यवहारिक हो, तो वसूली से बचाया जाना चाहिए. OYO का केस भी ऐसा ही है.