ITR फाइल करते समय न भूलें ये इनकम, बचत खाते का ब्याज, गिफ्ट, बच्चों की कमाई भी हो सकती है टैक्सेबल
आईटीआर फाइल करते समय सभी इनकम को सही ढंग से शामिल करना जरूरी है, चाहे वह दिख रही हो या नहीं. AIS रिपोर्ट से मिलान कर और सभी बैंक, निवेश व अन्य दस्तावेजों की जानकारी अपने सीए को जरूर दें, ताकि आप टैक्स नियमों का पूरा पालन कर सकें और किसी नोटिस से बच सकें.

Income Tax Return: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय अक्सर लोग कुछ जरूरी इनकम को नजरअंदाज कर देते हैं, जो बाद में टैक्स नोटिस या जुर्माने का कारण बन सकती है. यह गलती अक्सर जानकारी की कमी या लापरवाही की वजह से होती है. चाहे आप सैलरीड हो या कारोबारी, आपको कुछ अहम आमदनियों को हमेशा रिटर्न में शामिल करना चाहिए.
FD का ब्याज भी करें शामिल
अक्सर लोग सोचते हैं कि बचत खाते का ब्याज टैक्स से छूट है और FD पर पहले ही TDS कट गया है, इसलिए इसे दोबारा दिखाने की जरूरत नहीं. लेकिन यह गलत है. बचत खाते का ब्याज पहले इनकम में जोड़ना होता है, फिर सेक्शन 80TTA या 80TTB के तहत छूट का दावा किया जा सकता है. नए टैक्स सिस्टम में यह छूट नहीं मिलती. FD का ब्याज भी टैक्स स्लैब के अनुसार जोड़ना जरूरी है, क्योंकि TDS सिर्फ 10 फीसदी कटता है जबकि आपका टैक्स स्लैब ज्यादा या कम हो सकता है.
म्यूचुअल फंड स्कीम में स्विचिंग से हुई कैपिटल गेन
अगर आपने एक म्यूचुअल फंड स्कीम से दूसरी स्कीम में स्विच किया है, तो यह ट्रांसफर माने जाएगा. यह बदलाव बैंक खाते में नहीं दिखता, इसलिए कई बार छूट जाता है. इससे हुई कमाई पर लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. इक्विटी और डेट फंड का टैक्स नियम भी अलग होता है. इसलिए AIS रिपोर्ट से मिलान कर इसकी जानकारी सही से दें.
नाबालिग बच्चों की आमदनी को करें क्लब
अगर आपके नाबालिग बच्चों को कोई ब्याज, डिविडेंड जैसी इनएक्टिव आमदनी होती है, तो उसे माता-पिता की इनकम में जोड़ना होता है. हर बच्चे की सालाना 1500 रुपये तक की इनकम पर छूट मिलती है, उससे ज्यादा की राशि आपको अपने इनकम में क्लब करनी होती है. बच्चे की मेहनत से हुई कमाई पर यह नियम लागू नहीं होता.
बिजनेस से मिले गिफ्ट और फायदे
अगर आप व्यापार करते हैं और किसी बिजनेस डीलर या सप्लायर से आपको कोई महंगा गिफ्ट या विदेश यात्रा जैसी सुविधा मिली है, तो इसे भी इनकम में जोड़ना जरूरी है. ये भले ही अकाउंट बुक में न दिखें, लेकिन टैक्स के हिसाब से यह आपकी कमाई मानी जाती है. इसलिए इसे छिपाना भारी पड़ सकता है.
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NSC पर भी ध्यान दें
एनएससी (NSC) पर हर साल अर्जित ब्याज को भी इनकम में दिखाना जरूरी है. यही बात लंबे समय के FD पर भी लागू होती है, चाहे उसे ऑटोमैटिकली रिन्यू किया गया हो. अगर आप ब्याज को अर्जित आधार पर टैक्स में दिखाते हैं तो हर साल का ब्याज जोड़ें, नहीं तो मैच्योरिटी पर कुल राशि इनकम में मानी जाएगी.
इस लेख के लेखक बलवंत जैन टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं.
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