क्रिप्टो से पैसा कमाने वालों के लिए बड़ी खबर, अब इन तरीकों से भरना होगा ITR, जारी हुई एक्सेल यूटिलिटी

इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए ITR-2 और ITR-3 की एक्सेल यूटिलिटी जारी कर दी है. अब कैपिटल गेन, क्रिप्टो इनकम और अन्य इनकम वाले टैक्सपेयर्स भी अपना ITR भर सकते हैं. ITR-2 और ITR-3 फॉर्म में प्रॉपटी, कैपिटल गेन और टीडीएस से जुड़ी रिपोर्टिंग आसान की गई है.

TR-2 और ITR-3 की एक्सेल यूटिलिटी जारी कर दी गई है.

ITR-2 and ITR-3: इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए ITR-2 और ITR-3 की एक्सेल यूटिलिटी जारी कर दी है. अब जिन लोगों की इनकम कैपिटल गेन, क्रिप्टो या अन्य सोर्स से होती है, वे अपनी ITR फाइल कर सकते हैं. एक्सेल यूटिलिटी के जरिए टैक्स फाइलिंग की सुविधा शुरू हो गई है, लेकिन ऑनलाइन पोर्टल से फाइलिंग की सुविधा अभी शुरू नहीं हुई है. इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट ने 11 जुलाई को एक्स पर शेयर की है.

किन्हें भरना चाहिए ITR-2 और ITR-3

ITR-2 उन व्यक्तियों और HUF के लिए है जिनकी इनकम बिजनेस या प्रोफेशन से नहीं है. वहीं, ITR-3 उन लोगों के लिए है जिनकी इनकम प्रोफेशनल सर्विस या बिजनेस से होती है. दोनों फॉर्म में ऐसे व्यक्ति भी शामिल होते हैं जिनकी इनकम में किसी अन्य का इनकम जैसे पत्नी या नाबालिग बच्चे की इनकम शामिल हो.

क्या है एक्सेल यूटिलिटी

एक्सेल यूटिलिटी को इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट के ई-फाइलिंग पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है. इसे डाउनलोड करने के बाद जिप फाइल को एक्सट्रैक्ट करें और एक्सेल फॉर्म में मांगी गई जानकारियां भरें. सारी जानकारी भरने के बाद ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाकर लॉग इन करें और तैयार फॉर्म को अपलोड करें. फाइल सबमिट करने के 30 दिनों के अंदर वेरिफिकेशन भी जरूरी है.

क्या हुए हैं अहम बदलाव

ITR-2 और ITR-3 दोनों में ही कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं. अब कैपिटल गेन की रिपोर्टिंग में यह बताना जरूरी होगा कि वह लाभ 23 जुलाई 2024 से पहले हुआ या बाद में. 1 अक्टूबर 2024 के बाद अगर शेयर बायबैक से नुकसान हुआ है और फायदे को अन्य सोर्स में दिखाया गया है तो उसका लाभ टैक्सपेयर को मिल सकता है. इसी तरह कैपिटल गेन के लिए प्रॉपटी और लायबिलिटी की रिपोर्टिंग की लिमिट अब 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ कर दी गई है.

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निवेश जानकारी देना अब और आसान

बदलावों के तहत अब 50 लाख से 1 करोड़ रुपये की इनकम वालों को प्रॉपटी और लायबिलिटी की जानकारी देना जरूरी नहीं है. इससे फाइलिंग प्रक्रिया आसान होगी और गलतियों की संभावना भी कम रहेगी. साथ ही अब प्रत्येक टीडीएस कटौती की जानकारी के साथ उसका सेक्शन कोड भी भरना होगा, जिससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी.