वित्तीय योजना बनाना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है समय-समय पर उसकी समीक्षा करना. बदलती जरूरतें, आय और बाजार की स्थिति कई संकेत देती हैं, जिन पर ध्यान देना भविष्य की आर्थिक स्थिरता के लिए अहम हो सकता है.
सरकार का यह खास बॉन्ड निवेशकों को सुरक्षित ब्याज का विकल्प देता है, लेकिन इसमें कई ऐसी शर्तें हैं जो आम निवेशकों को चौंका सकती हैं. कौन निवेश कर सकता है, कब ब्याज मिलेगा, टैक्स कैसे लगेगा और जल्दी पैसे निकालने पर क्या होगा. यह सब जानना जरूरी है वरना नुकसान हो सकता है.
शादी, तलाक और परिवार से जुड़ी आर्थिक जिम्मेदारियां सिर्फ भावनाओं तक सीमित नहीं होतीं, इनका सीधा असर आपकी टैक्स गणना पर भी पड़ता है. कई बार लोग अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिनकी कीमत उन्हें भारी टैक्स, ब्याज और पेनल्टी के रूप में चुकानी पड़ती है. पूरी जानकारी आगे.
डेट फंड में निवेश को अक्सर सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसमें ब्याज दर जोखिम, क्रेडिट जोखिम और कॉन्सन्ट्रेशन जोखिम जैसे बड़े खतरे छिपे होते हैं. सही फंड चुनने, पोर्टफोलियो की निगरानी, रेटिंग देखने और ऊंचे रिटर्न के पीछे न भागने जैसी सावधानियां निवेशक को बड़े नुकसान से बचा सकती हैं.
भारत घूमना अब सिर्फ खुशी ही नहीं, बचत का मौका भी है. सरकार वेतनभोगी लोगों को ट्रैवेल खर्च पर Leave Travel Allowance यानी LTA के रूप में बंपर टैक्स छूट देती है. यह लाभ सिर्फ असली यात्रा खर्च पर मिलता है और सही नियम समझकर आप हर ब्लॉक में दो बार तक बड़ा टैक्स बचा सकते हैं. जानिए, किन यात्राओं पर छूट मिलती है, कितनी राशि तक दावा किया जा सकता है और LTA क्लेम करने के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत होती है.
रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने पर मिलने वाली ग्रेच्युटी हर कर्मचारी के लिए एक बड़ी राहत होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पर टैक्स कैसे लगता है और कितनी रकम तक छूट मिल सकती है? जानिए ग्रेच्युटी से जुड़ी वो बातें जो हर सैलरीड व्यक्ति को समझनी चाहिए.
घर खरीदते वक्त अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि तैयार घर लें या अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी? दोनों विकल्पों के अपने फायदे और नुकसान हैं. तैयार घर जहां तुरंत रहने की सुविधा और मानसिक शांति देता है, वहीं अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी अक्सर सस्ती पड़ती है लेकिन उसमें देरी या डिफॉल्ट का खतरा बना रहता है. ऐसे में अपने बजट और जरूरतों को देखते हुए सोच-समझकर फैसला लेना ही समझदारी है.
हिंदू उत्तराधिकार कानून में एक ऐसा बदलाव हुआ जिसने बेटियों की कानूनी स्थिति को पूरी तरह बदल दिया. अब सिर्फ बेटे ही नहीं, बेटियां भी पैतृक संपत्ति की समान हिस्सेदार हैं. लेकिन क्या शादी के बाद भी ये हक बरकरार रहता है? जानिए कानून की असली व्याख्या.
क्या आप जानते हैं कि HUF सिर्फ टैक्स बचाने का तरीका नहीं, बल्कि एक कानूनी पारिवारिक संस्था है? इसमें कौन सदस्य बन सकता है, कौन karta बनता है और बेटियों के अधिकार क्या हैं, इन सवालों के जवाब आपके सोचने का नजरिया बदल सकते हैं.
HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) और इसकी संपत्ति दो अलग अवधारणाएं हैं. HUF संपत्ति अर्जित करने, उत्तराधिकार में हस्तांतरण और विभाजन के नियमों के तहत काम करती है. Karta गैर-सदस्यों और सदस्यों से गिफ्ट प्राप्त कर सकते हैं, सह-वारिस अपनी हिस्सेदारी वसीयत के माध्यम से छोड़ सकते हैं, और विभाजन के लिए आयकर विभाग में पूर्ण रिकॉर्डिंग आवश्यक है.