अगर आप सोच रहे हैं कि परिवार के पैसों को सुरक्षित रखते हुए टैक्स कैसे बचाया जाए, तो HUF आपके लिए बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है. घर, निवेश, बीमा और स्वास्थ्य खर्च, HUF में छिपे हैं कई तरीके, जिससे ज्यादातर लोग अभी तक अनजान हैं.
भारत में टैक्स बचाने और पारिवारिक संपत्ति को एकजुट रखने का एक अनोखा तरीका है HUF. लेकिन क्या हर कोई इसे बना सकता है? इसके सदस्य कौन होते हैं और यह कब अस्तित्व में आता है? इस लेख में जानिए HUF से जुड़ी जरूरी कानूनी बातें और टैक्स लाभ.
जानिए होम लोन की प्रीपेमेंट करना कब फायदेमंद है और कब अपने पैसे को दूसरे निवेशों में लगाना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. टैक्स बेनिफिट, प्रीपेमेंट चार्ज, भविष्य की जरूरतें और निवेश रिटर्न का पूरा विश्लेषण समझने के लिए पढ़ें ये कॉपी. आसान भाषा में.
शेयरों से मुनाफा कमाने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि इस कमाई पर टैक्स कैसे लगेगा. कई बार यह कैपिटल गेन माना जाता है तो कई बार बिजनेस इनकम. टैक्स विभाग ने इस पर स्पष्ट गाइडलाइन जारी की है, लेकिन असल फर्क कैसे तय होता है, यही असली राज है.
निवेशकों को अक्सर लगता है कि डेट म्यूचुअल फंड्स सुरक्षित विकल्प हैं, लेकिन हकीकत इससे अलग है. इन फंड्स में भी ऐसे छिपे खतरे हैं, जो आपकी पूरी कमाई पर पानी फेर सकते हैं. निवेश करने से पहले कुछ खास पहलुओं को समझना बेहद जरूरी है, वरना नुकसान तय है.
भारत में शादियों पर गिफ्ट्स देना-लेना परंपरा है. लेकिन टैक्स कानून के मुताबिक सभी तोहफे टैक्स-फ्री नहीं होते. केवल दूल्हा-दुल्हन को मिले गिफ्ट्स पर छूट है, जबकि अन्य रिश्तेदारों को मिले गिफ्ट्स पर टैक्स नियम लागू होते हैं. जानिए शादी के गिफ्ट्स पर टैक्स से जुड़े नियम, क्लबिंग प्रावधान और जरूरी सावधानियां.
निवेश की दुनिया में एक ऐसा विकल्प मौजूद है जो न सिर्फ इक्विटी और डेट का सही संतुलन देता है, बल्कि टैक्स बचत और बेहतर आफ्टर-टैक्स रिटर्न भी सुनिश्चित करता है. खासकर उन लोगों के लिए जो पहली बार निवेश कर रहे हैं या फिर रिटायरमेंट की स्थिर आय चाहते हैं.
रिटायरमेंट के बाद अक्सर आय का स्थायी स्रोत खत्म हो जाता है और खर्चे बढ़ जाते हैं. ऐसे समय में समझदारी से किया गया निवेश जीवन को सुरक्षित बना सकता है. सवाल यह है कि रिटायरमेंट पर मिली रकम को कहां लगाया जाए ताकि हर महीने नियमित आय मिलती रहे?
ITR फाइल करना अब पहले से आसान हो गया है, लेकिन इसके साथ एक अहम कदम ऐसा है जिसे नजरअंदाज करना आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है. आयकर विभाग ने इसके लिए साफ नियम बनाए हैं. जानिए कैसे समय रहते इस प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है.
ITR दाखिल करने के लिए अलग-अलग ITR फॉर्म होते हैं, जो आपकी इनकम के स्रोत और टैक्सपेयर्स की कैटेगरी पर निर्भर करते हैं. ITR-1 सिर्फ वेतनभोगियों और एक घर की इनकम वालों के लिए है, जबकि ITR-2 में कैपिटल गेन्स और एक से अधिक घर की इनकम शामिल होती है.