RBI Floating Rate Bonds की पूरी डिटेल: ब्याज, टैक्स, नियम और फायदे , सब एक जगह
सरकार का यह खास बॉन्ड निवेशकों को सुरक्षित ब्याज का विकल्प देता है, लेकिन इसमें कई ऐसी शर्तें हैं जो आम निवेशकों को चौंका सकती हैं. कौन निवेश कर सकता है, कब ब्याज मिलेगा, टैक्स कैसे लगेगा और जल्दी पैसे निकालने पर क्या होगा. यह सब जानना जरूरी है वरना नुकसान हो सकता है.
रिटेल निवेशकों को सुरक्षित ऋण निवेश का विकल्प देने के लिए सरकार ने RBI फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड पेश किए. इन बॉन्ड्स पर ब्याज दर सरकार द्वारा चलाई जा रही बचत योजनाओं की ब्याज दर से जुड़ी होती है. ये बॉन्ड साल 2020 में शुरू किए गए थे ताकि 7.75% सेविंग्स (टैक्सेबल) बॉन्ड की जगह ले सकें.
कौन इन बॉन्ड्स को खरीद सकता है और नामांकन सुविधा
ये बॉन्ड केवल व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के लिए उपलब्ध हैं. यानी ट्रस्ट, कंपनियां, पार्टनरशिप फर्म जैसे संस्थान इन बॉन्ड्स में निवेश नहीं कर सकते. सभी व्यक्ति भी इन बॉन्ड्स के लिए आवेदन नहीं कर सकते. केवल वे व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं जो विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के अनुसार भारत के निवासी हैं. इसलिए NRI और भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) इन बॉन्ड्स में निवेश नहीं कर सकते. यहां तक कि वे भारतीय नागरिक जो विदेश में नौकरी कर रहे हैं या बिजनेस चला रहे हैं, वे भी आवेदन नहीं कर सकते.
हालांकि, अगर कोई व्यक्ति बॉन्ड खरीदने के बाद FEMA के अनुसार गैर-निवासी बन जाए, तो भी वह बॉन्ड रख सकता है और उसे बेचने की जरूरत नहीं होती. आप बच्चे के नाम पर भी अभिभावक के रूप में इन बॉन्ड्स के लिए आवेदन कर सकते हैं. ये बॉन्ड व्यक्तिगत रूप से या किसी अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से लिए जा सकते हैं. ज्वाइंट बॉन्ड्स संयुक्त नाम से या ‘इधर या उत्तरजीवी’ (either or survivor) आधार पर भी लिए जा सकते हैं.
व्यक्ति निवेशक अपने बॉन्ड के लिए किसी भी व्यक्ति को मृत्यु के बाद राशि प्राप्त करने हेतु नामित कर सकता है. आप एक से अधिक व्यक्तियों को नामांकित कर सकते हैं. एक बार किया गया नामांकन कभी भी बदला या रद्द किया जा सकता है. अलग-अलग निवेशों पर अलग नामांकन भी किया जा सकता है. हालांकि, यदि बॉन्ड नाबालिग के नाम हो या HUF के नाम हो, तो ऐसे मामलों में नामांकन की अनुमति नहीं होती.
बॉन्ड का फेस वैल्यू, अवधि और ब्याज दर
RBI फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड का फेस वैल्यू 1000 रुपए है और इन्हें इसके गुणकों में खरीदा जा सकता है. बॉन्ड की अवधि 7 वर्ष है, जिसके बाद इन्हें रिडीम किया जाता है. आप कितने भी बॉन्ड खरीद सकते हैं, कोई ऊपरी सीमा नहीं है. इन बॉन्ड्स पर ब्याज हर 6 महीने में भुगतान किया जाता है. पहला ब्याज भुगतान बॉन्ड जारी होने के बाद आने वाली पहली 1 जनवरी को किया जाता है.
इन बॉन्ड्स में ब्याज का संचयी (cumulative) विकल्प नहीं है, यानी ब्याज हर बार खाते में ही मिलेगा. पहले वाले 7.75% स्थिर ब्याज वाले बॉन्ड्स की तरह इसमें फिक्स ब्याज नहीं होता बल्कि ब्याज दर बदलती रहती है. ब्याज दर का पुनः निर्धारण हर 6 महीने में होता है और यह राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC) की ब्याज दर से जुड़ी रहती है.
NSC की ब्याज दर पर 0.35% अतिरिक्त ब्याज दिया जाता है. अभी NSC पर 7.70% ब्याज है, इसलिए इस प्रीमियम के साथ फ्लोटिंग बॉन्ड्स पर कुल ब्याज 8.05% हो जाता है.
टैक्स व्यवस्था और ब्याज पर TDS
इन बॉन्ड्स पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्सएबल है और आपको इस पर कोई टैक्स लाभ नहीं मिलता. अगर आपने इन बॉन्ड्स में निवेश के लिए कोई राशि उधार ली है, तो उस उधार पर चुकाए गए ब्याज को आप खर्च के रूप में घटा सकते हैं.
ब्याज भुगतान पर TDS काटा जाएगा. लेकिन अगर आपके पास टैक्स विभाग से nil TDS या कम TDS दर वाला प्रमाणपत्र है, तो आप बैंक को उसकी कॉपी देकर बिना TDS या कम TDS के साथ ब्याज पा सकते हैं. मेरी राय में, यदि आप पात्रता शर्तें पूरी करते हैं, तो फॉर्म 15G या 15H भी जमा कर सकते हैं.
इन बॉन्ड्स को कैसे खरीदा जाए
SBI और 11 अन्य पब्लिक सेक्टर बैंकों के अलावा, RBI ने ICICI, HDFC, Axis और IDBI बैंक को भी आवेदन स्वीकार करने की अनुमति दी है. आप इन बॉन्ड्स के लिए आवेदन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से कर सकते हैं. हर बैंक ने इन बॉन्ड्स के लिए कुछ शाखाएं तय की हुई हैं. इन बॉन्ड्स के लिए आवेदन पूरे वर्ष किया जा सकता है, इसकी कोई अंतिम तिथि नहीं होती.
आप 20,000 रुपए तक नकद भुगतान कर सकते हैं. इससे अधिक राशि के लिए चेक/ड्राफ्ट या इलेक्ट्रॉनिक भुगतान करना होगा. बॉन्ड तभी जारी किए जाते हैं जब बैंक राशि ले लेता है. चूंकि ब्याज और मैच्योरिटी राशि सीधे आपके बैंक खाते में जमा होती है, इसलिए आवेदन फॉर्म में बैंक खाता विवरण देना अनिवार्य है.
बॉन्ड का ट्रांसफर और समय से पहले भुगतान
ये बॉन्ड ट्रांसफर नहीं किए जा सकते और ना ही इन्हें बाजार में खरीदा-बेचा जा सकता है. ट्रांसफर केवल धारक/संयुक्त धारक की मृत्यु होने पर नामांकित व्यक्ति को ही होता है. चूंकि ट्रांसफर की अनुमति नहीं है, इसलिए आप इन बॉन्ड्स को गिरवी रखकर किसी तरह की ऋण सुविधा भी नहीं ले सकते.
आमतौर पर बॉन्ड की पूर्व-परिपक्वता (premature redemption) की अनुमति नहीं होती, लेकिन अगर निवेशक की उम्र 60 वर्ष से अधिक हो, तो यहां अपवाद माना जा सकता है. 60 से 70 वर्ष की उम्र वाले निवेशक सातवें वर्ष में समयपूर्व भुगतान ले सकते हैं. 70 से 80 वर्ष की उम्र वाले निवेशक पांच साल पूरे होने के बाद भुगतान ले सकते हैं. 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्ति बॉन्ड चार साल पूरा होने के बाद रिडीम करा सकते हैं.
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समयपूर्व भुगतान ब्याज भुगतान की अगली नियत तारीख यानी 1 जनवरी या 1 जुलाई को ही किया जाएगा. इसमें आधे साल के अंतिम ब्याज का 50 फीसदी भुगतान से काट लिया जाता है, जो पेनल्टी के रूप में होता है. अगर बॉन्ड ज्वाइंट नाम पर है, तो उम्र की शर्त संयुक्त धारकों में से किसी एक के पूरी होने पर समयपूर्व भुगतान लिया जा सकता है. लेकिन HUF के नाम पर किए गए निवेश में समयपूर्व भुगतान की सुविधा नहीं मिलती.
लेखक एक टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं. आप उन्हें jainbalwant@gmail.com पर या ट्विटर हैंडल @jainbalwant पर संपर्क कर सकते हैं.
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