अमेरिका से टैरिफ तनाव के बीच होने वाली है ये बड़ी डील, 1 बिलियन डॉलर है कीमत; तेजस के लिए मिलेंगे 113 इंजन

भारत और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के बीच 1 बिलियन डॉलर की डील सितंबर तक साइन हो सकती है. इस करार के तहत 113 अतिरिक्त GE-404 इंजन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को मिलेंगे ताकि तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमानों का प्रोडक्ट्स तय समय पर पूरा हो सके. इससे पहले 83 विमानों के लिए 99 इंजन की डील हो चुकी है.

तेजस मार्क 1ए.

Tejas Engine Deal: भारत अपनी वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए एक और बड़े सौदे को अंतिम रूप देने जा रहा है. भारत और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के बीच जल्द ही लगभग 1 बिलियन डॉलर की डील सितंबर तक साइन हो सकती है. इस डील के तहत 113 अतिरिक्त GE 404 इंजन खरीदे जाएंगे जो तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमान में लगाए जाएंगे. इससे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL को कुल 212 इंजन उपलब्ध हो जाएंगे. अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने के बाद दोनों देशों में उपजे तनाव के बीच होने वाली इस डील को अहम माना जा रहा है.

पहले से हो चुकी है 99 इंजन की डील.

HAL ने पहले ही जनरल इलेक्ट्रिक के साथ 83 तेजस मार्क 1ए विमानों के लिए 99 इंजन की डील साइन की थी. अब 113 नए इंजन मिलने के बाद प्रोडक्शन का लक्ष्य पूरा करने में आसानी होगी. रक्षा अधिकारियों के अनुसार इस डील पर बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है और सितंबर तक इसे साइन करने की उम्मीद है. अभी GE हर महीने भारत को दो इंजन की सप्लाई कर रहा है.

क्या है HAL का टारगेट

HAL का लक्ष्य है कि पहले 83 तेजस विमान साल 2029 से 2030 के बीच तक वायुसेना को सौंप दिए जाएं. इसके बाद अगले 97 विमान 2033 से 2034 तक दिए जाएंगे. HAL और GE के बीच 200 GE 414 इंजनों के लिए भी अलग डील पर बातचीत चल रही है. यह इंजन तेजस मार्क 2 और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी AMCA में इस्तेमाल होंगे. इस डील की कीमत करीब 1.5 बिलियन डॉलर मानी जा रही है और इसमें 80 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी होगा.

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मिग 21 की जगह लेगा तेजस.

तेजस लड़ाकू विमान वायुसेना के पुराने मिग 21 विमानों की जगह लेगा. भारतीय वायुसेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन की संख्या घटकर 31 रह गई है जबकि इसकी आधिकारिक ताकत 42 स्क्वाड्रन होनी चाहिए. तेजस की तैनाती से इस कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी.

आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम

भारत फ्रांस की कंपनी सफरान के साथ मिलकर स्वदेशी फाइटर इंजन बनाने पर भी काम कर रहा है. रक्षा मंत्रालय और वायुसेना भी इस प्रोजेक्ट को अपना समर्थन दे रहे हैं. इससे न केवल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि रक्षा क्षेत्र में छोटे और मध्यम उद्योगों को भी बड़े अवसर मिलेंगे.