अमेरिका से टैरिफ पर जंग बीच ट्रेड डेफिसिट घटा, अगस्त में 26.49 अरब डॉलर रहा, आयात-निर्यात में भी आई कमी
अमेरिका के साथ जारी टैरिफ की जंग के बीच भारत का ट्रेड डेफिसिट घट गया है. केंद्रीय उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट अगस्त में घटकर 26.49 अरब डॉलर पर आ गया, जो जुलाई में 27.35 अरब डॉलर था. यह कमी इसलिए आई क्योंकि अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने के बाद निर्यात में गिरावट दर्ज हुई.
केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को अगस्त का ट्रेड डाटा जारी किया. इस डाटा के मुताबिक अगस्त 2025 में भारत के ट्रेड डेफिसिट में जुलाई की तुलना में कमी आई है. इसकी वजह आयात और निर्यात दोनों में कमी आना रहा है. मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से अगस्त 2025 के दौरान सेवाओं और वस्तुओं का कुल निर्यात 349.35 अरब अमेरिकी डॉलर रहने अनुमान है, जबकि अप्रैल-अगस्त 2024 में यह 329.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा. इस तरह कुल निर्यात में 6.18% की बढ़ोतरी हुई है.
निर्यात और आयात दोनों में गिरावट
अगस्त में भारत का निर्यात घटकर 35.1 अरब डॉलर रह गया, जबकि जुलाई में यह 37.24 अरब डॉलर था. वहीं आयात भी घटकर 61.59 अरब डॉलर पर आया, जो जुलाई में 64.59 अरब डॉलर था.
अनुमान से ज्यादा रहा घाटा
रॉयटर्स पोल के मुताबिक अर्थशास्त्रियों ने अगस्त के लिए 25.13 अरब डॉलर का ट्रेड डेफिसिट का अुनमान लगाया था. लेकिन यह आंकड़ा 26.49 अरब डॉलर पर आया, जो जुलाई के 27.35 अरब डॉलर से कुछ कम जरूर है, पर उम्मीद से ज्यादा रहा.
सर्विस ट्रेड में भी असर
सरकार ने अनुमान लगाया कि अगस्त में सर्विस एक्सपोर्ट 34.06 अरब डॉलर और सर्विस इंपोर्ट 17.45 अरब डॉलर रहा. इससे कुल सामान और सेवा का ट्रेड डेफिसिट 9.88 अरब डॉलर बनता है.
अमेरिका को निर्यात में गिरावट
अमेरिका को निर्यात अगस्त में घटकर 6.86 अरब डॉलर रह गया, जो जुलाई में 8.01 अरब डॉलर था. इसका मुख्य कारण अमेरिका द्वारा 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाना है. अब भारतीय निर्यात पर कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है, जो अमेरिका के किसी भी ट्रेड पार्टनर के लिए सबसे अधिक है.
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर ठहराव
अमेरिका भारत का करीब 20% सामान निर्यात का बाजार है, फिर भी दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते में कोई प्रगति नहीं हुई है. इससे निर्यात पर दबाव बना हुआ है और आगे भी असर की आशंका है.