लूटनिक की नरमी, गोर का उत्साह और गोयल का भरोसा बता रहा – भारत-अमेरिका ‘ट्रेड डील अब दूर नहीं’
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता अब नई दिशा में बढ़ रही है. भारत और अमेरिकी के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल व हॉवर्ड लूटनिक के बयानों से सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं. इसके अलावा ट्रंप की तरफ से भारत के लिए नए राजदूत चुने गए सर्जियो गोर ने भी कहा है कि डील अब दूर नहीं.
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर जारी खींचतान अब शायद खत्म हो जाए. क्योंकि, दोनों देशों की तरफ से लगातार ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं, जिससे ट्रेड डील की दिशा में सकारात्मक पहल होती दिख रही है. दोनों देश लंबे समय से टैरिफ और ट्रेड को लेकर आपस में बात कर रहे हैं. बहरहाल, अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लूटनिक की नरम होती भाषा, सर्जियो गोर की सकारात्मक टिप्पणियां और पीयूष गोयल का भरोसा बता रहा है कि अब बातचीत किसी ठोस नतीजे पर पहुंच सकती है. इसके अलावा 4 अरब डॉलर की बोइंग डील भी दोनों देशों के रिश्तों में गर्मजोशी ला सकती है.
क्या बोले लूटनिक?
लूटनिक उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने भारत के रूस से तेल खरीदने के मामले को तूल दी और भारत को लेकर बेतुकी बयानबाजी की थी. लेकिन, अब लूटनिक के सुर थोड़े सधे हुए हैं. उनके बयानों में भारत को लेकर नरमी और ट्रेड डील को लेकर उम्मीद नजर आती है. गुरुवार को अमेरिका में CNBC को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत के साथ व्यापार समझौता जल्द सुलझ जाएगा. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह मामला तभी सुलझेगा, जब भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा.
गोर ने दिखाया उत्साह
सर्जियो गोर का कहना है कि भारत और अमेरिका टैरिफ मुद्दों पर “डील से बहुत दूर नहीं हैं.” उनका यह बयान दर्शाता है कि अमेरिका भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर गंभीर है और मतभेदों को बातचीत के जरिए सुलझाने का रास्ता तलाश रहा है. गोर का यह उत्साह अमेरिका के नीति निर्धारकों की भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता को उजागर करता है.
गोयल ने जताया भरोसा
भारत की तरफ से पीयूष गोयल ने भरोसा जताया कि व्यापार वार्ता “सक्रिय संवाद” की स्थिति में है और पहला चरण नवंबर 2025 तक पूरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेता इस समझौते को प्राथमिकता देकर शीघ्र परिणाम की दिशा में काम कर रहे हैं. मार्च से अब तक पाँच दौर की बातचीत हो चुकी है और दोनों पक्ष प्रगति से संतुष्ट हैं. गोयल का आत्मविश्वास बताता है कि भारत बातचीत को लेकर गंभीर है और समाधान की राह तलाश रहा है.
साझा हितों की ओर बढ़ती राह
लूटनिक की नरमी, गोर का उत्साह और गोयल का भरोसा ये तीनों मिलकर यह संदेश देते हैं कि व्यापार विवादों के बावजूद भारत और अमेरिका साझा हितों पर बातचीत को आगे बढ़ा रहे हैं. ऊर्जा नीति, टैरिफ और अन्य मुद्दों पर मतभेद बने हुए हैं, लेकिन दोनों पक्षों का लक्ष्य साझेदारी को मजबूत करना है. यही वजह है कि व्यापार समझौता अब दूर नहीं लगता और आने वाले महीनों में निर्णायक प्रगति की संभावना है.
4 अरब डॉलर डील से आएगी गर्मजोशी
व्यापार वार्ता के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र में भी सहयोग की दिशा में बड़ा कदम उठाने की तैयारी है. अमेरिकी रक्षा विभाग और बोइंग कंपनी का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल अगले हफ्ते भारत आने वाला है. वह भारतीय नौसेना के लिए लगभग 4 अरब डॉलर की लागत वाले छह अतिरिक्त P-8I समुद्री निगरानी विमान की खरीद पर बातचीत करेगा. यह सौदा भारत-अमेरिका संबंधों में विश्वास बहाली और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने वाला कदम माना जा रहा है.
क्यों अहम है बोइंग डील?
भारत पहले से ही 12 ऐसे विमान इस्तेमाल कर रहा है. ये विमान समुद्री निगरानी, पनडुब्बी विरोधी युद्धक क्षमता, समुद्री मार्गों की सुरक्षा और खुफिया जानकारी साझा करने में अहम भूमिका निभाते हैं. अतिरिक्त छह विमान भारत की समुद्री ताकत को नई ऊंचाई देंगे और हिंद महासागर क्षेत्र में उसकी उपस्थिति को मजबूत करेंगे. यह सौदा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि समुद्री मार्गों पर चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच भारत की निगरानी और सुरक्षा क्षमता का विस्तार रणनीतिक दृष्टि से आवश्यक है. वहीं अमेरिका की हिंद-प्रशांत नीति के तहत भारत जैसे लोकतांत्रिक साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ाना उसकी प्राथमिकता है.