टैरिफ से लड़ने के लिए हर एक्सपोर्टर को 50 करोड़ तक का सपोर्ट! जानें क्रेडिट गारंटी स्कीम में क्या मिलेंगे फायदे
नई क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एक्सपोर्टर्स (CGSE) के तहत हर योग्य एक्सपोर्टर को 50 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त वर्किंग कैपिटल सपोर्ट की मंजूरी दे दी है. यह बिना किसी नई गारंटी या अतिरिक्त कॉलेटरल के मिलेगा. इस स्कीम का मकसद निर्यातकों की नकदी कमी को दूर करना, उनके कारोबार को स्थिर रखना और वैश्विक बाजार में भारत की Competition को मजबूत करना.
New Credit Guarantee Scheme: अमेरिका द्वारा भारतीय प्रोडक्ट पर टैरिफ लगाने के बाद सरकार अब एक्सपोर्टरों को बड़ी वित्तीय मदद देने की तैयारी में है. नई क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एक्सपोर्टर्स (CGSE) के तहत हर योग्य एक्सपोर्टर को 50 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त वर्किंग कैपिटल सपोर्ट की मंजूरी दे दी है. यह बिना किसी नई गारंटी या अतिरिक्त कॉलेटरल के मिलेगा. इस स्कीम का मकसद निर्यातकों की नकदी कमी को दूर करना, उनके कारोबार को स्थिर रखना और वैश्विक बाजार में भारत की Competition को मजबूत करना. कम ब्याज, लंबी अवधि और 100 फीसदी गारंटी कवर जैसी सुविधाओं के साथ यह स्कीम मौजूदा चुनौतियों के बीच एक्सपोर्ट सेक्टर के लिए बड़ा राहत पैकेज साबित हो सकती है.
क्या है सबसे बड़ा फायदा
यह स्कीम उसी मांग को देखते हुए बनाई गई है ताकि कंपनियों को समय पर कॉस्ट-इफेक्टिव फंडिंग मिले और उनका प्रोडक्शन तथा निर्यात बाधित न हो. इस स्कीम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि लोन लेने के लिए किसी भी तरह की नई गारंटी या अतिरिक्त संपत्ति गिरवी रखने की जरूरत नहीं होगी. बैंक या वित्तीय संस्थान निर्यातक की पहले से मौजूद कॉलेटरल के आधार पर ही यह कर्ज जारी कर देंगे. स्कीम के तहत सीधे निर्यातक अपने मंजूर एक्सपोर्ट वर्किंग कैपिटल लिमिट का 20 फीसदी तक और indirect exporters अपनी कुल वर्किंग कैपिटल लिमिट का 20 फीसदी तक एक्सट्रा फंड प्राप्त कर सकेंगे.
इतनी होगी लोन की अवधि
इसके अलावा, इस लोन की ब्याज दर सामान्य लोन की तुलना में लगभग 1 फीसदी कम होगी. इससे निर्यातकों की लागत में सीधा फायदा होगा. यह स्कीम 31 मार्च 2026 तक उपलब्ध रहेगी या फिर तब तक जब तक 20000 करोड़ रुपये की कुल गारंटी जारी नहीं हो जाती. प्रत्येक लोन की अवधि चार साल की होगी, जिसमें एक साल का मोरेटोरियम शामिल है. मोरेटोरियम का मतलब है कि पहले साल तक कर्ज का मूलधन चुकाना जरूरी नहीं होगा, जिससे कंपनियों को अपने कैश फ्लो को मैनेज करने में काफी आसानी होगी.
ये बैंक और NBFCs लोन देने के एलिजिबल
इस स्कीम के तहत Scheduled Commercial Banks, Scheduled Urban Co-operative Banks, RBI में रजिस्टर्ड NBFCs और अन्य वित्तीय संस्थान लोन देने के एलिजिबल होंगे. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि छोटे, मध्यम और बड़े सभी प्रकार के निर्यातकों तक फंड आसानी से पहुंच सके. सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से निर्यातकों की नकदी समस्या काफी हद तक खत्म होगी और वे नए व उभरते ग्लोबल बाजारों में Competition बनाए रख सकेंगे.
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