PM मोदी का GST पर बड़ा ऐलान, प्रोडक्ट होंगे सस्ते; दीवाली पर मिलेगा तोहफा; जानें क्या है बदलाव के संकेत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर घोषणा की कि इस दिवाली देश में जीएसटी के अगले चरण के सुधार लागू होंगे. आठ साल बाद होने वाले इन बदलावों से व्यापारियों, उद्योगों, एमएसएमई और आम लोगों का टैक्स बोझ कम होगा. मोदी ने इसे ‘डबल दिवाली’ का तोहफा बताया.

जीएसटी Image Credit: Money9 Live

PM Modi on GST: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि इस दिवाली सरकार जीएसटी के अगले चरण के सुधार लागू करेगी. पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी लागू हुए आठ साल हो चुके हैं और अब इसकी समीक्षा का समय है. उन्होंने इसे लोगों, व्यापारियों, उद्योगों और एमएसएमई के लिए दिवाली का तोहफा बताया. मोदी ने कहा, “इस दिवाली मैं आपको डबल दिवाली देने जा रहा हूं. पिछले आठ वर्षों में हमने जीएसटी में बड़े सुधार किए हैं. अब हम अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार ला रहे हैं, जिससे देशभर में कर का बोझ कम होगा.”

क्या कहा पीएम मोदी ने?

प्रधानमंत्री ने अपनी स्पीच में कहा, “इस दिवाली में देशवासियों को एक बहुत बड़ा तोहफा मिलने वाला है. पिछले आठ साल से हमने जीएसटी का बहुत बड़ा रिफॉर्म किया. पूरे देश में टैक्स के बर्डन को कम किया.व्यवस्थाओं को सरल किया, और आठ साल के बाद, समय की मांग है कि हमें इस बार इसको रिव्यू करें. हमने एक हाई पावर कमेटी को बिठाकर के रिव्यू शुरू किया. राज्यों से भी विचार विमर्श किया. और मेरे प्यारे देशवासियों, हम नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी रिफॉर्म लेकर के आ रहे हैं.”

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “इस रिफॉर्म में सामान्य मानवीय की जरूरतों के टैक्स भारी मात्रा में कम कर दिए जाएंगे. बहुत बड़ी सुविधा बढ़ेगी. हमारे MSMEs, हमारे लघु उद्योग, इनको बहुत बड़ा लाभ मिलेगा. रोजमर्रा की चीजें बहुत सस्ती हो जाएंगी.”

GST कलेक्शन का आंकड़ा

जुलाई 2025 में केंद्र सरकार का सकल जीएसटी संग्रह 1.96 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ गया, जो पिछले साल जुलाई की तुलना में 7.5 फीसदी अधिक है. हालांकि, रिफंड में भी तेजी से वृद्धि हुई है, जो पिछले साल जुलाई की तुलना में लगभग 67 फीसदी बढ़कर 27,147 करोड़ रुपये हो गई.

स्लैब घटाने की बढ़ती मांग

हाल के समय में जीएसटी स्लैब में कमी की मांग तेज हो रही है. लोगों ने उम्मीद की थी की जीएसटी के साथ चीजें सस्ती हो जाएंगी पर ऐसा हुआ नहीं, मध्यम वर्गीय परिवारों पर भारी बोझ पड़ रहा था और जिसके बाद मांग ये उठने लगी है कि जीएसटी को रिस्ट्रक्चर किया जाएं.

फिलहाल भारत में जीएसटी की चार मुख्य दरें हैं: 5, 12, 18 और 28 फीसदी. जीएसटी की संरचना इस प्रकार है:

सबसे प्रमुख चर्चा यह है कि सरकार 12 फीसदी जीएसटी स्लैब को पूरी तरह से हटाने पर विचार कर रही है. इस स्लैब की वस्तुओं को या तो 5 फीसदी स्लैब में शिफ्ट किया जा सकता है या फिर 18 फीसदी में डाला जा सकता है. यह सुधार कर संरचना को सरल बनाने के लिए किया जा रहा है.

विशेषज्ञों का मानना है कि 12% स्लैब की अब कोई प्रासंगिकता नहीं है और आवश्यक वस्तुओं को 5 फीसदी स्लैब में डाला जा सकता है. वर्तमान में 12 फीसदी स्लैब में टूथपेस्ट, छाते, सिलाई मशीन, प्रेशर कुकर, रसोई के बर्तन, बिजली की इस्त्री, गीजर, छोटी क्षमता की वाशिंग मशीन, साइकिल और तैयार कपड़े जैसी चीजें शामिल हैं.

क्या है इसका आर्थिक प्रभाव?

बाजार के जानकारों का ये भी मानना है कि इन सुधारों से सरकार पर 40,000 से 50,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ सकता है. लेकिन सरकार का मानना है कि कम दरों से बिक्री बढ़ेगी और आखिरकार कर आधार में बढ़त होगी. इससे लंबे समय में जीएसटी संग्रह बढ़ सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में संकेत दिया था कि रेवेन्यू न्यूट्रल रेट 15.8% से घटकर 11.4% हो गया है, जो कर दरों में कमी की गुंजाइश दिखाता है.