क्या है मोदी दौर का समुद्र मंथन, जिससे निकलेंगे खजाने, नहीं चलेगी अमेरिका जैसों की धमकी

15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री ने एक ऐसा ऐलान किया जो भारत की ऊर्जा भविष्य की तस्वीर बदल सकता है. यह कदम न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था बल्कि भू-राजनीतिक समीकरणों पर भी गहरा असर डालने वाला है. जानिए क्यों यह घोषणा इतनी अहम मानी जा रही है और क्या है पीएम मोदी का समुद्र मंथन.

समुद्र मंथन Image Credit: Money9 Live

Samudra Manthan in Economy: 15 अगस्त 2025 को लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर समुद्र मंथन का जिक्र करते हुए नेशनल डीप वाटर एक्सप्लोरेशन मिशन की घोषणा की है. यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच और भी प्रासंगिक हो गया है.

समुद्र मंथन या सागर मंथन हिंदू पुराणों की एक प्रसिद्ध कथा है जिसमें देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था अमृत हासिल करने के लिए. इस कथा में मंदर पर्वत को मथनी बनाया गया, वासुकि नाग को रस्सी का काम दिया गया, और भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लेकर पर्वत को अपनी पीठ पर संभाला.

आधुनिक संदर्भ में, प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्राचीन रूपक का इस्तेमाल भारत के समुद्री तेल और गैस एक्सप्लोरेशन के लिए किया है. पीएम का कहना है कि जैसे पुराणों में मंथन से अमृत निकला, वैसे ही भारत अपने समुद्री क्षेत्रों से तेल और गैस के भंडार निकालने का प्रयास जारी रखे हुए है.

कैसा है भारत का तेल आयात?

चीन और यूरोपीय संघ के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है, जो अपनी 89.1 फीसदी तेल की जरूरत आयात से पूरी करता है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 242.4 मिलियन टन कच्चा तेल आयात किया, जिसकी लागत 161 बिलियन डॉलर थी. इसमें से रूसी तेल का हिस्सा 30 फीसदी तक पहुंच गया है.

हालांकि भारत का घरेलू उत्पादन लगातार गिर रहा है – 2024-25 में कच्चे तेल का उत्पादन 26.5 मिलियन टन रहा, जो पिछले वर्ष से 2.5 फीसदी कम है. प्राकृतिक गैस का उत्पादन भी 1% घटकर 36.1 बिलियन क्यूबिक मीटर रहा.

भारत पेट्रोलियम की वैश्विक मजबूती

देश रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों का सातवां सबसे बड़ा निर्यातक है. देश की रिफाइनिंग कैपेसिटी अब 250 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष से ज्यादा हो गई है, जिससे यह क्षेत्र वैश्विक बाजारों की मांग को पूरा करने में सक्षम हो गया है. मुख्य निर्यात बाजार यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण एशियाई देश हैं.

देश की रिफाइनिंग कैपेसिटी अप्रैल, 2014 में 215.066 मिलियन मीट्रिक टन थी लेकिन ये आंकड़ा अप्रैल 2024 में बढ़कर 256.816 मीट्रिक टन हो गई है. भारत 2030 तक अपने एक्सप्लोरेशन सेक्टर को 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाने की दिशा में अपना कदम तेजी से बढ़ा रहा है. सरकार का कहना है कि इस सेक्टर में 2025 में 16 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद है.

अमेरिकी टैरिफ का दबाव और रूसी तेल फैक्टर

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूसी तेल आयात के कारण भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाया है, जिससे कुल शुल्क 50 फीसदी हो गया है. यह 40 बिलियन डॉलर के भारतीय निर्यात को प्रभावित करेगा.

अगर भारत रूसी तेल का आयात बंद कर देता है, तो इसकी वार्षिक तेल लागत 9-12 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकती है. फिर भी, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन का कहना है कि “रूसी तेल आयात में कोई रुकावट नहीं है” और यह आर्थिक कारणों से किया जा रहा है

भारत सरकार की मौजूदा चुनौतियां

  1. ऊर्जा सुरक्षा
  • भारत की 85 फीसदी से अधिक तेल निर्भरता आयात पर
  • घरेलू उत्पादन में लगातार गिरावट (पिछले दशक में 26% कमी)
  • बढ़ती ऊर्जा मांग के साथ आपूर्ति का असंतुलन
  1. भू-राजनीतिक दबाव
  • अमेरिका-रूस संबंधों के बीच भारत की जटिल स्थिति
  • 87 बिलियन डॉलर के अमेरिकी निर्यात बनाम रूसी तेल से 3.8 बिलियन डॉलर की बचत
  • यूरोपीय संघ का रूसी ऊर्जा पर निरंतर निर्भरता के बावजूद भारत पर दबाव
  1. चुनौतियां
  • तेल आयात बिल का राष्ट्रीय बजट पर बोझ
  • विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की आवश्यकता
  • नवीकरणीय ऊर्जा के साथ संतुलन बनाने की चुनौती

नेशनल डीप वाटर एक्सप्लोरेशन मिशन

प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार, यह नेशनल डीप वाटर एक्सप्लोरेशन, मिशन मोड में काम करेगा. अंडमान-निकोबार बेसिन में हाल की खोजों से उम्मीदें जगी हैं, जहां 5000 मीटर की गहराई तक खुदाई की जा रही है.

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ONGC और Oil India Limited ने अंडमान अल्ट्रा-डीपवाटर क्षेत्र में ANDW-7 नामक कुआं खोदा है, जिसमें सक्रिय पेट्रोलियम सिस्टम के संकेत मिले हैं. यह क्षेत्र गुयाना की भांति बड़ी खोजों की संभावना रखता है. भारत ने 2022 में लगभग 10 लाख वर्ग किलोमीटर अपतटीय क्षेत्र खोले हैं जो पहले प्रतिबंधित थे. OALP राउंड-10 के तहत 2.5 लाख वर्ग किलोमीटर का अन्वेषण होगा.