Dream11 में किसका लगा है पैसा, नए कानून ने हिला दी अरबों की बाजी; क्या अब बंद हो जाएगा टीम बनाने का खेल

संसद से पास हुआ एक खास बिल जिससे ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में उथल-पुथल मच गई है. देश के करोड़ों गेमर्स के सामने बड़ी चुनौती आकर खड़ी हो गई है. टेक इंडस्ट्री के दिग्गजों और निवेशकों में हलचल है. पूरी डिटेल्स जानने के लिए पढ़ें हमारी रिपोर्ट.

नए कानून ने हिला दी अरबों की बाजी Image Credit: Money9 Live

भारत की संसद ने गुरुवार को “Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025” पास कर दिया. यह बिल देश में ऑनलाइन गेमिंग सिस्टम की दुनिया को हिला देने वाला साबित हो सकता है, खासकर उन प्लेटफॉर्म्स के लिए जो रियल मनी मॉडल पर काम करते हैं. ड्रीम11 जैसे बड़े नाम, जिनके सीईओ हर्ष जैन हैं, अब सरकार की नीति में बदलाव के बाद संकट में हैं.

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग, संख्या और कमाई

देश में ऑनलाइन गेमिंग की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि करीब 45 करोड़ यूजर विभिन्न गेमिंग ऐप्स से जुड़े हुए हैं. ड्रीम11, MPL, GamesKraft, Winzo जैसे प्लेटफॉर्म आमतौर पर यूजर्स से प्लेटफॉर्म फीस के रूप में 10-20 रुपये लेते हैं, जिससे लोग आसानी से कुछ पैसा लगाकर लाखों तक जीतने का सपना देखते हैं. लेकिन हकीकत यह है कि साल 2023-24 में इस सेक्टर का आकार लगभग 33,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का अनुमान था कि 2029 तक यह बाजार 80,000 करोड़ रुपए के आंकड़े को छू सकता है, लेकिन अब मनी गेमिंग पर प्रतिबंध इस ग्रोथ ट्रेजेक्टरी को सीधे प्रभावित करेगा.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, औसतन एक भारतीय यूजर साल भर में ऑनलाइन गेमिंग पर लगभग 1200 रुपये खर्च करता है. सरकार का अनुमान है कि 45 करोड़ लोग रियल मनी गेमिंग से सालाना लगभग 20,000 करोड़ रुपये गंवाते हैं . कंपनियां अपनी 86 फीसदी कमाई रियल मनी मॉडल से करती थीं, यानी असली पैसे के खेलने या जीतने वाले गेम्स से.

क्या होगा बदलाव?

नए कानून के आखिरकार लागू होने के बाद:

सरकार का तर्क है कि ये प्लेटफॉर्म्स युवा पीढ़ी में लत, आर्थिक नुकसान और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गंभीर समस्याओं की वजह बन रहे थे.

ड्रीम11, MPL और बाकी कंपनियों के पास क्या विकल्प?

इस कानून के बाद, ड्रीम11 और बाकी रियल मनी आधारित प्लेटफॉर्म्स के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि वे कैसे अपना बिजनेस मॉडल बदलें.

कानून ऐसी गेमिंग को बढ़ावा देता है जिसमें पैसे की बाजी नहीं लगती. जैसे GTA, BGMI, Free Fire आदि स्किल बेस्ट गेम्स को नुकसान नहीं होगा. ऐसे में बेटिंग ऐप्स बिना पैसा लगाए गेम खेलने के मॉडल पर शिफ्ट हो सकते हैं. ऐप्स भारी यूजर बेस का फायदा उठा कर इंफोटेनमेंट की दिशा में नयी कोशिश कर सकते हैं. क्रिकेट, कबड्डी जैसे लीग्स में Sponsorship और Brand Engagement जारी रख सकते हैं लेकिन रियल मनी इन्वॉल्व नहीं होगा.

साथ ही इन कंपनियों को अब विज्ञापन, इन-गेम खरीदारी, या स्पॉन्सरशिप मॉडल पर ध्यान देना होगा. कई लोग इस उलझन में भी हैं कि क्या वह ड्रीम11 पर टीम बना सकेंगे. तो शायद, इसका जवाब हां, हो सकता है. बस फर्क ये होगा कि अब आप पैसे का दांव नहीं खेल पाएंगे. हालांकि ये बात स्पष्ट कर दें कि कंपनी ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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क्या होगा इंडस्ट्री पर असर?

रियल मनी गेमिंग सेक्टर में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 2 लाख नौकरियां थी और 20,000 करोड़ से ज्यादा टैक्स जमा होता था. मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि इस बिल के पारित होने के बाद 300 से ज्यादा कंपनियों के बंद होने की आशंका है. देश में चल रही करीब 50 फीसदी फ्रेंचाइजी स्पोर्ट्स लीग्स बंद हो सकती हैं. टीमों और लीग्स के लिए स्पॉन्सरशिप से होने वाली कमाई में भी 30 से 40 फीसदी तक की गिरावट आने का खतरा है.

ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 भारत में गेमिंग की दिशा बदल देगा. अब रियल मनी वाले गेम्स का दौर शायद खत्म हो, और ई-स्पोर्ट्स-आधारित स्किल या मनोरंजन गेम्स को बढ़ावा मिलेगा. कंपनियों को ग्राहक बनाए रखने के लिए नई रणनीतियां अपनानी होंगी, वरना उनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. इतने बड़े यूजर बेस, राजस्व और ब्रांड वैल्यू पर ऐसी नीति का प्रभाव क्या होगा, यह आने वाले समय में समझ आएगा.