रूस ने भारत को दिया LNG निर्यात का ऑफर, न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप बढ़ाने पर भी नजर
रूस ने भारत को LNG निर्यात और न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप का ऑफर दिया है. रूस के फर्स्ट डिप्टी PM डेनिस मंटुरोव ने कहा कि भारत रूस का लॉन्ग टर्म एनर्जी पार्टनर बनेगा. अमेरिका के 25% टैरिफ दबाव के बीच यह साझेदारी भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम साबित हो सकती है.
रूस ने भारत को अपनी लॉन्ग टर्म एनर्जी स्ट्रैटेजी में अहम साझेदार मानते हुए कहा है कि भारत को लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) निर्यात में भारी संभावनाएं दिखाई दे रही हैं. रूसी न्यूज एजेंसी Tass की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के फर्स्ट डिप्टी प्राइम मिनिस्टर डेनिस मंटुरोव ने बुधवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई बातचीत के दौरान कहा कि रूस भारत को LNG निर्यात करने को तैयार है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों देशों को न्यूक्लियर एनर्जी कोऑपरेशन को भी गहरा करना चाहिए.
मंटुरोव का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका ने हाल ही में भारत पर रूस से कच्चे तेल आयात पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है. रूस ने इसे अवैध करार देते हुए कहा कि इससे वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है. इसके साथ ही रूस का कहना है कि इन हालातों में भारत जैसे बड़े उपभोक्ता देश के साथ सहयोग बढ़ाना और भी अहम हो गया है.
रूस-भारत ऊर्जा रिश्तों की नई दिशा
रूस पहले से ही भारत को कच्चा तेल, कोयला और पेट्रोलियम उत्पाद सप्लाई करता है. अब मंटुरोव का कहना है कि भारत के साथ साझेदारी को अगले स्तर पर ले जाने के लिए LNG एक्सपोर्ट और न्यूक्लियर सेक्टर में निवेश पर फोकस किया जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, “भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और उसे ऊर्जा की स्थिर सप्लाई की जरूरत है. रूस इस खाई को भरने की क्षमता रखता है. हमें LNG के क्षेत्र में लंबे समय तक सहयोग की बड़ी संभावनाएं दिख रही हैं.”
क्या हैं भारत की चुनौतियां?
भारत, रूस से तेल आयात करने वाले शीर्ष देशों में से एक बन चुका है. लेकिन भारत ने रूस के आर्कटिक LNG-2 प्रोजेक्ट में निवेश से दूरी बनाई है, क्योंकि यह अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के दायरे में आता है. भारत फिलहाल कोशिश कर रहा है कि रूस के साथ ऊर्जा साझेदारी तो बनी रहे, लेकिन वह ऐसे किसी प्रोजेक्ट में न फंसे जिससे उसकी डिप्लोमैटिक बैलेंसिंग बिगड़ जाए.
न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप
रूस पहले से ही भारत में कई न्यूक्लियर पावर प्लांट्स में तकनीकी और फाइनेंशियल सहयोग कर रहा है. अब दोनों देशों के बीच चर्चा है कि भविष्य में नए रिएक्टर्स और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को लेकर साझेदारी बढ़ाई जाए. ऊर्जा विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह सहयोग आगे बढ़ा तो भारत की क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन में रूस एक बड़ी भूमिका निभा सकता है.