5 साल में बंद हो गईं 2.04 लाख कंपनियां, इन 4 वजहों से आई नौबत, सरकार ने खुद बताई पूरी कहानी
सरकार ने सोमवार को बताया कि पिछले पांच सालों में 2,04,268 प्राइवेट कंपनियां बंद हो गई हैं. ये कंपनियां अमलगमेशन यानी दूसरी कंपनी में मिल जाना और कंपनी अधिनियम 2013 के तहत रिकॉर्ड से हटाए जाने जैसी वजहों से बंद हुई हैं. कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने लोकसभा में दिए लिखित जवाब में कहा कि 2024-25 में 20,365, 2023-24 में 21,181 और 2022-23 में 83,452 प्राइवेट कंपनियां बंद हुईं.
देश में प्राइवेट कंपनियों के शटडाउन का सिलसिला पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है. सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी है कि बीते पांच साल में कुल 2,04,268 प्राइवेट कंपनियां बंद हो चुकी हैं. इसकी मुख्य वजह कारोबार न चलना, मर्जर, कन्वर्जन और लंबे समय तक बिजनेस एक्टिविटी न होना हैं. इन कंपनियों को कंपनी रिकॉर्ड से हटाया गया है. ऐसे में यह आंकड़ा भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर में हो रहे स्ट्रक्चरल बदलावों को भी दिखाता है.
कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने लोकसभा में दिए लिखित जवाब में बताया कि 2024-25 में 20,365, 2023-24 में 21,181 और 2022-23 में 83,452 प्राइवेट कंपनियां बंद हुईं. इसके अलावा, 2021-22 में 64,054 और 2020-21 में 15,216 कंपनियां बंद हुईं. इन सभी कंपनियों को अमलगमेशन, कन्वर्जन, डिसॉल्यूशन या Companies Act, 2013 के तहत स्ट्राइक-ऑफ की प्रक्रिया के जरिए बंद किया गया है.
| वित्त वर्ष | बंद हुई प्राइवेट कंपनियां |
|---|---|
| 2024-25 | 20,365 |
| 2023-24 | 21,181 |
| 2022-23 | 83,452 |
| 2021-22 | 64,054 |
| 2020-21 | 15,216 |
कर्मचारियों के पुनर्वास पर सरकार का जवाब
लोकसभा में यह भी पूछा गया कि बंद हुई कंपनियों के कर्मचारियों के पुनर्वास के लिए क्या कोई कदम उठाए जा रहे हैं. जवाब में राज्य मंत्री ने कहा कि इस मामले पर सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है. सरकार ने यह भी बताया कि 2021-22 से इस वित्त वर्ष के 16 जुलाई तक कुल 1,85,350 कंपनियां आधिकारिक रिकॉर्ड से हटाई गई हैं. इनमें से सिर्फ 2022-23 में ही 82,125 कंपनियां हटाई गईं. उसी अवधि में मंत्रालय ने एक बड़ा strike-off drive चलाया था ताकि ऐसी कंपनियों को हटाया जा सके जो लंबे समय से कोई बिजनेस नहीं कर रही थीं.
क्यों हटाई जाती हैं कंपनियां रिकॉर्ड से ?
Companies Act, 2013 के तहत किसी कंपनी को रिकॉर्ड से हटाया जा सकता है अगर—
- वह लंबे समय तक बिजनेस गतिविधियों में एक्टिव नहीं है.
- कंपनी खुद स्वैच्छिक स्ट्राइक-ऑफ का आवेदन करती है.
- या कंपनी नियमों का पालन न करने के कारण अपनी स्थिति खो देती है.
जब लोकसभा में पूछा गया कि क्या बंद की गई कंपनियां ‘शेल कंपनियां’ हैं और क्या इन्हें मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किया जाता रहा है, तो मंत्री ने बताया कि ‘शेल कंपनी’ शब्द की कोई कानूनी परिभाषा Companies Act में नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर किसी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिलती है तो उसे ED और इनकम टैक्स विभाग जैसी एजेंसियों के साथ तुरंत साझा किया जाता है. सरकार ने बताया कि ऐसी गतिविधियों की निगरानी बढ़ाने के लिए इंटर-एजेंसी कोऑर्डिनेशन मजबूत किया जा रहा है.
क्या सरकार बैकवर्ड या ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग लगाने पर टैक्स छूट देगी?
इस सवाल के जवाब में राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार की नीति है कि टैक्स रेजीम को कम छूट और अधिक सरल टैक्स दरों पर आधारित किया जाए. उन्होंने यह भी बताया कि सरकार कॉरपोरेट टैक्स दरों में कटौती कर चुकी है और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से जुड़े कई सुधार किए गए हैं ताकि कंपनियां देश में निवेश बढ़ा सकें.
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