तीन पुराने कानून को खत्म कर देगा Securities Markets कोड बिल, शेयर बाजार पर सीधा असर, संसद में होगा पेश

संसद के शीतकालीन सत्र में 1 दिसंबर से सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल 2025 पेश होगा. यह बिल सेबी एक्ट, डिपॉजिटरी एक्ट और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट एक्ट जैसे पुराने कानूनों को मिलाकर एक नया कोड बनाएगा. इससे शेयर बाजार के नियम आसान होंगे, खर्चा कम होगा और विदेशी निवेश बढ़ेगा.

Securities Markets Code Bill Image Credit: Canva/ Money9

Securities Markets Code Bill: संसद के शीतकालीन सत्र में 1 दिसंबर से एक नया कानून पेश होने वाला है. इसका नाम है सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल 2025. लोकसभा की बुलेटिन में इसकी सूचना दी गई है. यह बिल देश के शेयर बाजार और फाइनेंशियल मार्केट को आसान बनाने के लिए लाया जा रहा है. इसमें कई पुराने कानूनों को एक साथ जोड़ा जाएगा.

संसद का शीतकालीन सत्र इस बार 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा. कुल 19 दिनों के इस सत्र में 15 बैठकें होंगी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सत्र के कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है. इस सत्र में देश के कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और कानूनी मुद्दों पर चर्चा और फैसले होने की उम्मीद है.

इस कानून का क्या है मकसद?

इस नए कानून के माध्यम से बिजनेस करना आसान हो जाएगा. कंपनियों और निवेशकों को अलग-अलग नियमों का पालन नहीं करना पड़ेगा. अभी कई कानून अलग-अलग हैं जिससे कागजी काम और खर्चा ज्यादा होता है. अब सब एक ही कोड में आएंगे तो खर्चा कम होगा और समय बचेगा. इससे इज ऑफ डूइंग बिजनेस का माहौल बनेगा.

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सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल 2025 का मुख्य उद्देश्य तीन बड़े पुराने कानूनों को एक ही नई किताब में समेटना है. ये कानून हैं – सेबी एक्ट 1992, डिपॉजिटरी एक्ट 1996 और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट 1956. इन सबको मिलाकर एक नया और आसान सिंगल सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बनाया जाएगा. इससे पुराने कानूनों की उलझन खत्म होगी और पूरा सिक्योरिटीज मार्केट एक ही कानून के तहत चलेगा.

विदेशी पैसा ज्यादा आएगा

सरकारी बॉन्ड यानी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज को भी इसी कोड में लाया जा रहा है. इससे भारत की सरकारी उधारी पर दुनिया का भरोसा बढ़ेगा. विदेशी निवेशक ज्यादा पैसा लगाएंगे. बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और नियमों में ओवरलैप खत्म हो जाएगा. कुल मिलाकर भारत का वित्तीय बाजार मजबूत और आकर्षक बनेगा, जिससे फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा.

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