सड़क किनारे बैठने वाला मोची अब शुरू करेगा अपना फुटवियर ब्रांड, UP और इस राजनेता से है कनेक्शन
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सुल्तानपुर के एक मोची रामचेत से मुलाकात की है. दरअसल, फरवरी में राहुल गांधी ने रामचेत को दिल्ली के 10 जनपथ पर बुलाया. वहां रामचेत ने अपनी हाथ से बनी चप्पलें सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को दी.

Ramchet Mochi brand: क्या आपने कभी सोचा है कि कोई सड़क किनारे मोची का काम करने वाला लड़का अपना खुद का ब्रांड शुरु कर सकता है? जी हां यूपी के सुल्तानपुर के लाल ने कमाल कर दिया है. उसने अपना खुद का फुटवियर ब्रांड की शुरुआत कर दी है. इसका नाम ‘रामचेत मोची’ रखा गया है. इस काम में उनकी मदद लोकसभा में विपक्ष के नेता और रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी कर रहे है. राहुल गांधी ने सुल्तानपुर के इस मोची रामचेत से मुलाकात की है. रामचेत खुद का एक ब्रांड शुरू करना चाहते थे. ऐसे में राहुल गांधी ने उन्हें एक मशीन उपहार में दी थी. दरअसल, फरवरी में राहुल गांधी ने रामचेत को दिल्ली के 10 जनपथ पर बुलाया. वहां रामचेत ने अपनी हाथ से बनी चप्पलें सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को दी.
बड़ा ब्रांड बनाने की है तैयारी
रामचेत मोची सुल्तानपुर के एक छोटे से मोची थे. वे अब एक सफल उद्यमी बनने की राह पर हैं. रामचेत अब अपने बेटे को भी इस बिजनेस में एंट्री करा रहे हैं. वे ‘रामचेत मोची’ ब्रांड तैयार करने की योजना बना रहे हैं. पहले जहां उनकी इनकम 100-150 रुपये प्रतिदिन होती थी. अब उनकी आमदनी हजारों में है. उन्होंने किराए की मशीन भी लगाई है. इसके अलावा 2-3 कारीगरों को भी काम पर रखा है. उनका बिजनेस दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है. रामचेत की सफलता की कहानी छोटे बिजनेसमैन के लिए प्रेरणा है.
राहुल गांधी ने की मदद
हाल ही में राहुल गांधी ने रामचेत को मुंबई बुलाया. यहां उन्होंने रामचेत को सुधीर राजभर से मिलवाया. सुधीर राजभर एक फेमस चमड़े का व्यापारी और चमार स्टूडियो के संस्थापक हैं. इस मुलाकात ने 60 वर्षीय रामचेत को एक छोटे मोची से उभरते हुए उद्यमी बनने में बड़ी मदद की. कांग्रेस नेता ने इस मुलाकात की तस्वीरें 6 मार्च को X पर शेयर कीं. मुंबई यात्रा के बाद रामचेत अपने काम में नई उम्मीदों के साथ सुल्तानपुर लौटे.
‘रामचेत मोची’ का उज्वल है भविष्य
इस मुलाकात के बाद रामचेत ने कहा कि वहां बैग और चप्पलों के नए डिजाइन देखे. इनमें लकड़ी और रबर का इस्तेमाल किया गया था. मैंने भी पर्स बनाए और मशीन आधारित डिजाइनों पर काम किया. राहुल गांधी और सुधीर राजभर ने मेरी कारीगरी की सराहना की. अब रामचेत अपने बेटे को भी यह कला सिखा रहे हैं. साथ ही अपने खुद के ब्रांड ‘रामचेत मोची’ की स्थापना के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.
खूब हो रही है बिक्री
रामचेत का व्यापार पिछले साल राहुल गांधी से मुलाकात के बाद काफी बढ़ा है. उन्होंने एक किराए की जगह में मशीन लगाई है. वहां अब वह दो-तीन कारीगरों की मदद से जूते बनाते हैं. उनका बेटा भी कुछ घंटे इस काम में हाथ बटाता है. पहले जहां रामचेत सिर्फ 100-150 रुपये कमा पाते थे. अब वह हर महीने हजारों रुपये कमा रहे हैं. सुधीर राजभर उन लाखों दलित युवाओं के लिए प्रेरणा है.
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