ठगों ने बैंकों से उड़ाए 36,000 करोड़, RBI ने बताई पूरी कहानी; डिजिटल पेमेंट में सबसे ज्यादा हेराफेरी

RBI की FY25 रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस वित्त वर्ष में बैंकों के साथ 36,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई, जिनमें से सबसे ज्यादा मामले डिजिटल पेमेंट से जुड़े रहे. हालांकि, धोखाधड़ी की संख्या घटी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 122 पुराने मामलों को दोबारा शामिल किया गया, जिससे कुल राशि में इजाफा हुआ. रिपोर्ट में बताया गया है कि 92 फीसदी से ज्यादा राशि की धोखाधड़ी लोन खातों से हुई.

रिजर्व बैंक Image Credit: Getty image

RBI: भारत में पिछले कुछ समय से धोखाधड़ी के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. हाल के दिनों में ठगों ने लोगों को चूना लगाने के लिए लगातार नए-नए तरीके अपनाए हैं. आंकड़े बताते हैं कि आम लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. अब इस मामले में RBI ने जानकारी साझा की है, जिसमें बताया गया है कि FY25 में ठगों ने कितने करोड़ की चपत लगाई है. तो आइए आपको बताते हैं कि इस दौरान कितना नुकसान हुआ है और पिछले साल की तुलना में इसमें कितनी बढ़ोतरी हुई है.

हजारों करोड़ का नुकसान

Reserve Bank of India (RBI) ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2025 में लोन अकाउंट और डिजिटल पेमेंट से जुड़ी धोखाधड़ी के कुल मामलों में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है. यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से 122 पुराने मामलों को सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2023 के आदेश के अनुसार दोबारा शामिल किए जाने के कारण हुई है. FY25 में धोखाधड़ी की कुल राशि बढ़कर 36,014 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष में 12,230 करोड़ रुपये थी.

धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में गिरावट

हालांकि, इस दौरान कुल धोखाधड़ी की रकम में इजाफा हुआ है, लेकिन धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में कमी आई है. FY25 में ऐसे मामलों की संख्या घटकर 23,953 हो गई, जबकि FY24 में यह 36,060 थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि “2023-24 की तुलना में 2024-25 के दौरान रिपोर्ट की गई कुल धोखाधड़ी की राशि में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

इसके पीछे मुख्य वजह 122 पुराने मामलों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दोबारा शामिल किया जाना है. इन मामलों में 18,674 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी, जिन्हें पुनः जांच के बाद FY25 में रिपोर्ट किया गया.”

धोखाधड़ी रोकने के लिए RBI की पहल

डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने के लिए RBI ने ‘bank.in’ (बैंकों के लिए) और ‘fin.in’ (गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के लिए) जैसे एक्सक्लूसिव डोमेन लॉन्च करने का प्रस्ताव रखा है. इससे फिशिंग और साइबर हमलों में कमी आएगी और डिजिटल पेमेंट सिस्टम पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा.

IDRBT (Institute for Development and Research in Banking Technology) इनकी निगरानी करेगा. रिपोर्ट के अनुसार, ये विशेष डोमेन साइबर सुरक्षा खतरों और फिशिंग जैसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों की पहचान करने में भी मदद करेंगे, जिससे आम जनता को होने वाला वित्तीय नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकेगा.

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डिजिटल भुगतान में सबसे ज्यादा हेराफेरी

RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, FY25 में अधिकांश धोखाधड़ी डिजिटल भुगतान (कार्ड/इंटरनेट) के जरिए हुई, जो कुल मामलों का 56.5 फीसदी (13,516 केस) थी. हालांकि, रकम के लिहाज से 92 फीसदी से अधिक धोखाधड़ी बैंकों के लोन में पाई गई. निजी बैंकों में 60 फीसदी धोखाधड़ी कार्ड/इंटरनेट से जुड़ी थी, जबकि सार्वजनिक बैंकों में 71 फीसदी से अधिक राशि की धोखाधड़ी लोन से संबंधित थी. ये आंकड़े 1 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी वाले मामलों पर आधारित हैं और इनमें बदलाव संभव है.

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