नहीं खत्म हुआ ट्रंप टैरिफ का खेल! भारत पर फिर बढ़ सकता है शुल्क, निशाने पर रूस से तेल खरीदने वाले देश
अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने संकेत दिया है कि रूस पर और कड़े प्रतिबंध और सेकेंडरी टैरिफ लगाए जा सकते हैं, जिनका असर रूस से तेल खरीदने वाले देशों जिनमें भारत भी शामिल है, पर पड़ेगा. उनका कहना है कि ऐसे कदम रूस की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर देंगे और राष्ट्रपति पुतिन को बातचीत की मेज तक लाने में मदद करेंगे.
Trump Tariff and Pressuring India Russia: अमेरिका और यूरोप रूस पर पहले से ही कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं, लेकिन अब एक बार फिर से रूस और उसके तेल खरीदने वाले देशों पर दबाव बढ़ाने की तैयारी हो रही है. अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने साफ कहा है कि अगर रूस पर और अधिक प्रतिबंध और सेकेंडरी टैरिफ लगाए जाते हैं, तो मॉस्को की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ‘ध्वस्त’ हो सकती है. उन्होंने संकेत दिया कि इन कदमों का असर उन देशों पर भी पड़ेगा जो रूस से तेल खरीदते हैं और इसमें भारत भी शामिल है.
रूस को बातचीत की टेबल पर लाना है मकसद
स्कॉट बेसेंट ने NBC के कार्यक्रम मीट द प्रेस में कहा कि अमेरिका और यूरोप इस समय नए कदमों पर विचार कर रहे हैं. उनका कहना था कि “अगर अमेरिका और यूरोप मिलकर रूस पर और दबाव डालते हैं और उन देशों पर सेकेंडरी टैरिफ लगाते हैं जो रूस से तेल खरीदते हैं, तो रूस की अर्थव्यवस्था पूरी तरह गिर जाएगी. यही दबाव राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बातचीत की मेज तक खींच लाएगा.” हालांकि, बेसेंट ने सीधे तौर पर भारत का नाम नहीं लिया, लेकिन यह साफ है कि वॉशिंगटन की नजरें नई दिल्ली पर भी हैं, क्योंकि भारत पिछले कुछ सालों में रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बनकर उभरा है.
यूरोपीय देशों का समर्थन जरूरी
बेसेंट ने यह भी कहा कि सिर्फ अमेरिका के कदम उठाने से बात पूरी नहीं बनेगी. उन्होंने कहा, “हमें अपने यूरोपीय पार्टनर्स का समर्थन चाहिए. अगर अमेरिका और यूरोप एक साथ कदम उठाते हैं, तभी यह रणनीति सफल होगी.” वे सोमवार को यूरोपीय देशों के नेताओं से मुलाकात करेंगे, ताकि इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तय की जा सके.
रूस पर पहले से हैं कड़े प्रतिबंध
रूस पर पहले ही अमेरिका और यूरोप के कई तरह के प्रतिबंध लागू हैं. लेकिन रूस ने भारत और दूसरे देशों में अपने तेल और गैस के नए ग्राहक ढूंढ लिए हैं. यही वजह है कि उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह ढही नहीं है. इस बीच, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध भी रुकने का नाम नहीं ले रहा. हाल ही में रूस ने कीव स्थित यूक्रेन सरकार के मुख्य परिसर पर हमला कर दिया, जिसे संघर्ष की बड़ी वृद्धि माना जा रहा है.
ट्रंप का दबाव और भारत की स्थिति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही भारत पर भारी टैरिफ लगा चुके हैं. भारत पर अमेरिकी टैरिफ दर 50 फीसदी है, जो दुनिया में सबसे ऊंची दरों में गिनी जाती है. ब्राजील के साथ भारत पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाए गए हैं. ट्रंप बार-बार यह आरोप लगाते रहे हैं कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है. हालांकि, चीन जैसे देश भी रूसी ऊर्जा खरीदते हैं, लेकिन उन पर इतना सख्त टैरिफ नहीं लगाया गया. दिलचस्प बात यह है कि हाल के दिनों में ट्रंप का रुख भारत को लेकर थोड़ा नरम दिखा है.
ट्रंप ने की प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ
5 सितंबर को ट्रंप ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच एक “विशेष रिश्ता” है और इसमें “चिंता की कोई बात नहीं” है. ट्रंप ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा था कि “मोदी एक महान प्रधानमंत्री हैं, और मैं हमेशा उनका दोस्त रहूंगा. हालांकि, इस समय मुझे उनका कदम पसंद नहीं है, लेकिन हमारी दोस्ती हमेशा बनी रहेगी.” इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ट्रंप के बयान पर कहा कि “मैं राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं की सराहना करता हूं और उन्हें पूरी तरह से साझा करता हूं. भारत और अमेरिका के बीच व्यापक और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है, जो आगे भी मजबूत होती रहेगी.”
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