वोडा-आइडिया ने खड़े किए हाथ, कहा- सरकार के सपोर्ट के बिना हो जाएंगे दिवालिया, 20 करोड़ ग्राहकों का क्या होगा?

Vodafone Idea: वोडाफोन आइडिया ने सरकार को आगाह किया है कि वह उसके समर्थन के बिना चालू वित्त वर्ष से आगे अपना ऑपरेशन जारी नहीं रख सकती है. वोडाफोन-आइडिया पर स्पेक्ट्रम बकाया के रूप में सरकार का 1.95 लाख करोड़ रुपये बकाया है.

वोडाफोन आइडिया Image Credit: Tv9 Bharatvarsh

Vodafone Idea: वोडाफोन आइडिया ने सरकार से साफ-साफ कह दिया है कि वो उसके सपोर्ट के बिना अपने काम-काज को जारी नहीं रख सकती है. शुक्रवार 16 मई को वोडाफोन आइडिया ने सरकार को आगाह किया है कि वह उसके समर्थन के बिना चालू वित्त वर्ष से आगे अपना ऑपरेशन जारी नहीं रख सकती है और उसे दिवालिया घोषित किया जा सकता है. इससे केंद्र की हिस्सेदारी की वैल्यू शून्य हो जाएगी.

सीएनबीसी-टीवी18 ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि वोडाफोन आइडिया ने कहा है कि वह सरकार के समर्थन के बिना वित्त वर्ष 26 से आगे काम नहीं कर सकती. कंपनी अगर सरकार से समर्थन नहीं मिलता है, तो वह दिवालिया होने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में जाएगी.

स्पेक्ट्रम बकाया

वोडाफोन-आइडिया पर स्पेक्ट्रम बकाया के रूप में सरकार का 1.95 लाख करोड़ रुपये बकाया है. अगर वोडाफोन-आइडिया दिवालिया हो जाती है, तो सरकार स्पेक्ट्रम बिक्री के लिए अपने 1.18 लाख करोड़ रुपये के बकाये की वसूली नहीं कर पाएगी. इक्विटी कन्वर्जन के बाद, वोडाफोन-आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत हो गई है. कंपनी ने कहा है कि सरकार के इक्विटी कन्वर्जन और 26000 करोड़ रुपये की इक्विटी निवेश के बावजूद उसे बैंकों से कोई समर्थन नहीं मिला है.

20 करोड़ यूजर्स

सूत्रों ने बताया कि अगर वोडा-आइडिया दिवालिया होने के लिए NCLT का रुख करती है, तो 20 करोड़ से अधिक टेलीकॉम ग्राहक प्रभावित होंगे.

सुप्रीम कोर्ट में दायर की है याचिका

यह तब हुआ है जब टेलीकॉम ऑपरेटर ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) मांग से राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. गुरुवार को वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर कर अपने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू और स्पेक्ट्रम बकाया पर और राहत की मांग की. सीएनबीसी-टीवी 18 की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी जुर्माने और ब्याज के रूप में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की छूट की मांग कर रही है.

वोडाफोन आइडिया ने कहा कि AGR फैसले द्वारा लगाई गई बाधाओं के कारण सरकार राहत देने में अक्षम है. इसने आगे दावा किया कि एजीआर और स्पेक्ट्रम बकाया को इक्विटी में बदलने के बाद सरकार अब 49 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कंपनी में प्रभावी रूप से ‘भागीदार’ है.

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