भारत के पास ‘Black Gold’ की पावर, 500 मिलियन कमाई, घर-घर से नाता

ग्लोबल विग का मार्केट अब 4 अरब डॉलर का हो गया है और 2024 से 2031 तक हर साल इसके लगभग 8 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. खास बात ये है कि लगातार बढ़ते इस बाजार में मानव बाल की आपूर्ति के मामले में भारत सबसे आगे है.

सबसे अधिक बालों का निर्यात करता है भारत. Image Credit: Money9

पूरी दुनिया में बालों का झड़ना एक बड़ी समस्या बन गई है. दुनिया भर में लाखों लोग बालों के टूटने या गंजेपन की समस्या से जूझ रहे हैं. और इस समस्या के बीच विग का कारोबार फलफूल रहा है. बालों के झड़ने से जूझ रहे 40 फीसदी से ज्यादा लोग विग या हेयरपीस चुनते हैं और 50 फीसदी से अधिक डॉक्टर विग इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल विग का मार्केट अब 4 अरब डॉलर का हो गया है और 2024 से 2031 तक हर साल इसके लगभग 8 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. खास बात ये है कि लगातार बढ़ते इस बाजार में मानव बाल की आपूर्ति के मामले में भारत सबसे आगे है. बालों के कारेबार से जमकर कमाई हो रही है. दुनिया के कई देशों में भारती बाल के प्रोडक्ट बिक रहे हैं…. एक तरह से देखें तो बाल अब भारत के लिए किसी ‘ब्लैक गोल्ड’ से कम नहीं हैं.

निखिल कामथ ने शेयर किए आंकड़े

जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ ने हाल ही में भारत के तेजी से बढ़ते बाल निर्यात उद्योग पर एक दिलचस्प चर्चा शुरू की. उन्होंने कुछ आंकड़ों से बताया कि कैसे भारत मानव बाल की आपूर्ति के मामले में आगे बढ़ रहा है, जो आने वाले समय में कारोबार के लिए एक बड़ा मौका साबित हो सकता है.

सबसे अधिक बाल निर्यात करता है भारत

Imarc Group, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, Statista और StartupTalky के आंकड़ों के अनुसार, ग्लोबल लेवल पर कुल 157 मिलियन डॉलर में से अकेले भारत 138 मिलियन डॉलर के मानव बालों का एक्सपोर्ट करता है. दुनिया के मानव बाल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 88 फीसदी है. अब ये कैसे है… इसे भी समझना होगा. भारत का बाल रीसाइक्लिंग सिस्टम मंदिरों, नाई की दुकानों और घरों से बाल एकत्र करता है. यह विशाल उद्योग 61 मिलियन से अधिक लोगों का भरण-पोषण करता है.

भारतीय बालों की इतनी मांग क्यों है?

अब सवाल ये भी है कि आखिर भारतीय बालों की दुनिया में इतनी मांग क्यों है. तो इसके पीछे कई कारण हैं और इनमें से प्रमुख हैं बालों का गहरा रंग, मोटाई, महीन बनावट है. इसके अलावा यह यूरोपीय बालों के साथ कितना बेहतरीन कॉम्बिनेशन बनाता है. इसपर भी डिमांड निर्भर है. सबसे खास बात ये है कि भारतीय बाल किसी भी तरह के केमिकल ट्रीटमेंट से दूर होते हैं. इसलिए ये विग और एक्सटेंशन के लिए एकदम सही होते हैं, जो अपनी नेचुरल ताकत और चमक बनाए रखते हैं.

कैसे इकट्ठा किए जाते हैं बाल

भारत में दो सोर्स- मुंडन और कंघी से बाल प्राप्त किया जाता है. तिरुमाला वेंकटेश्वर जैसे मंदिरों में मुंडन एक पवित्र प्रथा है, जिससे सालाना 330 मिलियन रुपये की इनकम होती है. इसमें 1.20 करोड़ से अधिक लोगों के 500 टन से अधिक बाल शामिल हैं. यहां से रेमी बाल 33,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिल सकते हैं, जबकि विग की कीमत 1,000 डॉलर से 3,000 डॉलर के बीच है.

दिलचस्प बात यह है कि भारत के ज्यादातर बाल नॉन-रेमी हेयर से आते हैं- जो नाई की दुकानों, गांवों और घरों में लंबे बालों वाली महिलाओं की कंघियों से इकट्ठा किए जाते हैं. ये कंघी के बाल बिकने वाले बालों का बड़ा हिस्सा होते हैं, जो ग्लोबल मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं.

कंघी के बाल

ईटी के अनुसार, भारत में ज्यादातर बाल असल में कंघी के कचरे जैसे रोजमर्रा के सोर्स से आते हैं. इसके अलावा नाई की दुकानों और ग्रामीण इलाकों के घरों से भी बाल जमा किए जाते हैं. रॉ मैटेरियल में कंघी के बाल एक बड़ा हिस्सा जोड़ते हैं और इन्हें ग्लोबल मार्केट में बेचा जाता है. यही फैक्टर भारत को दुनिया भर में बालों का टॉप एक्सपोर्टर बनाते हैं. इसके चलते भारत का घरेलू बाल उद्योग भी फल-फूल रहा है. निश हेयर और द शेल हेयर जैसे ब्रांड हर जगह छा रहे हैं, क्लिप-इन से लेकर फुल विग तक सब कुछ ऑफर कर रहे हैं.

भारत के लिए ब्लैक गोल्ड

कंघी के बालों से जमा किया जाना होने वाला बालों का कारोबार आज अरबों डॉलर के उद्योग में तब्दील हो चुका है. 120 से अधिक देश भारत से हेयर प्रोडक्ट खरीद रहे हैं. भारत में बाल और इससे जुड़े प्रोडक्ट्स से सालाना 500 मिलियन की कमाई हो रही है और ये आंकड़े बता रहे हैं कि बाल भारत के लिए ब्लैक गोल्ड साबित हो रहा है.