भारत बना रहा है अब तक का सबसे मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम, कुछ नहीं कर पाएंगे पाकिस्तान-चीन; जानें तैयारी
भारत अपनी रक्षा को और मजबूत करने के लिए नई तकनीकों पर काम कर रहा है. वायुसेना भविष्य के युद्ध के लिए स्मार्ट ड्रोन और बिना इंसान के उड़ने वाले विमान बना रही है. ये ड्रोन दुश्मन को चकमा देने और हमला करने में सक्षम होंगे. यह सिस्टम अमेरिका के गोल्डन डोम और इजराइल के आयरन डोम से भी बेहतर होगा.
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने पूरी दुनिया को भारत की ताकत से वाकिफ करा दिया. क्या अमेरिका और क्या चीन सबने भारत का लोहा माना. इस सफलता के बाद भारतीय वायुसेना अपनी नई रणनीति की ओर बढ़ चुका है. भारतीय वायुसेना ते लिए इसके तहत हाईटेक ड्रोन, राडार, कहीं ज्यादा बेहतर एयर डिफेंस सिस्टम डेवलप किए जा रहे हैं. जिसमें सरकारी से लेकर प्राइवेट कंपनियां तक शामिल हैं.
नया और शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम बनाने में जुट गई है. यह सिस्टम अमेरिका के गोल्डन डोम और इजराइल के आयरन डोम से भी बेहतर होगा. अभी भारत के पास ऐसा सिस्टम है जो चीन और पाकिस्तान के हवाई हमलों को रोक सकता है.
नए एयर डिफेंस सिस्टम पर काम
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार वायुसेना नए एयर डिफेंस सिस्टम पर काम कर रही है. इसमें नॉन-रोटेटिंग AESA रडार और एयर-माइन सेंसर सिस्टम शामिल है. नॉन-रोटेटिंग AESA रडार 360 डिग्री में 200 दुश्मन ड्रोन को एक साथ पकड़ सकता है. वहीं एयर-माइन सेंसर सिस्टम 2 हजार मीटर ऊपर, 1 किलोमीटर की रेंज में ड्रोन को हवा में पकड़ लेगा.
भविष्य के प्रोजेक्ट्स
इसी तरह भारतीय वायुसेना भविष्य के युद्धों के लिए बेहतरीन ड्रोन तैयार करने की योजना बना रही है. इनमें स्टेल्थ कॉम्बेट ड्रोन शामिल है. यह बिना पायलट के चुपके से हमला करने में सक्षम होगा. इसके अलावा, मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस यूएवी बनाया जाएगा. यह लंबी दूरी तक निगरानी और हमले की क्षमता रखेगा. साथ ही, स्मार्ट लॉइटरिंग म्यूनिशन्स ड्रोन तैयार किए जाएंगे, जो दुश्मन के ऊपर मंडराकर सही समय पर हमला कर सकेंगे.
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इन खास प्रोजेक्ट्स पर हो रहा है काम
वायुसेना भविष्य के युद्ध के लिए स्मार्ट ड्रोन और बिना इंसान के उड़ने वाले विमान बना रही है. ये ड्रोन दुश्मन को चकमा देने और हमला करने में सक्षम होंगे. ऐसे में आइए इन खास प्रोजेक्ट्स पर नजर डालते है.
एयर लॉन्च स्वार्म ड्रोन: यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस ड्रोन है. ये दुश्मन के रक्षा सिस्टम को गुमराह करेंगे और नष्ट करेंगे. ये ड्रोन खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी करने, और बातचीत में मदद करेंगे. ये उड़ान के दौरान अपने लक्ष्य बदल सकते हैं. |
हेलिकॉप्टर लॉन्चर: ये ड्रोन 40 किलोमीटर की रेंज में काम करेंगे और एमआई-17 हेलिकॉप्टर से छोड़े जाएंगे. इन पर 50 किलो तक के हथियार होंगे. |
लॉइटरिंग एरियल इंटरसेप्टर: ये ड्रोन 8 हजार फीट ऊपर उड़ सकते हैं और दुश्मन के ड्रोन को पहचानकर नष्ट करेंगे. इन्हें जमीन, वाहन या हेलिकॉप्टर से लॉन्च किया जा सकता है. |
स्वार्म एंटी-ड्रोन सिस्टम: यह सिस्टम तीन तरीकों से दुश्मन ड्रोन को नष्ट करेगा. पहला 5 किलोमीटर की रेंज में सीधा हमला करेगा. दूसरा ड्रोन को पकड़कर उसकी जांच कर सकता है. वहीं, तीसरा ड्रोन को जाल में फंसा सकता है. |
एलास्टिकॉप्टर मल्टी-रोल: यह UAV 25 किलोमीटर तक सामान ले जा सकता है. इसके बाद ग्रेनेड गिरा सकता है और रडार सिस्टम की जानकारी जुटा सकता है. इस पर 5 से 20 किलो तक का सामान लादा जा सकता है. |
टेथर्ड ड्रोन सिस्टम: ये ड्रोन केबल के जरिए 24 घंटे सैन्य ठिकानों की निगरानी करेंगे और वायुसेना के कंट्रोल रूम से जुड़े रहेंगे. |
ड्रोन एमुलेटर: यह ड्रोन दुश्मन के रडार को गुमराह करेगा और उनके हमलावर ड्रोन की ताकत का पता लगाएगा. |
एंटी-राडार डिकॉय स्वार्म: यह ड्रोन इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए बनाया गया है. यह 500 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के डिफेंस सिस्टम को चकमा देगा. इसकी रफ्तार ध्वनि की गति के बराबर होगी. |
हाई-स्पीड ड्रोन: ये ड्रोन 500 किलोमीटर से ज्यादा की रेंज में इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और चाफ सिस्टम के साथ काम करेंगे. |
S-400 की आएगी नई खेप
ऑपरेशन सिंदूर में वायुसेना ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की मिसाइलों का इस्तेमाल किया. जिसकी चर्चा हर जगह है. अब रूस अपग्रेडेड S-400 की नई खेप भारत को सौंप सकता है. इसके अलवा नए S-400 की आपूर्ति हो सकती है. यह नया सिस्टम दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने के साथ-साथ उनके डिफेंस सिस्टम को चकमा देगा , इसके अलावा ऐसे स्मार्ट ड्रोन बनाए जा रहे हैं, जिन्हें हेलिकॉप्टर से दुश्मन के इलाके में छोड़ा जा सकेगा. वायुसेना ने इनके लिए डिजाइन तैयार कर लिया है.
नई तकनीकों पर काम कर रहा है भारत
भारत अपनी रक्षा को और मजबूत करने के लिए नई तकनीकों पर काम कर रहा है. इसके लिए डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO), बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS) पिलानी और सेंटर फॉर रिसर्च एंड एक्सीलेंस इन नेशनल सिक्योरिटी (CINS) मिलकर काम कर रहे हैं. यह टीम रक्षा, अंतरिक्ष, और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भविष्य की चुनौतियों का समाधान ढूंढेगी. इसके लिए वे इसरो, सेना और इंडस्ट्री एक्सपर्ट की मदद लेंगे.