कोविड के बाद अमरनाथ यात्रा में लौटी रौनक, चढ़ावे ने तोड़े सारे रिकॉर्ड; दान में 100 गुना उछाल
कोविड के बाद अमरनाथ यात्रा में जबरदस्त रौनक लौटी है. श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, तीर्थयात्रियों द्वारा किए गए दान में 100 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2020-21 में 9.23 लाख रुपये का चढ़ावा अब 2025-26 में 9.75 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. वहीं, ऑनलाइन दान में गिरावट और पंजीकरण शुल्क में तेजी देखने को मिली है. तीर्थयात्रियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है.

Amarnath Yatra Donations: पिछले कुछ सालों में अमरनाथ मंदिर में तीर्थयात्रियों द्वारा किए गए दान में जबरदस्त उछाल आया है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कोविड-19 प्रतिबंधों के बाद तीर्थयात्रा फिर से शुरू होने के बाद तीर्थयात्रियों द्वारा किए गए दान में 100 गुना की बढ़ोतरी हुई है. यह जानकारी आरटीआई के तहत सामने आई है. श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड (SASB) द्वारा जारी किए गए आंकड़े दिखाते हैं कि नकद दान और चढ़ावा वित्तीय वर्ष 2020-21 में मात्र 9.23 लाख रुपये से बढ़कर 2025-26 में 9.75 करोड़ रुपये हो गया. यह लगभग 100 गुना से अधिक की छलांग है.
दान की राशि 2024-25 में 11.58 करोड़ रुपये के शीर्ष स्तर पर पहुंच गई थी, जो 2023-24 में एकत्र हुए 11.15 करोड़ रुपये से कुछ अधिक है. ये आंकड़े बोर्ड ने जम्मू स्थित सामाजिक कार्यकर्ता रमन कुमार शर्मा द्वारा दायर एक सूचना के अधिकार (RTI) के जवाब में जारी किए हैं.
तीर्थयात्रियों की संख्या में भी हुई बढ़ोतरी
इस बढ़ोतरी के पीछे एक प्रमुख कारण तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या है. कोविड प्रतिबंधों को हटाए जाने के बाद 2022 में इस यात्रा ने देशभर से 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को आकर्षित किया. यह संख्या 2023 में लगभग 4.5 लाख, 2024 में 5.1 लाख और इस वर्ष (2025) 4.1 लाख रही. इस वर्ष यात्रा 3 जुलाई को शुरू हुई थी, लेकिन एक सप्ताह पहले ही बारिश से क्षतिग्रस्त पटरियों की मरम्मत की आवश्यकता के कारण इसे रद्द कर दिया गया था.
प्राकृतिक रूप से निर्मित बर्फ के शिवलिंग वाली इस गुफा की यात्रा आमतौर पर जुलाई-अगस्त के दौरान अनंतनाग जिले में 48 किमी लंबे पारंपरिक पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में 14 किमी छोटे लेकिन अधिक खड़ी बलटाल मार्ग से की जाती है.
दान के आंकड़ों का विस्तृत ब्यौरा
SASB के मुख्य लेखा अधिकारी के अनुसार, इसमें नकद दान और चढ़ावे के रूप में प्राप्त राशि इस प्रकार रही —
- 2020-21: 9.23 लाख रुपये
- 2021-22: 12.29 लाख रुपये
- 2022-23: 9.14 करोड़ रुपये
- 2023-24: 11.16 करोड़ रुपये
- 2024-25: 11.59 करोड़ रुपये
- 2025-26: 9.75 करोड़ रुपये
ऑनलाइन दान में आई गिरावट
आंकड़े एक और रोचक तथ्य सामने लाते हैं. वे पारंपरिक नकद चढ़ावे में वापसी के रुझान को दर्शाते हैं. महामारी के दौरान अस्थायी रूप से बढ़े ऑनलाइन दानों में पिछले वर्ष की तुलना में तेजी से गिरावट आई है. ऑनलाइन मोड के माध्यम से प्राप्त दान और चढ़ावे की राशि 2020-21 में 77.09 लाख रुपये, 2021-22 में 1.46 करोड़ रुपये, 2022-23 में 2.39 करोड़ रुपये, 2023-24 में 1.55 करोड़ रुपये, 2024-25 में 1.89 करोड़ रुपये और 2025-26 में घटकर मात्र 80.64 लाख रुपये रह गई.
तीर्थयात्रियों के पंजीकरण शुल्क में भी उछाल
तीर्थयात्रियों से प्राप्त पंजीकरण शुल्क में भी कई गुना बढ़ोतरी देखी गई है. पंजीकरण शुल्क 2020-21 और 2021-22 में मात्र 0.12 लाख रुपये से बढ़कर 2022-23 में 4 करोड़ रुपये, 2023-24 में 5.56 करोड़ रुपये, 2024-25 में 5.35 करोड़ रुपये और 2025-26 में 7.71 करोड़ रुपये हो गया.
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