संसद में उठा अश्लील विज्ञापन का मुद्दा, तीन साल में 73 मामले सामने आए

सरकार ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में निजी टीवी चैनलों पर अश्लील विज्ञापनों के खिलाफ 73 शिकायतें प्राप्त हुईं. इन शिकायतों को तीन-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली के तहत निपटाया जा रहा है. सरकार ने बताया कि पहले उल्लंघन करने वाले को एडवाइजरी जारी की जाती है, फिर चेतावनी दी जाती है, और यदि इसके बाद भी दोषी पर कार्रवाई नहीं की जाती, तो सरकार ऑफ-एयर का आदेश देती है.

पिछले तीन वर्षों में निजी टीवी चैनलों पर अश्लील और आपत्तिजनक विज्ञापनों के खिलाफ 73 शिकायतें प्राप्त हुई हैं.

देश में बढ़ते अश्लील विज्ञापनों की शिकायत पर सरकार ने संसद में जानकारी दी है. शनिवार को जानकारी देते हुए बताया कि पिछले तीन वर्षों में निजी टीवी चैनलों पर अश्लील और आपत्तिजनक विज्ञापनों के खिलाफ 73 शिकायतें प्राप्त हुई हैं. सरकार ने राज्यसभा में बताया कि इन शिकायतों को तीन-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली के जरिए निपटाया जा रहा है.

सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन ने बताया कि सरकार ने इस मुद्दे से निपटने के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियमों के तहत तीन-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली बनाई है. इसमें ब्रॉडकास्टर्स द्वारा सेल्फ-रेगुलेशन, ब्रॉडकास्टर्स की निकाय द्वारा सेल्फ-रेगुलेशन और केंद्र सरकार द्वारा रेगुलेशन शामिल है.

शिकायत मिलते ही कार्रवाई

मंत्री ने बताया कि यदि सरकार को विज्ञापनों से जुड़ी कोई भी शिकायत मिलती है, तो वह तुरंत कार्रवाई करती है. वल्गर विज्ञापनों पर सरकार की कार्रवाई के बारे में मुरुगन ने बताया कि पहले उल्लंघन करने वाले को एडवाइजरी जारी की जाती है, फिर चेतावनी दी जाती है, और यदि इसके बाद भी कार्रवाई नहीं की जाती, तो सरकार ऑफ-एयर का आदेश देती है.

आईटी नियमों का पालन अनिवार्य

मुरुगन ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को 2021 के आईटी नियमों का पालन करना अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भी सेल्फ-रेगुलेटेड होते हैं और यह खुद तय करते हैं कि उनके प्लेटफॉर्म पर ऐसी सामग्री न हो जो कानून के खिलाफ हो. मंत्री ने कहा कि इन प्लेटफॉर्म्स को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वे बच्चों के लिए हानिकारक कंटेंट ना दिखाएं.

आईटी नियम क्या हैं?

इन नियमों का मुख्य उद्देश्य सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स के यूजर्स को उनकी शिकायतों का समाधान करने के लिए एक मजबूत तंत्र प्रदान करना है. साथ ही, इन नियमों में खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान दिया गया है, ताकि सोशल मीडिया पर यौन अपराधों से बचाव किया जा सके.

नियमों में यह भी कहा गया है कि ऑनलाइन सामग्री प्रकाशित करने वाले और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को देश के संविधान का पालन करना चाहिए और वे भारत के कानूनों के अधीन होंगे.