अब हर कोई चाहे ब्रह्मोस, लाइन में ये देश; आपरेशन सिंदूर के बाद गजब का क्रेज

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने वैश्विक ध्यान खींचा है. कई देश इसे अपने सैन्य बेड़े में शामिल करना चाहते हैं. वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, मिस्र और ब्राजील जैसे देश भारत से मिसाइल खरीद पर विचार कर रहे हैं. ब्रह्मोस की रेंज, गति और सटीकता इसे दुनिया की अग्रणी मिसाइलों में शामिल करती है. यह DRDO और रूस के सहयोग से बनी है और "फायर एंड फॉरगेट" तकनीक से लैस है.

ब्रह्मोस मिसाइल Image Credit: money9live.com

Brahmos Missile Demand: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने भारतीय मिसाइलों का पराक्रम देखा है. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने न केवल भारत को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के भीतर कई रणनीतिक स्थानों को निशाना बनाया, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि कैसे स्वदेशी भारतीय हथियार शक्तिशाली हैं और मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं. न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के कई देश अब इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं और अपने सैन्य बेड़े में इसे शामिल करना चाहते हैं. इस साल अप्रैल में भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों की दूसरी खेप फिलीपींस को भेजी थी. यह 2022 में साइन हुए 375 मिलियन डॉलर के सौदे के बाद हुआ. तो चलिए आपको बताते हैं कि दुनिया के कौन-कौन से देश इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

क्या है ब्रह्मोस

ब्रह्मोस एक लंबी दूरी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम है. इसे जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च किया जा सकता है. इसे डीआरडीओ (भारत) और एनपीओएम (रूस) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है. ब्रह्मोस का नाम ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदियों के नामों पर रखा गया है.

वर्तमान में भारत के पास इस मिसाइल के तीन वेरिएंट हैं — एयर लॉन्च वर्जन, लैंड-बेस्ड वर्जन और सबमरीन-बेस्ड वर्जन. ज्वाइंट वेंचर में भारत की 50.5 प्रतिशत और रूस की 49.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. मिसाइल का पहला सफल परीक्षण 12 जून 2001 को ओडिशा के चांदीपुर तट पर किया गया था.

कैसे करता है काम

ब्रह्मोस एक टू-स्टेज मिसाइल है. पहले चरण में इंजन मिसाइल को सुपरसोनिक गति पर लाता है और फिर अलग हो जाता है. दूसरे चरण में दूसरा इंजन काम करता है, जो मिसाइल को 3 मैक (ध्वनि की गति से 3 गुना तेज) तक ले जाता है. यह मिसाइल को लक्ष्य तक पहुंचाता है और इसमें स्टील्थ टेक्नोलॉजी (दुश्मन को दिखाई न देने वाली तकनीक) और एडवांस्ड गाइडेंस सिस्टम लगा होता है.

यह “फायर एंड फॉरगेट” मिसाइल है, यानी एक बार छोड़ने के बाद यह अपने आप लक्ष्य तक पहुंच जाती है. यह अलग-अलग ऊंचाई और रास्तों से उड़कर दुश्मन को चकमा दे सकती है. यह 15 किमी की ऊंचाई तक उड़ सकती है, लेकिन अंत में 10 मीटर की बहुत कम ऊंचाई से हमला करती है, जिससे बचना मुश्किल होता है.

यह भी पढ़ें: बॉर्डर से कितनी दूर है किराना हिल, परमाणु रिसाव से क्या भारतीयों को भी खतरा! सबसे नजदीक ये शहर

कौन से देश दिखा रहे हैं दिलचस्पी

न्यूज18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई देश इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं.