चीन का एक और खेला, भारतीय ड्रोन कंपनी का चुरा लिया IPR, जानिए क्या है आरोप

भारतीय ड्रोन कंपनी ने चीनी कंपनियों पर अपनी ऑटोपायलट टेक्नोलॉजी के कॉपीराइट का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. साथ ही सरकार से अपनी इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी की रक्षा के लिए इम्पोर्ट पर अंकुश लगाने की मांग की है. जुप्पा जियो नेविगेशन टेक्नोलॉजी ने डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड को पत्र लिखकर चीनी कंपनियों से इम्पोर्ट पर बैन लगाने का आग्रह किया है.

भारतीय ड्रोन कंपनी ने चीन पर गंभीर कॉपीराइट का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है Image Credit: Mark Newman/The Image Bank/Getty Images

भारतीय ड्रोन कंपनी ने चीन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कंपनी ने चीनी यूनिट पर अपनी ऑटोपायलट टेक्नोलॉजी के कॉपीराइट का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है और सरकार से अपनी इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी की रक्षा के लिए इम्पोर्ट पर अंकुश लगाने की मांग की है. चेन्नई स्थित जुप्पा जियो नेविगेशन टेक्नोलॉजी ने डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) को पत्र लिखकर चीनी कंपनियों से इम्पोर्ट पर बैन लगाने का आग्रह किया है, जो उसके पेटेंट का उल्लंघन कर रही हैं.

इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी का उल्लंघन

डीजीएफटी को भेजे गए एक पत्र में भारतीय कंपनी ने उल्लेख किया है कि उसे इस साल अप्रैल में ‘सिस्टम ऑफ डिसेमिनेटेड पैरेलल कंट्रोल कंप्यूटिंग इन रियल टाइम’ नामक रियल-टाइम कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर के लिए पेटेंट मिला था. कंपनी ने बताया कि यह पेटेंट उसे नौ साल की लंबी जांच प्रक्रिया के बाद दिया गया.

कंपनी का आरोप है कि शंघाई स्थित कंपनी JIYI रोबोट भारत को ऐसा ऑटोपायलट एक्सपोर्ट कर रही है, जो सीधे तौर पर उसकी इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी का उल्लंघन करता है. इसके अलावा, कंपनी ने दावा किया कि चीन की एक अन्य कंपनी CUAV भी ऐसे ऑटोपायलट की आपूर्ति कर रही है, जो कथित रूप से उसके कॉपीराइट का उल्लंघन करता है.

चीन पर पहले भी लगते रहे हैं आरोप

चीन पर अमेरिका और कई अन्य देशों ने अक्सर इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी के आरोप लगाए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों (इंटरनेशनल ट्रेड एग्रीमेंट) का उल्लंघन है. अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के डेरेक सिजर्स के अनुसार, चीनी कंपनियां इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी के जरिए महंगी रिसर्च और डेवलपमेंट का उपयोग कर सस्ते दामों पर प्रोडक्ट तैयार करती हैं. इन प्रोडक्ट को अधिक मात्रा में बनाकर दुनियाभर के बाजार में बेचा जाता है, जिससे उनके प्रोडक्ट की कीमत कम हो जाती है.

सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के टेक्नोलॉजी पॉलिसी प्रोग्राम के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और डायरेक्टर जेम्स लुईस का कहना है कि चीन की रणनीति पश्चिमी कंपनियों से टेक्नोलॉजी हासिल करना है. इसके बाद इस पर सब्सिडी देकर अपने प्रोडक्ट तैयार करना और फिर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कंपटीशन करना है. इसके अलावा, चीन पर रिवर्स इंजीनियरिंग के आरोप भी कई देशों ने लगाए हैं.

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