सिंधु जल समझौते पर गिड़गिड़ाने लगा पाकिस्तान, भारत से मांगी भीख; दे रहा ये दुहाई

पाकिस्तान ने पहली बार भारत के सामने झुकते हुए सिंधु जल समझौते पर चर्चा करने की इच्छा जताई है, जिसे भारत ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद निलंबित कर दिया था. भारत इस समझौते में कुछ बदलाव चाहता है और विश्व बैंक की भूमिका को भी कम करना चाहता है.

सिंधु जल समझौता पर पाकिस्तान झुका Image Credit: Money9live/Canva

Indus Waters Treaty: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने बिना समय लिए तत्काल प्रभाव से सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया था. इसे लेकर अब पाकिस्तान भारत के सामने झुकता हुआ नजर आ रहा है. इस समझौते को निलंबित किए महिना भर भी नहीं हुआ कि पाकिस्तान इस पर बात करने के लिए तरस गया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में ये सामने आया है कि पहली बार पाकिस्तान ने संकेत दिया है कि वह इस समझौते को लेकर भारत की चिंताओं पर बातचीत करने को तैयार है. 23 अप्रैल को भारत ने पाकिस्तान को आधिकारिक तौर पर सूचित किया था कि उसने 1960 के सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.

पाक पहली बार चर्चा करने को तैयार

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने हाल ही में भारत की उस चिट्ठी का जवाब दिया है जिसमें भारत ने कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी दी थी. मुर्तजा ने कहा कि वो भारत की आपत्तियों पर चर्चा करने को तैयार है.

हालांकि, उन्होंने यह भी पूछा कि भारत ने समझौते को निलंबित करने का आधार क्या माना है, क्योंकि समझौते में कहीं भी इसे छोड़ने या निलंबित करने का प्रावधान नहीं है.

पाकिस्तान ने पहले कभी नहीं सुना

दरअसल भारत ने पहले भी जनवरी 2023 और सितंबर 2024 में पाकिस्तान से कहा था कि समझौते की समीक्षा और उसमें संशोधन किया जाना चाहिए लेकिन तब पाकिस्तान ने खुलकर सहमति नहीं दी थी. अब जब भारत ने इसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया तो पाकिस्तान ने पहली बार कुछ पॉजिटिव संकेत दिए हैं.

जब तक आतंकवाद तब तक समझौता नहीं

13 मई को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि “यह समझौता आपसी मित्रता और सद्भाव के आधार पर किया गया था. लेकिन जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह और भरोसेमंद तरीके से नहीं छोड़ता, भारत इसे निलंबित ही रखेगा.”

प्रधानमंत्री मोदी भी कह चुके हैं कि, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते.”

समझौते में क्या बदलना चाहता है भारत

भारत कुछ विशेष बिंदुओं को बदलना चाहता है, जैसे कि निपटारे का प्रोसेस. अभी स्थिति यह है कि भारत, पाकिस्तान और विश्व बैंक तीनों के पास अलग-अलग समझ है कि विवाद कैसे सुलझाया जाए. भारत चाहता है कि इसे स्पष्ट किया जाए ना कि दो अलग-अलग मंचों (कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन और न्यूट्रल एक्सपर्ट) के जरिए एक ही मुद्दे को सुलझाने की कोशिश हो, जैसा किशनगंगा और रटले प्रोजेक्ट्स में हुआ था.

भारत ये भी चाहता है कि इस मामले में विश्व बैंक की भूमिका ना हो.

बता दें ये समझौता 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच नौ साल की बातचीत के बाद हुआ था. इसमें 12 आर्टिकल और 8 एनेक्शर हैं. इसके मुताबिक, भारत को पूर्वी नदियों जैसे सतलुज, ब्यास और रावी का पूरा पानी बिना किसी रोक के इस्तेमाल करने का अधिकार है. वहीं, पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों जैसे सिंधु, झेलम और चिनाब से पानी मिलता है.