OMG! ये सरकारी बैंक ही उड़ा रही मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धज्जियां, FIU ने लगाई जोरदार चपत

हैरान करने वाला मामला सामने आया है. भारत सरकार की 60% की हिस्सेदारी वाली एक बड़ी बैंक पर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा है. इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) ने बैंक पर जुर्माना लगाया है.

यूनियन बैंक मुख्यालय Image Credit: Union Bank

वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) ने कई संदिग्ध ट्रांजेक्शन की जानकारी नहीं देने पर एक सरकारी बैंक पर कड़ी कार्रवाई की है. एफआईयू ने बुधवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि मुंबई स्थित एक सरकारी बैंक की शाखा पर 54 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. बैंक की इस शाखा पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगा है. फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट को बैंक से जुड़े कई खातों में संदिग्ध लेनदेन मिले थे.

पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक एफआईयू ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुंबई स्थित एक ब्रांच पर 54 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. बैंक पर आरोप है कि कई संदिग्ध ट्रांजैक्शंस के बारे में नियमों के तहत जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई. रिपोर्ट के मुताबिक एफआईयू ने इस मामले में बैंक को 1 अक्टूबर को पीएमएलए की धारा 13 के तहत नोटिस भी भेजा, जिसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. इसके बाद यह कार्रवाई की गई है.

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी का कहना है कि बैंक से इस मामले में सभी तरह की जानकारी मांगी गई. बैंक की तरफ से दी गई लिखित और जानकारियों पर विचार करने के बाद उसके खिलाफ लगे आरोपों को सही पाया गया और मनी लॉन्ड्रिंग के साथ ही अपने ग्राहक को जानें ( केवाईसी) के नियमों के अनुपालन में भी अनियमितताएं पाई गईं. अधिकारी ने बताया कि मामला यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुंबई स्थित हिल रोड स्थित शाखा से जुड़ा है.

बैंक ने की ये बड़ी गड़बड़

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक की हिल रोड शाखा के कुछ खास चालू खातों की जांच से पता चला कि एक एनबीएफसी और उससे जुड़ी इकाइयों के खातों में बड़े पैमाने पर पैसे भेजे गए. जांच में सामने आया कि ये रकम सामान्य नियंत्रण वाली इकाइयों की तरफ से भेजी गई, जो एक ही पते पर रजिस्टर्ड थीं और इनके मालिक भी समान ही थे. जांच में यह भी सामने आया कि बैंक की तरफ से इन खातों की की पर्याप्त जांच नहीं की गई और मनी लॉन्ड्रिंग नियमों के तहत इन लेनदेन की जानकारी एफआईयू को नहीं दी गई.