पाक को फिदायीन नहीं, याद आ रहा है सुसाइड ड्रोन; जानें भारत को कहां से मिली नागास्त्र-खड्ग की ताकत
एक खुफिया सैन्य ऑपरेशन जो आधी रात को अंजाम दिया गया. निशाना बने वो ठिकाने जहां से भारत पर साजिशें रची जाती थीं. इन ठिकानों को नेस्तानाबूत करने के लिए भारत ने अपनी नई आत्मघाती ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. आर्टिकल में पढ़ें क्या है ये ड्रोन और इसकी खासियत और किसने बनाया है इन हथियारों को.

Operation Sindoor Suicide Drone: 7 मई 2025 की रात भारतीय सेना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब बात देश की सुरक्षा की हो तो जवाबी कार्रवाई तेज, सटीक और घातक होती है. रात 1.05 बजे शुरू हुए ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में मौजूद आतंकवादी ठिकानों को एक-एक कर निशाना बनाया. इस ऑपरेशन में कुल 9 आतंकी शिविर तबाह किए गए. खास बात यह रही कि पूरा हमला भारतीय सीमा से ही अंजाम दिया गया और इसमें आधुनिक हथियारों के साथ-साथ भारत ने खतरनाक सुसाइड ड्रोन का इस्तेमाल किया. इसे सैन्य भाषा में Loitering Munition कहा जाता है,
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस हमले में किस सुसाइड ड्रोन का इस्तेमाल किया गया लेकिन मौजूदा समय में भारत के पास तीन अत्याधुनिक ‘कामिकाजे’ या ‘सुसाइड’ ड्रोन हैं- Warmate, Kharga, और Nagastra.
क्या होता है सुसाइड ड्रोन?
सुसाइड ड्रोन या Loitering Munition एक बार इस्तेमाल होने वाला हवाई हथियार होता है. इसे लक्ष्य के इलाके में भेजा जाता है, जहां यह हवा में मंडराता है और जब टारगेट फिक्स हो जाता है तो सीधे जाकर उस जगह पर टकरा जाता है और विस्फोट कर देता है. यह डिवाइस किसी मानव नियंत्रक के निर्देश पर या पूरी तरह ऑटोनॉमस मोड में काम कर सकता है.
हाल के वर्षों में रूस-यूक्रेन युद्ध, अर्मेनिया-अजरबैजान संघर्ष और सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हमलों में इन ड्रोन का प्रभाव साफ देखा गया है.
भारत के पास मौजूद तीन प्रमुख सुसाइड ड्रोन
- वॉरमेट ड्रोन
Warmate एक हाई-एक्सप्लोसिव वॉरहेड वाला सुसाइड ड्रोन है जो बख्तरबंद लक्ष्यों को बेहद सटीकता से निशाना बना सकता है. इसकी रेंज 30 किलोमीटर है और यह लगातार 70 मिनट तक हवा में रह सकता है. इस ड्रोन की एक खासियत यह है कि यह रीकॉन्सेन्स (जासूसी) मोड से सीधे अटैक मोड में शिफ्ट हो सकता है. हल्का और पोर्टेबल होने के वजह से इसे जमीन से सैनिक या वाहन से भी लॉन्च किया जा सकता है. वॉरमेट मूलतः पोलैंड में विकसित किया गया है और भारत ने इसे रक्षा सहयोग के तहत खरीदा है.
- खड्ग ड्रोन
Kharga भारतीय सेना द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित एक हाई-स्पीड, लो-वेट ड्रोन है जो 40 मीटर/सेकंड की गति से उड़ सकता है. यह 700 ग्राम तक का विस्फोटक लेकर उड़ान भर सकता है और इसमें GPS, नेविगेशन सिस्टम और हाई डेफिनिशन कैमरा भी मौजूद है. इसकी रेंज लगभग डेढ़ किलोमीटर है लेकिन इसकी असली ताकत है रडार से बचने की क्षमता और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के खिलाफ सुरक्षा. भारतीय सेना की खड़गा कोरे ने ये स्वदेशी ड्रोन बनाए हैं. इसलिए इन्हें नाम दिया गया है खड्ग कामकाजी ड्रोन.
- नागास्त्र
नागास्त्र भारत का पहला स्वदेशी सुसाइड ड्रोन है. यह 9 किलो वजनी ड्रोन 30 मिनट तक उड़ सकता है और 30 किलोमीटर तक की ऑटोनॉमस रेंज रखता है. इसमें दिन और रात दोनों समय काम करने वाले कैमरे, GPS-आधारित सटीकता (2 मीटर तक) और 1 किलो वॉरहेड की क्षमता है. खास बात यह है कि इसे जरूरत पड़ने पर पैराशूट से रिकवर भी किया जा सकता है. जिससे ये दोबारा इस्तेमाल लायक बन जाता है.
किसने बनाया है नागास्त्र?
भारत के पहले स्वदेशी सुसाइड ड्रोन नागास्त्र-1 को नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड ने विकसित किया है. इसके निर्माण में इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL) और Z-Motion ऑटोनॉमस सिस्टम्स ने मिलकर काम किया है. 75 फीसदी से अधिक पुर्जे देश में ही बनाए गए हैं जो इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में बड़ा कदम बनाते हैं.
सोलर इंडस्ट्रीज न केवल नागास्त्र बनाने में आगे है, बल्कि इसने पहले भी कई उपलब्धियां हासिल की हैं. जैसे ब्रह्मोस बूस्टर का पहला सफल प्राइवेट निर्माण, ISRO के लिए पीएसओएम-XL मोटर की सफल स्टैटिक टेस्टिंग और भारतीय नौसेना को 30 मिमी गोला-बारूद की आपूर्ति.
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क्यों खास है सुसाइड ड्रोन?
हालिया युद्ध जैसे रूस-यूक्रेन, अजरबैजान-अर्मेनिया संघर्ष और सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हमलों में सुसाइड ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. सुसाइड ड्रोन न केवल सटीक हमला करते हैं, बल्कि कम लागत में ज्यादा असर छोड़ते हैं.
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