सिंधु को लेकर आपस में भिड़ गए पाकिस्तानी, चोलिस्तान बना नासूर; भारत ने दिया 94500 करोड़ का पहला झटका

भारत की ओर से सिंधु जल संधि निलंबित किए जाने और पाकिस्तान के अंदर बढ़ते विरोध के चलते चोलिस्तान नहर परियोजना रोक दी गई है. यह प्रोजेक्ट चोलिस्तान रेगिस्तान को हरा-भरा करने के लिए शुरू किया गया था. लेकिन भारत से पानी रोकने का खतरा और सिंध प्रांत के किसानों के विरोध ने पाकिस्तान को दोहरे संकट में डाल दिया है. जानें इस पूरे मसले को आसानी से.

सिंधु और चोलिस्तान नहर Image Credit: @Freepik

Sindhu River and Cholistan Canal: भारत की ओर से सिंधु समझौते पर लगाए गए रोक के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. भारत के इस कदम के बाद से पाकिस्तान ने अपने एक प्रोजेक्ट पर अचानक से रोक लगा दी है. हालांकि ये वह प्रोजेक्ट है जिसको लेकर पाकिस्तान के अंदर भी विरोध के स्वर आते रहे हैं. आइए आपको पाकिस्तान के इस दोहरे संकट के बारे में विस्तार से बताते और समझाते हैं कि भारत के इस कदम से पड़ोसी देश को दिक्कतों का सामना क्यों करना पड़ रहा है.

दरअसल पाकिस्तान ने 24 अप्रैल 2025 को अपनी चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट को अचानक से रोक दिया. यह फैसला भारत की ओर से सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित करने और पाकिस्तान के अंदर बढ़ते विरोध और प्रदर्शन के कारण लिया गया. सरकार के नजरिये से इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य चोलिस्तान रेगिस्तान को हरा-भरा करना था. इसके तहत वहां पर 6 नहरें बननी थीं- पांच सिंधु नदी से और एक सतलुज नदी से जिसका कंट्रोल भारत के पास है. अब पाकिस्तान की ओर से प्रोजेक्ट को रोके जाने के पीछे दो बड़े संकट है- भारत के साथ बिगड़ते रिश्ते और पाकिस्तान के अंदर प्रांतीय विवाद. अब इन अंतर विरोध और भारत के बिगड़ते रिश्ते को समझते हैं.

पहला संकट: सिंधु जल संधि का निलंबन

सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी. मध्यस्थता के तहत 6 नदियों का पानी बांटा गया था, उसमें भारत को सतलुज, रावी और ब्यास (पूर्वी नदियां) मिली थी जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब (पश्चिमी नदियां). दोनों देशों के बीच हुई ये संधि मुश्किल दौर में भी नहीं टूटी थी यानी पाकिस्तान और भारत के बीच टेंशन वाले 1965 और 1971 के दौरान भी संधि पर कोई आंच नहीं आई थी. लेकिन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 23 अप्रैल को इस संधि को निलंबित कर दिया. भारत का कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, संधि लागू नहीं रहेगी.

“नहीं मिलेगा एक बूंद पानी”

भारत के इस फैसला का सीधा असर चोलिस्तान प्रोजेक्ट पर पड़ा है. प्रोजेक्ट की एक नहर सतलुज नदी से पानी लेने वाली थी जिसका कंट्रोल भारत के पास है. अगर भारत पानी रोक देता है तब यह नहर बेकार हो जाएगी. लेकिन भारत का मौजूदा रुख काफी साफ है, देश के जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा कि “पाकिस्तान को सिंधु बेसिन का एक बूंद पानी नहीं मिलेगा.” हालांकि भारत के इस कदम को पाकिस्तान ने अवैध घोषित कर दिया है.

दूसरा संकट: अपने लोग बने विरोधी

पाकिस्तान को दूसरा संकट अपने लोगों के विरोध और प्रांतीय तनाव से हुआ है. चोलिस्तान प्रोजेक्ट को फरवरी 2025 में पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने ग्रीन पाकिस्तान पहल के तहत शुरू किया था. प्रोजेक्ट का लक्ष्य 12 लाख एकड़ बंजर जमीन को खेती योग्य बनाना था. 176 किमी लंबी मुख्य नहर, जिसकी लागत 783 मिलियन डॉलर है, वह 4,120 क्यूसेक पानी ले जाने की क्षमता रखती थी और इसे 2030 तक पूरा करना था.

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पानी खत्म होने का डर

लेकिन पाकिस्तान के इस प्रोजेक्ट को शुरू से ही सिंध प्रांत की ओर से काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. वहां के लोग मानते हैं कि ये नहरें सिंधु नदी से पानी लेंगी जिससे उनकी खेती, पीने का पानी और इंडस डेल्टा का इकोसिस्टम खतरे में पड़ जाएगा. मार्च 2025 में सिंध विधानसभा ने सर्वसम्मति से इस प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया. सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने भी विरोध में प्रदर्शन किए. इसके अलावा कई दलों और लोगों ने इसके खिलाफ रैलियां निकाली थी. इन दोहरे दबाव के बाद पाकिस्तान की सरकार ने प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है.

पाकिस्तान सरकार ने क्या किया फैसला?

इन दोहरे दबावों के बीच, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने PPP नेता बिलावल भुट्टो जरदारी से मुलाकात की. प्रोजेक्ट को लेकर दोनों ने फैसला किया कि जब तक सभी प्रांतों की सहमति नहीं मिलती तबर तक काम रुकेगा. यह मामला अब काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स (CCI) में जाएगा जिसकी बैठक 2 मई 2025 को होनी है.