शुभांशु अंतरिक्ष से भारत के लिए क्या लेकर आएंगे, जानें वे चार बड़े फायदे

भारत ने साल 2027 तक मानव को स्पेस में भेजने और 2035 तक इंडियन स्पेस स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा है. दुनिया के केवल तीन ही देश ऐसे हैं, जिसने ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम में सफलता हासिल की है. इस फेहरिस्त में भारत का नाम चौथे पायदान पर जुड़ सकता है. आइए समझते हैं कि शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचना भारत के ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम के लिए क्यों है खास.

Shubhanshu Shukla Image Credit: Canva/ Money9

Shubhanshu Shukla: अंतरिक्ष अब जिज्ञासा के साथ-साथ प्रतिस्पर्धा का भी केंद्र हो गया है. दुनिया के केवल तीन ही देश ऐसे हैं, जिसने ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम में सफलता हासिल की है. इस फेहरिस्त में भारत का नाम चौथे पायदान पर जुड़ सकता है. इसी कड़ी में भारत ने Axiom – 4 मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष भेजा है. शुभांशु 28 घंटे तक स्पेस में ट्रैवल करने के बाद 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) पहुंच चुके हैं. शुभांशु 14 दिन तक वहां रहेंगे और दर्जनों एक्सपेरिमेंट करेंगे. उनका हर प्रयोग इंडियन ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है. ISRO ने 2027 तक मानव को अंतरिक्ष में भेजने और 2035 तक इंडियन स्पेस स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा है. आइए समझते हैं कि शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचना भारत के ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम के लिए क्यों है खास.

गगनयान मिशन में काम आएगा शुभांशु का अनुभव

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom – 4 मिशन के पायलट हैं. साथ ही वे अंतरिक्ष स्टेशन में जो एक्सपेरिमेंट करेंगे वो गगनयान मिशन के लिए काफी अहम है.

स्पेसक्राफ्ट उड़ाने का फर्स्ट-हैंड एक्सपीरियंस

Axiom – 4 मिशन की लॉन्चिंग, ऑर्बिट में पहुंचने, ISS पर डॉकिंग, अनडॉकिंग, वापसी और सुरक्षित लैंडिंग जैसे हर फेज में शुभांशु शुक्ला अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस मिशन पर शुभांशु को स्पेसक्राफ्ट उड़ाने का फर्स्ट-हैंड एक्सपीरियंस मिलेगा. हालांकि इसरो ने गगनयान मिशन के लिए एयरफोर्स के 4 पायलट को भारत, रूस और अमेरिका में सिम्युलेटर के जरिए ट्रेनिंग कराई है, लेकिन स्पेसक्राफ्ट का फर्स्ट-हैंड एक्सपीरियंस नहीं मिला है. इस मिशन पर मिले अनुभव का इस्तेमाल शुभांशु गगनयान मिशन के दौरान करेंगे.

अंतरिक्ष से पृथ्वी पर कनेक्ट करने और आपात स्थिति को हैंडल करना सीखेंगे

इस मिशन पर शुभांशु शुक्ला को स्पेस नेविगेशन, कम्युनिकेशन और इमरजेंसी हैंडलिंग की ट्रेनिंग दी गई है. उनके ये सारे एक्सपीरियंस और प्रैक्टिस गगनयान मिशन के लिए फायदेमंद होंगे.

माइक्रोग्रैविटी का शरीर पर असर

अंतरिक्ष में पृथ्वी की तुलना में कम गुरुत्वाकर्षण होते हैं. हमारा शरीर धरती के गुरुत्वाकर्षण के लिए अभ्यस्त हो चुका होता है. इसलिए स्पेस में जाने पर अंतरिक्ष यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसलिए एक्सिओम मिशन पर शुभांशु इन चुनौतियों का सामना करेंगे. इसके जरिए ISRO को गगनयान मिशन के एस्ट्रोनॉट्स की बेहतर मेडिकल तैयारी कराने में मदद मिलेगी.

डाइट और वेस्ट मैनेजमेंट का मिलेगा अनुभव

शुभांशु काफी समय से खुद भी स्पेस लाइफस्टाइल का एक्सपीरियंस कर रहे हैं. इस मिशन के लिए उन्हें स्पेशल स्पेस सूट, खाना और वेस्ट मैनेजमेंट के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी गई है. इस दौरान वे स्पेस के लिए उचित खाने, वॉशरूम और वाटर सिस्टम का इस्तेमाल और टेस्ट कर रहे हैं. इसके जरिए वे गगनयान मिशन के लिए बेहतर ऑप्शन तैयार करने में मदद करेंगे.