बिहार SIR: वोटर लिस्ट से बाहर किए गए 3.66 लाख मतदताओं की डिटेल्स पेश करें, SC ने EC को दिया निर्देश
SIR in Bihar: शीर्ष अदालत की यह प्रतिक्रिया तब आई जब चुनाव आयोग से पीठ को यह बताने के लिए कहा गया कि वह पाच अन्य राज्यों में SIR कब कराने की योजना बना रहा है. 30 सितंबर को चुनाव आयोग ने बिहार में फाइनल मतदाता सूची जारी की, जिसमें SIR के बाद लगभग 7.42 करोड़ नाम शामिल थे.
SIR in Bihar: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि चुनावी राज्य बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कराना चुनाव आयोग का विशेषाधिकार और एकाधिकार है और उसे कोई भी निर्देश देना हस्तक्षेप के समान होगा. शीर्ष अदालत की यह प्रतिक्रिया तब आई जब चुनाव आयोग से पीठ को यह बताने के लिए कहा गया कि वह पाच अन्य राज्यों में SIR कब कराने की योजना बना रहा है. अदालत ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि वह ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पब्लिश करने के बाद 3.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने और 21 लाख नए नाम जोड़े जाने के संबंध में गुरुवार (9 अक्टूबर) तक आंकड़े एकत्र करके एक नोट तैयार करे.
SIR चुनाव आयोग का विशेषाधिकार
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, ‘आप क्यों चाहते हैं कि हम सारे काम अपने हाथ में ले लें? SIR का संचालन चुनाव आयोग का विशेषाधिकार और विशेष अधिकार क्षेत्र है. अगर हम बीच में आते हैं, तो यह हस्तक्षेप होगा.’
पक्षों ने रखी अपनी दलील
SIR प्रक्रिया को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जिन लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए थे, उन्हें सूचित नहीं किया गया.
सिंघवी ने कहा, ‘जिन 3.66 लाख लोगों के नाम हटाए गए, उनमें से किसी को भी कोई नोटिस नहीं मिला. किसी को भी कोई कारण नहीं बताया गया. हालांकि अपील का प्रावधान है, लेकिन जानकारी न होने के कारण अपील का सवाल ही नहीं उठता.’ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि 47 लाख नाम हटा दिए गए.
चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वकील राकेश द्विवेदी ने दलीलों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिन लोगों के नाम हटाए गए थे, उन्हें इसकी जानकारी दी गई थी. उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट सूची और फाइनल लिस्ट, दोनों की प्रतियां राजनीतिक दलों को उपलब्ध करा दी गई हैं.
कब जारी हुई थी फाइनल लिस्ट
30 सितंबर को चुनाव आयोग ने बिहार में फाइनल मतदाता सूची जारी की, जिसमें SIR के बाद लगभग 7.42 करोड़ नाम शामिल थे. कुल 68 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए, जिनमें से 21 लाख नाम दावे और आपत्तियों की अवधि के बाद सूची में फिर से जोड़े गए.
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कुछ ऐसे लोगों की सूची देने को कहा, जिन्होंने दावा किया था कि उन्हें मतदाता सूची से अपने नाम हटाए जाने की जानकारी नहीं दी गई थी और वे अपील दायर नहीं कर सकते.
सिस्टम कैसे काम करता है इसे समझें
बेंच ने कहा, ‘हमें यह समझने की जरूरत है कि सिस्टम कैसे काम करता है. वे मुख्यालय से जानकारी नहीं देंगे. उन्हें जमीनी स्तर पर वेरिफाई करना होगा. सवाल यह है कि हम यह किसके लिए कर रहे हैं? लोग आगे क्यों नहीं आ रहे हैं? हमें कम से कम 100 ऐसे लोगों की सूची चाहिए जिनकी यह शिकायत है और जो कहते हैं कि वे अपील दायर करना चाहते हैं, लेकिन हमें आदेश नहीं दिए गए.’ अदालत गुरुवार को मामले की सुनवाई जारी रखेगी.
कब है बिहार में चुनाव?
चुनाव आयोग द्वारा सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में मतदान की घोषणा के बाद, SIR पर सुप्रीम कोर्ट में यह पहली सुनवाई थी. मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा और नतीजे 14 नवंबर को आएंगे.