STT की संवैधानिकता पर उठा सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया, 4 सप्ताह में मांगा जवाब
शेयर बाजार में खरीद-फरोख्त पर लगने वाले सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाया गया है. एक याचिका की सुनवाई करते हुए इस मामले में अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा और क्या है याचिकाकर्ता की मांग?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 6 अक्टूबर, 2025 को सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. यह टैक्स शेयर बाजार में हर खरीद-बिक्री लेनदेन पर लगाया जाता है और 2004 के वित्त अधिनियम के तहत लागू किया गया था. फिलहाल, इस मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी, क्योंकि अदालत ने केंद्र को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.
याचिका में क्या कहा गया है
याचिका दायर करने वाले स्टॉक मार्केट ट्रेडर असीम जुनेजा ने STT को संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(g) और 21 का उल्लंघन बताते हुए इसे असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है. जुनेजा की दलील है कि “STT देश का इकलौता टैक्स है, जो किसी प्रोफेशन के केवल कार्य करने पर लगाया जाता है, न कि मुनाफे पर. यह टैक्स तब भी देना पड़ता है जब ट्रेडर को घाटा हो रहा होता है.”
दंडात्मक है टैक्स का रूप
जुनेजा ने दलील दी है कि भारत में अन्य सभी टैक्स आय या लाभ पर लगाए जाते हैं, लेकिन STT का रूप दंडात्मक या निरुत्साहित करने वाला है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के सामने जुनेजा ने खुद ही अपनी दलीलें पेश करने की इजाजत मांगी है. इस मामले में अब चार सप्ताह बाद फिर से सुनवाई होगी.
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “मुख्य तर्क यह है कि STT वह टैक्स है, जो बिना लाभ-हानि की परवाह किए केवल लेनदेन पर लगाया जाता है. अन्य सभी टैक्स वर्षांत में लाभ के आधार पर लगाए जाते हैं, लेकिन STT घाटे में भी वसूला जाता है. बहरहाल, इस मामले में संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया जाता है, जिन्हें चार सप्ताह में जवाब दाखिल करना होगा.”
डबल टैक्सेशन का मुद्दा
याचिका में यह भी कहा गया है कि STT से दोहरे कराधान (Double Taxation) की स्थिति बनती है. क्योंकि ट्रेडर को एक ही लेनदेन पर कैपिटल गेन टैक्स और STT दोनों चुकाने पड़ते हैं. जुनेजा का कहना है कि STT की तुलना TDS (Tax Deducted at Source) से की जा सकती है, लेकिन फर्क यह है कि TDS को साल के अंत में एडजस्ट या रिफंड किया जा सकता है, जबकि STT के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था से तुलना
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिका, जर्मनी, जापान और सिंगापुर जैसे प्रमुख वित्तीय बाजारों में सेक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स लागू नहीं है, जिससे भारतीय ट्रेडर्स पर प्रतिस्पर्धात्मक दबाव बढ़ता है. जुनेजा ने अदालत के सामने दो प्रमुख मांगें रखी हैं. पहली, STT को पूरी तरह असंवैधानिक घोषित किया जाए, या फिर वैकल्पिक रूप से यह निर्देश दिया जाए कि सालाना कैपिटल गेन टैक्स के खिलाफ STT को एडजस्ट किया जाए, ठीक उसी तरह जैसे TDS को एडजस्ट किया जाता है.
एक्सचेंज की कमाई का बड़ा जरिया
यह पहली बार हुआ है, जब STT की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है. NSE-BSE और सेबी के लिए STT आय का सबसे बड़ा जरिया हैं. बहरहाल, अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और चार सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार की तरफ से जवाब दिया जाना है. अगर कोर्ट इस मामले में आगे जाकर याचिकाकर्ता के हक में कोई फैसला देता है, तो इससे देश के इक्विटी बाजार में बड़ा बदलाव आ सकता है.