जयशंकर ने अमेरिका को दिया कड़ा संदेश, भारत की रेड लाइन का करना पड़ेगा सम्मान; राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि भारत के साथ कोई भी व्यापार समझौता तभी संभव है जब उसकी "रेड लाइन्स" का सम्मान किया जाए. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. जयशंकर ने अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को अनुचित बताया और कहा कि मतभेदों के बावजूद द्विपक्षीय संबंधों के कई क्षेत्रों में सकारात्मक गतिविधियां जारी हैं.
S Jaishankar statement: भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका के साथ कोई भी व्यापार समझौता नई दिल्ली की “रेड लाइन्स” का सम्मान करते हुए ही होगा. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि दोनों देशों के बीच एक समझौते पर पहुंचने के प्रयास जारी हैं, लेकिन यह भारत के मूलभूत हितों से समझौता किए बिना ही होना चाहिए. उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के मुद्दे पर द्विपक्षीय संबंधों में खिंचाव आया है. एक कार्यक्रम में आयोजित संवाददाता सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. जयशंकर ने स्वीकार किया कि भारत और अमेरिका के बीच कुछ “मुद्दे” मौजूद हैं, जिनमें से कई प्रस्तावित व्यापार समझौते को अंतिम रूप न दे पाने से जुड़े हुए हैं.
कुछ चीजें होती हैं जिन पर बातचीत नहीं की जा सकती
विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन पर आप बातचीत कर सकते हैं और कुछ ऐसी होती हैं जिन पर बातचीत नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष व्यापार वार्ताओं पर एक सहमति बिंदु (“लैंडिंग ग्राउंड”) तक नहीं पहुंच पाए हैं, और यह समझ आवश्यक है क्योंकि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है.
लेकिन साथ ही, उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की रेड लाइन्स का सम्मान किया जाना चाहिए. उनके इस बयान को भारत की उस मजबूत स्थिति के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो राष्ट्रीय हितों से जुड़े मसलों पर कोई समझौता नहीं करेगी.
अमेरिका ने भारत पर लगाया 50 फीसदी टैरिफ
भारत-अमेरिका संबंध अगस्त में तनावपूर्ण हो गए थे, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय सामानों पर शुल्क दोगुना करके 50 फीसदी तक कर दिया था. इसमें रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ भी शामिल था. भारत ने अमेरिका की इस कार्रवाई को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अतार्किक” बताया था. हालांकि, पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रम्प के बीच हुई टेलीफोन वार्ता के बाद दोनों देशों ने प्रस्तावित व्यापार समझौते पर काम करने के प्रयास फिर से शुरू किए हैं.
द्विपक्षीय संबंधों के हर पहलू पर असर नहीं
‘कौटिल्य इकोनॉमिक एन्क्लेव’ में ‘Shaping Foreign Policy in Turbulent Times’ विषय पर चर्चा के दौरान जयशंकर ने कहा, “आज हमारे पास अमेरिका के साथ मुद्दे हैं. इसका एक बड़ा हिस्सा यह है कि हम अपनी व्यापार वार्ताओं के लिए एक सहमति बिंदु पर नहीं पहुंचे हैं, और अब तक वहां न पहुंच पाने के कारण भारत पर कुछ टैरिफ लगाए गए हैं.” उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, एक दूसरा टैरिफ भी है, जिसे हमने सार्वजनिक रूप से बहुत अनुचित बताया है, जो हमें रूस से एनर्जी खरीदने के लिए टारगेट करता है, जबकि अन्य देशों ने भी ऐसा किया है उन देशों सहित जिनका रूस के साथ हमारे मुकाबले कहीं अधिक विरोधी संबंध हैं.”
विदेश मंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि व्यापारिक मतभेदों के बावजूद द्विपक्षीय संबंधों के हर पहलू पर इसका असर नहीं पड़ रहा है. उन्होंने कहा, “समस्याएं हैं, मुद्दे हैं, इसे कोई नकार नहीं रहा है. उन मुद्दों पर बातचीत और चर्चा करके उनका समाधान करने की आवश्यकता है, और ठीक यही हम करने की कोशिश कर रहे हैं.” साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि संबंधों के एक बड़े हिस्से में सामान्य व्यवसाय जारी है या कुछ मामलों में पहले से भी अधिक गतिविधि हो रही है.
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