जयपुर के SMS अस्पताल में भीषण आग, 6 मरीजों की मौत, दर्जनों घायल; शॉर्ट सर्किट से हुआ हादसा
जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में आग लग गई. इस घटना में छह मरीजों की मौत हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक आग की शुरुआत एक शॉर्ट सर्किट से हुई. अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर दो आईसीयू हैं.
Jaipur Hospital Fire Incident: जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में सोमवार को सुबह एक बड़ा हादसा हुआ. अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में आग लग गई. इस घटना में छह मरीजों की मौत हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक आग की शुरुआत एक शॉर्ट सर्किट से हुई. यह शॉर्ट सर्किट ट्रॉमा आईसीयू में हुआ, जिससे आग तेजी से फैल गई और जहरीली गैस निकलने लगी. इस वजह से हालात और खराब हो गए.
अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर दो आईसीयू हैं. एक ट्रॉमा आईसीयू और दूसरा सेमी-आईसीयू. इनमें कुल 24 मरीज भर्ती थे. ट्रॉमा आईसीयू में 11 मरीज थे और सेमी-आईसीयू में 13 मरीज थे. आग ट्रॉमा आईसीयू में लगी और तेजी से फैल गई. जहरीली गैस के कारण मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हुई.
कोमा में थे मरीज
उन्होंने बताया कि ज्यादातर मरीज कोमा में थे और गंभीर हालत में थे. जैसे ही आग लगी, अस्पताल के कर्मचारियों ने तुरंत कार्रवाई की. ट्रॉमा सेंटर की टीम, नर्सिंग स्टाफ और वार्ड बॉय ने मिलकर मरीजों को बचाने की कोशिश की. उन्होंने मरीजों को ट्रॉली पर लादकर आईसीयू से बाहर निकाला और दूसरी सुरक्षित जगह पर ले गए.
मरने वालों में दो महिलाएं और चार पुरुष
लेकिन छह मरीजों की हालत इतनी गंभीर थी कि उन्हें बचाया नहीं जा सका. डॉ. धाकड़ ने बताया कि इन छह मरीजों को बचाने के लिए सीपीआर देने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन वे नहीं बच सके. मरने वाले मरीजों में दो महिलाएं और चार पुरुष थे. डॉ. धाकड़ ने यह भी बताया कि अभी पांच अन्य मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है. इनका इलाज चल रहा है और डॉक्टर उनकी जान बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
जहरीली गैस ने कर दिया बड़ा नुकसान
अस्पताल प्रशासन और कर्मचारियों ने मुश्किल हालात में मरीजों को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन आग और जहरीली गैस ने बड़ा नुकसान कर दिया. इस घटना से अस्पताल में सुरक्षा के इंतजामों पर भी सवाल उठ रहे हैं. भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएं ताकि मरीजों की जान सुरक्षित रहे.
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