भारत का अपना स्पेस स्टेशन कब तक? संसद में आया बड़ा अपडेट, 2027 में गगनयान का उड़ान भरना तय
भारत के स्पेस मिशन को लेकर संसद में दो बड़े अपडेट सामने आए हैं. सरकार ने बताया है कि देश मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के अगले चरण में पूरी मजबूती से आगे बढ़ रहा है. इसके साथ ही ISRO की तरफ से तैयार किए जा रहे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की पुख्ता टाइमलाइन भी सामने रखी गई है.
संसद में सरकार ने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 2035 तक पूरी तरह ऑपरेशनल होगा, जबकि पहला मॉड्यूल BAS-01 वर्ष 2028 में लॉन्च होगा. गगनयान मिशन भी ट्रैक पर है और भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन 2027 की पहली तिमाही में भेजने का लक्ष्य बरकरार है. IMAT पैराशूट टेस्ट की सफलता ने मिशन को और मजबूती दी है.
2035 तक तैयार होगा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन
संसद में बताया गया कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station) का डिज़ाइन और कॉन्फ़िगरेशन फाइनल हो चुका है. यह पांच मॉड्यूल वाला स्टेशन होगा और 2035 तक पूर्ण रूप से ऑपरेशनल होने का लक्ष्य तय किया गया है. एक राष्ट्रीय स्तरीय रिव्यू कमेटी इसके डिजाइन और टेक्नोलॉजी की निगरानी कर रही है, जिससे प्रोजेक्ट ट्रैक पर बना हुआ है.
पहला मॉड्यूल BAS-01: लॉन्च लक्ष्य 2028
सरकार ने सितंबर 2024 में ही BAS-01 नाम के पहले मॉड्यूल के विकास और लॉन्च को मंजूरी दी थी. संसद के मुताबिक इस मॉड्यूल की सिस्टम इंजीनियरिंग, सबसिस्टम डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी इवैल्यूएशन तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. ISRO डिजाइन में ऐसे इंटरनेशनल स्टैंडर्ड जोड़ रहा है जिससे भारतीय स्टेशन अन्य देशों के स्पेस मॉड्यूल्स के साथ इंटरऑपरेबल हो सके.
₹20,193 करोड़ का रीवाइज्ड गगनयान बजट
स्पेस स्टेशन के शुरुआती मॉड्यूल और उससे जुड़े प्रीकरसर मिशनों की फंडिंग को गगनयान प्रोग्राम में ही शामिल कर दिया गया है. इसके बाद सितंबर 2024 में इस पूरे प्रोग्राम का बजट बढ़ाकर ₹20,193 करोड़ कर दिया गया. यानी गगनयान और भारतीय स्पेस स्टेशन दोनों अब एक ही व्यापक मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के भीतर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
गगनयान मिशन पर तेज कदम, 2027 में क्रू लॉन्च का लक्ष्य
ड्र. जितेंद्र सिंह ने संसद में बताया कि भारत का पहला मानव मिशन समय पर है और इसे 2027 की पहली तिमाही में लॉन्च करने की तैयारी चल रही है. ISRO ने हाल ही में Integrated Main Parachute Airdrop Test (IMAT) को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिसमें अत्यधिक तनाव वाली स्थिति को जानबूझकर तैयार कर प्रदर्शन देखा गया. यह टेस्ट क्रू मॉड्यूल के पैराशूट सिस्टम की मानव-रेटिंग के लिए सबसे अहम चरणों में से एक है.
पैराशूट सिस्टम का एक्सट्रीम कंडीशन टेस्ट पास
इस टेस्ट में दो मुख्य पैराशूट्स की डिसरीफिंग में देरी कर असिमेट्रिक फोर्स क्रिएट की गई, ताकि यह पता चल सके कि सिस्टम चरम दबाव में भी स्थिर रहता है या नहीं. टेस्ट ने संरचनात्मक मजबूती और लोड-बेयरिंग क्षमता दोनों को सफलतापूर्वक साबित किया. इससे गगनयान की सुरक्षा और विश्वसनीयता को लेकर बड़ा भरोसा मिला है.
सख्त थर्ड-पार्टी रिव्यू और टेस्टिंग फ्रेमवर्क
सरकार ने बताया कि पैराशूट सिस्टम से लेकर पूरे क्रू मॉड्यूल की टेस्टिंग नियमित रूप से Design Review Team, Independent Assessment Committee और National Advisory Panel जैसे स्वतंत्र और विशेषज्ञ समूहों द्वारा की जाती है. ये सभी मानव-रेटिंग मानकों पर हर चरण में जांच करते हैं और ISRO प्रत्येक बड़े टेस्ट के नतीजे समय-समय पर सार्वजनिक भी करता है.
अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग में इमरजेंसी और सर्वाइवल ड्रिल्स
गगनयान क्रू की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसी वजह से अंतरिक्ष यात्रियों को इमरजेंसी लैंडिंग, सर्वाइवल किट ऑपरेशन, समुद्र में उतरने की स्थिति, और मानसिक मजबूती बढ़ाने के लिए विस्तृत ट्रेनिंग दी जा रही है. हर टेस्ट के बाद मिले सबक को ट्रेनिंग और सिस्टम डिजाइन में तुरंत शामिल किया जाता है.
2047 का लक्ष्य: चांद पर भारतीय मानव मिशन
सरकार ने स्पष्ट किया कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और गगनयान मिलकर भारत को अगले दशक में मानव चंद्र मिशन की दिशा में ले जाएंगे. लो अर्थ ऑर्बिट में माइक्रोग्रैविटी रिसर्च, नई तकनीक और दीर्घकालिक स्पेस हैबिटेशन इस विज़न के प्रमुख हिस्से हैं.