देश में कम हुई बेरोजगारी, शहरी के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में लोगों को ज्यादा मिला रोजगार
PLFS 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बेरोजगारी दर 4.9 फीसदी पर आ गई है. ग्रामीण महिलाओं, शहरी पुरुषों, और शहरी महिलाओं की श्रम भागीदारी में हल्के बदलाव दिखे हैं. LFPR, WPR, और UR में भी मामूली उतार-चढ़ाव रहा. बता दें कि LFPR का मतलब होता है कि कुल जनसंख्या में से कितने लोग नौकरी कर रहे हैं या काम की तलाश में हैं.

देश में बेरोजगारी कम हुई है. PLFS की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में 15 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों में बेरोजगारी दर घटकर 4.9 फीसदी हो गई है, जो 2023 में 5 फीसदी थी. ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी में हल्की गिरावट आई है, जो 4.3 फीसदी से घटकर 4.2 फीसदी हो गई, जिसमें पुरुष और महिला दोनों की दर थोड़ी कम हुई है.
वहीं, शहरी पुरुषों में बेरोजगारी 6.0 फीसदी से बढ़कर 6.1 फीसदी हो गई है, जबकि शहरी महिलाओं में यह 8.9 फीसदी से घटकर 8.2 फीसदी हो गई. इससे कुल शहरी बेरोजगारी दर स्थिर होकर 6.7 फीसदी पर बनी रही. कुल मिलाकर देशभर में बेरोजगारी दर में मामूली कमी देखी गई है, जो यह दिखाता है कि रोजगार के अवसरों में थोड़ा सुधार हुआ है.
हेल्पर्स की संख्या में गिरावट
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ग्रामीण महिलाओं के बीच श्रम भागीदारी दर (LFPR) और वर्कर्स पॉपुलेशन रेशियो (WPR) में कमी आने की एक वजह घरेलू उद्यमों में बिना वेतन काम करने वाले ‘हेल्पर्स’ की संख्या में गिरावट है. 2023 में जहां यह आंकड़ा 19.9 फीसदी था, वहीं 2024 में घटकर 18.1 फीसदी रह गया. शहरी इलाकों में सभी श्रेणियों में हल्का सुधार देखा गया. खासतौर पर WPR में जो 47.0 फीसदी से बढ़कर 47.6 फीसदी हो गया. पूरे देश में WPR लगभग स्थिर रहा, जो 53.4 फीसदी से 53.5 फीसदी है.
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शहरी क्षेत्रों में पुरुषों की LFPR 74.3 फीसदी से बढ़कर 75.6 फीसदी हुई और महिलाओं की 25.5 फीसदी से बढ़कर 25.8 फीसदी हो गई. इससे कुल शहरी LFPR 50.3 फीसदी से बढ़कर 51.0 फीसदी हो गया. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कुल लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) 2023 और 2024 के बीच लगभग स्थिर रहा और यह 56.2 फीसीद पर बना रहा, हालांकि शहरी और ग्रामीण इलाकों में थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव जरूर देखने को मिले. दरअसल, LFPR का मतलब होता है कि कुल जनसंख्या में से कितने लोग नौकरी कर रहे हैं या काम की तलाश में हैं.
LFPR में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ
Principal और Subsidiary Status (PS+SS) के आधार पर देखें तो LFPR में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है और यह लगभग पिछले साल के स्तर पर ही बना रहा है. PS+SS (प्रिंसिपल और सब्सिडियरी स्टेटस) पद्धति के तहत, अगर कोई व्यक्ति पिछले 365 दिनों में से कम से कम 30 दिन किसी आर्थिक गतिविधि में शामिल रहा हो, तो उसे रोजगारशुदा माना जाता है. राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो देश का कुल लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) मामूली गिरावट के साथ 59.8 फीसदी से घटकर 59.6 फीसदी हो गया.
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वर्कर पॉपुलेशन रेशियो
वर्कर पॉपुलेशन रेशियो (WPR) में भी इसी तरह की हल्की गिरावट देखी गई. यह 58.0 फीसदी से घटकर 57.7 फीसदी रह गया, जो यह दिखाता है कि भागीदारी दर स्थिर रहने के बावजूद रोजगार में थोड़ी कमी आई है. बेरोजगारी दर (Unemployment Rate – UR) की बात करें तो यह अलग-अलग सेक्टरों में अलग-अलग रुझान दिखा रही है. रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) में हल्की बढ़ोतरी देखी गई है. यह 3.1 फीसदी से बढ़कर 3.2 फीसदी हो गई है. हालांकि, यह वृद्धि मामूली है और कुल मिलाकर बेरोजगारी का स्तर अब भी काफी कम माना जा रहा है.
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