7 मई को 244 जिलों मे होगी मॉक ड्रिल, सायरन बजते ही आपको करने होंगे ये काम
7 मई 2025 को देशभर के 244 सिविल डिफेंस जिलों में एक साथ राष्ट्रीय स्तर की मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी. इस दौरान कई तरह के हालातों से जूझने के लिए रिहर्सल किया जाएगा. ये सारी चीजें सायरन के साथ शुरू होंगी. जानें क्या है ये ड्रिल, इसमें क्या करना होगा, और यह हो क्यों रहा है.

What is Mock Drill that take place on 7th may: 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई. इस खबर से सभी लोग वाकिफ होंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने देश को आश्वस्त करते हुए कहा था कि आतंकियों के साथ उनको पनाह देने वालों को भी अकल्पनीय सजा दी जाएगी. उसके बाद से भारत की ओर से पाकिस्तान पर कई तरह के एक्शन लिए जा चुके हैं. इस कड़ी में अब गृह मंत्रालय ने कई राज्यों से कह दिया कि वे 7 मई को अपने नागरिकों को हवाई हमले से बचने का प्रशिक्षण देने के लिए व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित करें.
अब सवाल उठता है कि आखिर ये मॉक ड्रिल होता क्या है. चुने गए 244 सिविल डिफेंस जिलों में होने वाले इस ड्रिल में आम नागरिकों को क्या करना पड़ता है. अधिकतर लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होगी क्योंकि 1971 के बाद यह पहली बार होने जा रहा है. आइए विस्तार से समझते हैं इसके बारे में.
क्या है सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल?
यह एक तरह का रिहर्सल या अभ्यास होता है जिसमें आम नागरिकों को सिखाया जाता है कि वे युद्ध जैसे हालात (जैसे हवाई हमला या मिसाइल स्ट्राइक) में कैसे सुरक्षित रह सकते हैं. राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को ड्रिल आयोजित करने और उसकी देखरेख करने का निर्देश दिया जाता है. इस दौरान असली युद्ध जैसे हालात पैदा किए जाते हैं, जैसे- सायरन बजाए जाते हैं, शहरों की लाइट्स बंद कर दी जाती हैं, लोगों को शेल्टर में ले जाने का अभ्यास होता है और इमरजेंसी सेवाएं एक्टिव होती हैं.
कौन-कौन लेगा भाग?
गृह मंत्रालय (MHA) ने सोमवार, 2 मई को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश जारी किया था कि वे इस ड्रिल की तैयारी करें. इस रिहर्सल में स्थानीय प्रशासन, सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड्स, नेशनल कैडेट कॉर्प्स (NCC), नेशनल सर्विस स्कीम (NSS), नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) और स्कूल-कॉलेज के छात्र हिस्सा लेंगे. अधिकारियों के मुताबिक, यह रिहर्सल सिविल डिफेंस रूल, 1968 के अंतर्गत आता है. अब सवाल कि ड्रिल में क्या-क्या कराया जाता है.
ड्रिल में क्या-क्या होगा?
ड्रिल को मुख्य रूप से पांच हिस्सों में बांटा गया है ताकि सभी जरूरी पहलुओं पर ध्यान दिया जा सके. आइए एक-एक कर सभी के बारे में समझते हैं.
- एयर रेड सायरन- संभावित खतरे वाले इलाकों में हवाई हमले के संकेत देने वाले सायरन बजाए जाएंगे. ये अलार्म सिस्टम लोगों को हवाई खतरों को लेकर अवेयर करते हैं जिसकी मदद से उन्हें सुरक्षा पाने के लिए पर्याप्त समय मिल सके.
- जनता को दी जाएगी ट्रेनिंग- स्कूलों, दफ्तरों और कम्युनिटी सेंटर्स में वर्कशॉप होंगे जहां लोगों को सिखाया जाएगा कि खतरे के वक्त कैसे काम करें. जैसे जमीन पर लेटना, शेल्टर खोजना, फर्स्ट एड देना और घबराने से बचना.
- ब्लैकआउट- कुछ शहरों में अचानक लाइट्स बंद कर दी जाएंगी ताकि दुश्मन, रात में ठिकानों को पहचान न सके. इस तकनीक का इस्तेमाल 1971 के बांग्लादेश लिबरेशन वॉर के वक्त किया गया था.
- कैमोफ्लाज (छिपाने) का रिहर्सल- सेना के ठिकानों, मोबाइल टावर और पावर प्लांट जैसे अहम जगहों को ढककर दुश्मन की नजर से छिपाने की प्रैक्टिस की जाएगी. इसकी मदद से सैटेलाइट निगरानी के दौरान उनका पता लगाना मुश्किल हो जाएगा.
- निकासी ड्रिल (Evacuation Drill)- ज्यादा खतरे वाले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की रिहर्सल की जाएगी. इससे यह जांचा जाएगा कि ऐसी स्थिति में रास्ते, रिसोर्सेज और समय कितने प्रभावी हैं.
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इस राज्य में शुरू हुई रिहर्सल
7 मई से पहले ही कुछ जगहों पर प्रैक्टिश शुरू हो चुके हैं. पंजाब के फिरोजपुर छावनी में रविवार, 4 मई को शाम को 30 मिनट का ब्लैकआउट ड्रिल किया गया था जो पूरे देश में होने वाले अभ्यास का एक छोटा रूप था. मॉक ड्रिल के बाद देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को “एक्शन टेकन रिपोर्ट” जमा करनी होगी. इस रिपोर्ट में रिहर्सल से जुड़ा एक्सपीरिएंस, सुझाव, परेशानियां और बेहतरी के सुझाव को शामिल किया जाएगा.
क्यों है ड्रिल जरूरी?
इस ड्रिल को कराने के पीछे के कारण के तौर पर गृह मंत्रालय का कहना है कि यह केवल रिहर्सल भर नहीं है बल्कि यह दर्शाता है कि देश की सुरक्षा सिर्फ सेना नहीं आम जनता की तैयारी से भी मजबूत होती है. जब नागरिकों को पता होता है कि क्या करना है, कब करना है और कैसे शांत रहना है, तब देश की स्थिति और मजबूत और स्थिर होती है.
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