सिंधु जल संधि छोड़िए…अब 41 साल पुराना तुलबुल बनेगा पाक के लिए संकट, कभी दुश्मन ने रुकवा दिया था
भारत ने पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है. हाल ही में पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया था. भारत ने पाकिस्तान की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने का फैसला किया है. ऐसे में आइए जानते है कि आखिर क्या है ये तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट, जिससे पाकिस्तान अपने घुटनों पर आ जाएगा. तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी पर एक Controlled Water Storage Project है.

Tulbul Navigation Project: भारत ने पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है. हाल ही में पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया था. पाकिस्तान अपनी खेती के लिए भारत से आने वाले पानी पर बहुत निर्भर है और उसने गीदड़भभकी दी है कि अगर भारत पानी रोकेगा तो इसे युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा. लेकिन भारत ने पाकिस्तान की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने का फैसला किया है. ऐसे में आइए जानते है कि आखिर क्या है ये तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट, जिससे पाकिस्तान अपने घुटनों पर आ जाएगा.
क्या है तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट?
तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी पर एक Controlled Water Storage Project है. यह प्रोजेक्ट वुलर झील के मुहाने पर एक 439 फीट लंबा और 40 फीट चौड़ा ढांचा बनाने के लिए शुरू किया गया था. इसका मकसद झेलम नदी को साल भर नावों के लिए उपयोगी बनाना है, खासकर जब पानी कम होता है. यह प्रोजेक्ट वुलर झील में करीब 3 लाख एकड़-फीट पानी जमा करेगा. इससे बारामूला और श्रीनगर के बीच नावों का आवागमन आसान होगा. इससे न केवल परिवहन बेहतर होगा, बल्कि सिंचाई और बिजली उत्पादन में भी मदद मिलेगी.

क्या है इस प्रोजेक्ट का इतिहास?
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत साल 1984 में हुई थी, लेकिन साल 1987 में पाकिस्तान के विरोध के कारण इसे रोक दिया गया. पाकिस्तान ने दावा किया कि यह प्रोजेक्ट IWT का उल्लंघन करता है. साल 2010 में इसे फिर से शुरू किया गया और साल 2016 तक लगभग 80% काम पूरा हो चुका था. लेकिन बाद में यह फिर रुक गया. अब भारत ने IWT को निलंबित करने के बाद इसे दोबारा शुरू करने का फैसला किया है.
भारत को इससे कैसे मिलेगा फायदा?
IWT के तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का पूरा हक मिला है, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी ज्यादातर पाकिस्तान को जाता है. भारत इन नदियों का पानी नेविगेशन और बिजली उत्पादन जैसे कामों के लिए इस्तेमाल कर सकता है. तुलबुल प्रोजेक्ट भारत को अपने हिस्से का पानी बेहतर ढंग से इस्तेमाल करने में मदद करेगा. यह कश्मीर में व्यापार, रोजगार और कनेक्टिविटी बढ़ाएगा. साथ ही यह बिजली उत्पादन को स्थिर करेगा और बाढ़ के खतरे को कम करेगा.
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पाकिस्तान तुलबुल प्रोजेक्ट का क्यों करता है विरोध?
पाकिस्तान का कहना है कि तुलबुल प्रोजेक्ट से भारत झेलम नदी का पानी रोक सकता है. वह इसे IWT का उल्लंघन मानता है. दूसरी ओर, भारत का कहना है कि यह प्रोजेक्ट IWT के नियमों के तहत है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह पानी का भंडारण नहीं, बल्कि नेविगेशन के लिए है. तुलबुल प्रोजेक्ट जम्मू-कश्मीर में भी विवाद का विषय है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने की बात कही. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आपत्ति जताई.
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