मोटापा बढ़ा सकता है आपका हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम, जानें और किन कारणों से बढ़ती है प्रीमियम की रकम
अब इश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम निर्धारित करते समय शराब-तंबाकू के बाद मोटापे को भी आधार बना रही है. मतलब साफ है कि मोटापे का शिकार हुए व्यक्ति का प्रीमियम अधिक होगा. आइए जानते हैं कि ऐसे और कौन-कौन से फैक्टर हैं जो आपके हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम को बढ़ा सकता है.

सुभाष और सुहेल एक ही सोसाइटी में रहते हैं. दोनों की उम्र और कद लगभग बराबर है. दोनों ने एक ही इंश्योरेंस कंपनी से 15 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा ले रखा है. लेकिन सुभाष को सुहेल से 1,200 रुपये अधिक प्रीमियम देना पड़ता है. ऐसा इसलिए क्योंकि सुभाष का वजन सुहेल से 15 किलो अधिक है. सुहेल का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) सामान्य (18 से 25) है. जबकि सुभाष ओवरवेट श्रेणी (26 से 30) में है.
अब इश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम निर्धारित करते समय शराब-तंबाकू के बाद मोटापे को भी आधार बना रही है. मतलब साफ है कि मोटापे का शिकार हुए व्यक्ति का प्रीमियम अधिक होगा. आइए जानते हैं कि ऐसे और कौन-कौन से फैक्टर हैं जो आपके हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम को बढ़ा सकता है.
उम्र के साथ बढ़ता है प्रीमियम
कम उम्र के पॉलिसी होल्डर का प्रीमियम कम होता है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ता है प्रीमियम भी उसी अनुसार बढ़ता है. उम्रदराज लोगों में बीमार पड़ने का खतरा अधिक होता है. इसलिए उन्हें अधिक प्रीमियम पे करना पड़ता है.
आप कहां रहते हैं इससे भी प्रीमियम पर पड़ता है असर!
प्रीमियम इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप रहते कहां हैं. शहरों में रहने वाले पॉलिसी होल्डर का प्रीमियम ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले पॉलिसी होल्डर के प्रीमियम से अधिक होता है.
हेल्थ हिस्ट्री
इंश्योरेंस कंपनी बीमा बेचते समय ग्राहकों के सेहत का रेकॉर्ड बनाती है. अगर पॉलिसी होल्डर पहले से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा तो कंपनी उसका प्रीमियम भी उसी हिसाब से बनाती है. सुभाष और सुहेल की उम्र लगभग 27 साल है. दोनों का कद 5 फीट 9 इंच है. सुभाष का वजन 90 किलो और सुहेल का 75 किलो. बीमा कंपनी ने दोनों का Body Mass Index निकाला. सुभाष का बीएमआई 29.4 है जो ओवरवेट की श्रेणी में है और सुहेल का 24.5 जो सामान्य है. इसलिए सुभाष को सुहेल से अधिक प्रीमियम पे करना पड़ता है.
लाइफस्टाइल और आदतें
धूम्रपान करने वाले लोगों का प्रीमियम अधिक होता है क्योंकि इनके हॉस्पिटलाइज होने का खतरा भी अधिक होता है. InkaSure के सीईओ और फाउंडर वैभव काठजू ने बताया कि बीमा प्रीमियम मूल रूप से जोखिम मूल्यांकन पर आधारित होते हैं, जिसका अर्थ है कि दावा किए जाने की संभावना. धूम्रपान, शराब का सेवन या गुटखा जैसे पदार्थों के सेवन से गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. स्वाभाविक रूप से, इससे दावे की संभावना बढ़ जाती है और इस प्रकार बीमा प्रीमियम बढ़ जाता है.
फैमिली साइज
फैमिली कवर वाले इंश्योरेंस का प्रीमियम इंजिविजुअल इंश्योरेंस के प्रीमियम से अधिक महंगा होता है. फैमिली कवर में पॉलिसी होल्डर के परिवार को भी शामिल किया जाता है. जब वे बीमार पड़ते हैं या किसी दुर्घटना के शिकार होते हैं तो उनके इलाज का खर्च भी कंपनी ही उठाती है.
क्या जेंडर के आधार पर भी प्रीमियम बढ़ता या घटता है. इस पर काठजू ने कहा कि “यह वास्तव में एक मिथक है. बीमा प्रीमियम मनमाने ढंग से जेंडर के आधार पर नहीं बल्कि दावे की संभावना के आधार पर तय किए जाते हैं. जेंडर इस संभावना को प्रभावित करने वाले कई कारकों में से एक है.”
उदाहरण के लिए, जीवन बीमा में, महिलाओं की जीवन प्रत्याशा आमतौर पर पुरुषों की तुलना में अधिक होती है. इसका मतलब है कि वे लंबे समय तक जीने की संभावना रखती हैं, और इसलिए, उनके जीवन बीमा प्रीमियम अक्सर समान आयु के पुरुषों की तुलना में कम होते हैं. हालांकि, जब विशिष्ट स्वास्थ्य स्थितियों की बात आती है, जैसे कि कुछ प्रकार के कैंसर, तो महिलाओं में घटना दर अधिक हो सकती है. ऐसे मामलों में, महिलाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम समान आयु के पुरुषों की तुलना में अधिक हो सकते हैं. इसलिए यह केवल जेंडर के बारे में नहीं है, यह संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों और उनके पीछे डेटा के बारे में है.
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