Nephrocare IPO: कैसा है कंपनी का बिजनेस मॉडल, क्यों SBI सिक्योरिटीज ने कहा ‘Subscribe’?

Nephrocare Health Services Ltd का IPO खुलने जा रहा है. कंपनी ईस्टर्न इंडिया की प्रमुख रीनल केयर चेन है और इसके फाइनेंशियल्स में मजबूत ग्रोथ दिख रही है. जानें कीमत, जोखिम, ग्रोथ आउटलुक और लिस्टिंग से जुड़ी सभी अहम बातें इस विस्तृत रिपोर्ट में.

Nephrocare Health Services आईपीओ Image Credit: money9live.com

Nephrocare Health Services Ltd देश में रीनल केयर और डायलिसिस सर्विसेज की तेजी से बढ़ती चेन है. कंपनी ईस्टर्न इंडिया में मजबूत प्रेजेंस रखती है और स्पेशलाइज्ड डायलिसिस ट्रीटमेंट, नेफ्रोलॉजी कंसल्टेशन, डीप डायग्नोस्टिक्स और क्रॉनिक किडनी डिजीज मैनेजमेंट की सेवाएं देती है. रीनल केयर मार्केट का साइज लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में कंपनी का IPO हेल्थकेयर थीम में रुचि रखने वाले निवेशकों को आकर्षित कर सकता है.

कैसा है IPO का स्ट्रक्चर?

इश्यू पब्लिक सब्सक्रिप्शन के लिए 10 दिसम्बर को खुलेगा और 12 दिसम्बर तक निवेश का मौका है. इश्यू के जरिये कंपनी बाजार से कुल 871 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है. इसमें फ्रेश इश्यू के जरिये 353 करोड़ रुपये जुटाने हैं, जबकि OFS के जरिये अपर प्राइस बैंड पर 518 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.

कहां होगा फंड का उपयोग?

कंपनी इस इश्यू से जुटाई गई राशि का उपयोग नए सेंटर्स की स्थापना, टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड, एडवांस्ड इक्विपमेंट और वर्किंग कैपिटल जरूरतों में करेगी. रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी आक्रामक एक्सपेंशन प्लान पर काम कर रही है और आने वाले वर्षों में देश के अन्य रीजन में भी प्रवेश की तैयारी में है. कैपिटल इन्फ्यूजन के बाद कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन सुधरने की संभावना जताई जा रही है.

कैसी है वित्तीय सेहत?

कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों में लगातार सुधरा है. रेवेन्यू बढ़ रहा है और ऑपरेटिंग लेवल पर कंपनी की एफिशिएंसी बेहतर होती दिखाई देती है. EBITDA में सुधार और कॉस्ट मैनेजमेंट पर फोकस से कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी स्ट्रेंथन हुई है. हेल्थकेयर सेक्टर की डिमांड ग्रोथ कंपनी के बिजनेस मॉडल को सपोर्ट देती है.

क्या है कंपनी का ग्रोथ प्लान?

भारत में किडनी-संबंधी बीमारियां और लाइफस्टाइल डिजीज तेजी से बढ़ रही हैं. बढ़ती पॉपुलेशन, डायबिटीज-हाइपरटेंशन के केस और अर्बनाइजेशन के चलते डायलिसिस सर्विस की डिमांड आने वाले वर्षों में एक्सपोनेंशियल ग्रोथ देती दिख रही है. कंपनी का नेटवर्क-फोकस्ड मॉडल इस बढ़ती जरूरत को कैप्चर करने की मजबूत क्षमता रखता है.

रिस्क फैक्टर क्या हैं?

हेल्थकेयर सेक्टर में रेगुलेटरी चेंजेज हमेशा एक प्रमुख जोखिम रहते हैं. डायलिसिस टैरिफ पर कड़े प्राइसिंग कंट्रोल, इंश्योरेंस पेमेंट साइकल और सरकारी योजनाओं के भुगतान में देरी कंपनी की कैश फ्लो साइकल को प्रभावित कर सकते हैं. इसके अलावा एक्सपेंशन के शुरुआती चरण में लागत बढ़ने से मार्जिन पर दबाव आने की संभावना भी बनी रहती है.

क्या है SBI सिक्योरिटीज की राय?

कंपनी की ग्रोथ स्टोरी मजबूत है और हेल्थकेयर सेक्टर में थीमैटिक रुचि बढ़ रही है. रीनल केयर सेगमेंट में मजबूत डिमांड और कंपनी का एक्सपेंशन प्लान इसे एक संभावित ग्रोथ-ड्रिवन लिस्टिंग बना सकता है. हालांकि, निवेशकों को वैल्यूएशन, रेगुलेटरी रिस्क और कंपनी के डेब्ट प्रोफाइल को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना चाहिए. लॉन्ग-टर्म थीम और हेल्थकेयर एक्सपोजर चाहने वाले निवेशकों के लिए यह IPO आकर्षक विकल्प बन सकता है.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.