WeWork India का मालिक कौन, किस मामले में चल रही ED की जांच, दांव लगाने से पहले जानें कच्चा चिट्ठा
WeWork India का IPO 3 अक्टूबर को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने जा रहा है. यह पूरी तरह OFS आधारित इश्यू है, यानी इश्यू से मिलने वाली रकम शेयर बेचने वालों को मिलेगी. ऐसे में जानते हैं कौन हैं इस कंपनी के मालिक, जो ED की जांच के दायरे में हैं.
देश की सबसे बड़ी प्रीमियम फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस कंपनी WeWork India का IPO 3 अक्टूबर से खुल रहा है. पूरी तरह OFS आधारित 3,000 करोड़ रुपये के इस इश्यू के तहत शेयरों का प्राइस बैंड 615 से 648 रुपये रखा गया है. अगर आप इस पर दांव लगाने का मन बना रहे हैं, तो कंपनी से जुड़े कुछ बड़े जोखिमों के बारे में जरूर जान लें.
इसके साथ ही यह भी जान लें कि कंपनी का मालिक कौन है और किस मामले में ED की जां के दायरे में है. इसके साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि किस तरह 2023 में वीवर्क इंडिया की पैरेंट कंपनी रह चुकी अमेरिकी कंपनी वीवर्क इंक बैंकरप्सी के लिए आवेदन कर चुकी है.
WeWork India का मालिक कौन?
WeWork India का संचालन Embassy Group करता है. इस तरह इसकी प्रमोटर एंटिटी Embassy Buildcon LLP है, जिसे जितेंद्र मोहनदास विरवानी और उनके बेटे कर विरवानी चलाते हैं.
कंपनी के प्री-IPO निवेशकों के तौर पर Embassy Group की हिस्सेदारी 76% है, जो ऑफर फॉर सेल के बाद 50% के करीब रह जाएगी. वहीं, अमेरिकी कंपनी WeWork Inc असल में WeWork ब्रांड की मालिक है. इस तरह भारत में एंबेसी ग्रुप के पास वीवर्क ब्रांड को इस्तेमाल करने का लाइसेंस है.
ED की जांच में क्यों फंसे प्रमोटर?
Embassy Group पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2014 से जांच शुरू की थी. मामला 2004 के कुछ सरकारी लैंड डवेलपमेंट और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स से जुड़ा है. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक एंबेसी ग्रुप और इसके प्रमोटर्स पर भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगे हैं. इसी आधार पर ED ने PMLA के तहत केस दर्ज किया है और कुछ संपत्तियों को अटैच कर रखा है. हालांकि, कोर्ट में कई बार ED के दावों को चुनौती दी गई है. फिलहाल, किसी भी मामले में कोई नतीजा नहीं आया है और ED की जांच जारी है.
अमेरिकी कंपनी का बैंकरप्सी मामला
WeWork Inc ने नवंबर 2023 में अमेरिकी बैंकरप्सी के चैप्टर 11 के तहत बैंकरप्सी के लिए आवेदन करते हुए रीस्ट्रक्चरिंग की प्रक्रिया शुरू की थी. मई 2024 में कोर्ट ने इसकी योजना को मंजूरी दी, जिसमें करीब 4 अरब डॉलर का कर्ज माफ हुआ और कंपनी ने रीऑर्गनाइज होकर बिजनेस जारी रखा. फिलहाल, अब यह चैप्टर 11 से बाहर है, लेकिन ब्रांड को इसका गहरा धक्का लगा. जब कंपनी अमेरिका में रीऑर्गनाइजेशन के दौर से गुजर रही थी, तभी एंबेसी ग्रुप ने वीवर्क इंडिया को अमेरिकी पैरेंट कंपनी से खरीदा था.
क्या हैं IPO से जुड़े बड़े रिस्क फैक्टर?
WeWork Inc का बैंकरप्सी का इतिहास भारत में इस ब्रांड नेम का इस्तेमाल करने वाली कंपनी के लिए जोखिम भरा है. क्योंकि, अगर भविष्य में WeWork Inc. फिर से गंभीर फाइनेंशियल क्राइसिस में जाती है और ब्रांड ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करने वाली WeWork India के बिजनेस मॉडल को भी खतरा हो सकता है. क्योंकि, इसका पूरा संचालन WeWork ब्रांड पर निर्भर है.
इसके अलावा कंपनी की प्रमोटर Embassy Group के खिलाफ ED में केस लंबित है. ऐसे में कोई भी फैसला कंपनी पर सीधा असर डाल सकता है. इसके अलावा कंपनी के सामने हाई फिक्स्ड कॉस्ट भी एक बड़ा जोखिम है, जो ओक्यूपेंसी कम होने पर प्रॉफिटेबिलिटी घटा सकती है. इसके अलावा कंपनी की चुनिंदा ग्राहकों पर निर्भरता भी बड़ा जोखिम है.
निवेशकों के लिए क्या संदेश?
कंपनी की वित्तीय स्थिति FY25 में सुधरी है और पहली बार मुनाफा हुआ है. Embassy Group का रियल एस्टेट एक्सपीरियंस और WeWork Global का नेटवर्क कंपनी की ताकत है. लेकिन प्रमोटर पर ED जांच और अमेरिकी पैरेंट का दिवालिया इतिहास निवेशक सेंटिमेंट को कमजोर कर सकता है. ऐसे में निवेशकों को सोच-समझकर निवेश फैसला करना चाहिए.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.