कॉरपोरेट SIP क्या है, जिसमें कंपनी आपकी तरफ से करती है म्यूचुअल फंड में निवेश; जानें फायदे-नुकसान
कॉरपोरेट सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (C-SIP) एक ऐसी सुविधा है जिसमें कंपनी आपकी सैलरी से पैसा काटकर सीधे म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकती है. इसके कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी. यहां जानें क्या है कॉरपोरेट SIP और ये कैसे काम करती है...
Corporate SIPs: SEBI के नियमों के मुताबिक, आमतौर पर कोई भी थर्ड पार्टी आपकी जगह SIP में पैसे नहीं डाल सकती, लेकिन C-SIP में ये सुविधा होती है. ये कॉरपोरेट सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान है जिसके जरिए आपकी कंपनी आपकी सैलरी से पैसा काटकर सीधे म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकती है. अब इस सुविधा के कुछ फायदे भी हैं और कुछ नुकसान भी. चलिए इसे समझते हैं.
C-SIP यानी कॉरपोरेट सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान
कॉरपोरेट SIP की सुविधा मिराए एसेट AMC, बजाज म्यूचुअल फंड जैसी कई कंपनियां C-SIP की सुविधा देती हैं.
मान लीजिए आपकी सैलरी 1 लाख रुपये है और आपने 5,000 की मंथली SIP चुनी है. आपकी कंपनी आपकी सैलरी में से 5,000 काटकर आपको 95,000 देगी और SIP की रकम सीधे AMC को भेज देगी.
AMC को हर महीने एक लिस्ट मिलती है जिसमें कर्मचारी के नाम और उनके SIP अमाउंट लिखे होते हैं. उस लिस्ट और पेमेंट के आधार पर AMC आपके नाम पर म्यूचुअल फंड यूनिट्स अलॉट करती है.
अब अगर आपको SIP का पैसा रिडीम करना है तो वह पैसा आपके बैंक खाते में सीधे आ जाएगा. अगर आप नौकरी बदलते हैं तो भी आपके निवेश पर कोई असर नहीं होगा.
कैसे होता है रजिस्ट्रेशन
कर्मचारी को एक कॉमन एप्लिकेशन फॉर्म भरना होता है, जिसमें KYC डिटेल्स और कंपनी को सैलरी से SIP काटने की अनुमति शामिल होती है. इसके साथ आपको म्यूचुअल फंड स्कीम को चुनना होता है.
कंपनी को भी एक थर्ड पार्टी डिक्लरेशन फॉर्म देना होता है, जिसमें लिखा होता है कि पेमेंट कर्मचारी की ओर से की गई है. इसके साथ एक अधिकृत लेटर और कंसॉलिडेटेड चेक भी देना होता है. HR डिपार्टमेंट को कर्मचारियों की डिटेल और SIP अमाउंट की लिस्ट भेजनी होती है.
इसके बाद AMC इंवेस्टमेंट को प्रोसेस करता है और यूनिट्स अलॉट कर देता है.
कहां है समस्या
- सामान्य SIP को आप कभी भी आसानी से पॉज कर सकते हैं, लेकिन C-SIP को पॉज करने के लिए आपको HR विभाग को लिखित अनुरोध देना होगा.
- अगर स्कीम बदलनी है, तो फिर से पूरा फॉर्म भरना पड़ता है. C-SIP, NACH या UPI AutoPay से जुड़ा नहीं होता, इसलिए ऑनलाइन स्टार्ट या स्टॉप करना संभव नहीं है.
- C-SIP के जरिए निवेश कम फ्लेक्सिबल है.
- जिस AMC से कंपनी टाईअप करती है, उसी में निवेश होता है, जिससे बाकी कंपनियों के लिए असमान प्रतिस्पर्धा बन सकती है.
- सबसे बड़ा रिस्क यह है कि अगर कंपनी आपकी सैलरी से पैसा काट ले, लेकिन AMC को ट्रांसफर न करे, तो नुकसान आपका हो सकता है.