क्या है YTM? डेब्ट म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले जान लें यह जरूरी फैक्टर

निवेश करते समय आप किन बातों का ध्यान रखते हैं? फंड का नाम, रिटर्न या कंपनी का ब्रांड? लेकिन एक ऐसा फैक्टर है जिसे अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, जबकि वही आपके रिटर्न की असल तस्वीर दिखाता है. अगर आपने उसे नहीं समझा, तो आगे बढ़ना जोखिम भरा हो सकता है.

YTM पर नहीं दिया ध्यान तो पछताएंगे निवेशक Image Credit:

YTM Explained in Hindi: अगर आप डेब्ट म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं तो आपने फंड फैक्टशीट में एक शब्द जरूर देखा होगा, YTM यानी यील्ड टू मैच्योरिटी. अधिकतर निवेशक इसे सिर्फ एक नंबर समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन अगर आप समझ लें कि यह वास्तव में क्या दर्शाता है, तो आप ज्यादा सूझबूझ से फंड चुन सकते हैं.

YTM का मतलब क्या है?

YTM दरअसल उस अनुमानित रिटर्न को दर्शाता है जो आपको डेब्ट फंड की पोर्टफोलियो में शामिल सभी बॉन्ड्स को उनकी मैच्योरिटी तक होल्ड करने पर मिल सकता है. बशर्ते कि सभी इंटरेस्ट पेमेंट्स समय पर हों और कोई डिफॉल्ट न हो.

YTM क्यों है अहम?

YTM की गणना कैसे होती है?

हालांकि इसकी गणना जटिल होती है, लेकिन इसका सामान्य फॉर्मूला है:

YTM = सभी बॉन्ड्स की वेटेड एवरेज यील्ड + मार्केट प्राइस का समायोजन
अगर बॉन्ड छूट पर ट्रेड हो रहे हैं, तो YTM ज्यादा होगा और अगर प्रीमियम पर हैं, तो YTM कम होगा.

YTM को प्रभावित करने वाले तीन मुख्य कारक

कारकप्रभाव
ब्याज दर में बदलावब्याज दर बढ़ने पर YTM बढ़ता है, गिरने पर YTM घटता है
क्रेडिट क्वालिटीकम रेटिंग वाले बॉन्ड्स का YTM ज्यादा लेकिन जोखिम भी ज्यादा
मोडिफाइड और मैकाले ड्यूरेशनड्यूरेशन ज्यादा हो तो ब्याज दर गिरने पर फायदा, बढ़ने पर नुकसान

YTM: यह कोई गारंटी नहीं है

बहुत से निवेशक मान लेते हैं कि YTM वही रिटर्न है जो उन्हें मिलेगा, लेकिन यह सही नहीं है. YTM यह मानकर चलता है कि:

लेकिन हकीकत में फंड मैनेजर सिक्योरिटीज खरीद-बेच सकते हैं, और बाजार में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं.

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YTM को सही तरीके से कैसे इस्तेमाल करें?

YTM निवेशकों के लिए एक असरदार टूल है, लेकिन यह कोई क्रिस्टल बॉल नहीं. इसे सही संदर्भ, जोखिम प्रोफाइल और निवेश समय के आधार पर ही समझें और इस्तेमाल करें. डेब्ट म्यूचुअल फंड चुनते समय YTM को एकमात्र मानदंड न बनाएं, बल्कि उसे समग्र विश्लेषण का हिस्सा बनाएं.