जिन निवेशकों ने 2017 में खरीदे थे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, उन्हें अब मिल रहा है 221 फीसदी का तगड़ा रिटर्न
SGB 2017-18 Series I एक ऐसा निवेश साबित हुआ, जिसने न केवल सोने की बढ़ती कीमत का लाभ दिया, बल्कि टैक्स फ्री रिटर्न और निश्चित ब्याज से निवेशकों की जेब भी भरी. अब जब रिडेम्पशन की तारीख पास है यह योजना उन सभी के लिए प्रेरणा बन सकती है जो लॉन्ग टर्म और सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं.

SGB 2017-18 Series| साल 2017 का मई महीना… जब सोना करीब 2950 रुपये प्रति ग्राम के भाव पर मिल रहा था. आरबीआई ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 2017-18 सीरीज लॉन्च किया और कई निवेशकों ने उस वक्त इसमें पैसा लगाया. आठ साल बीते और अब जब मई 2025 में इस बॉन्ड की परिपक्वता की घड़ी आ गई है, तो इन निवेशकों को बंपर रिटर्न मिला है. आरबीआई ने हाल ही में इस बॉन्ड की फाइनल रिडेम्पशन प्राइस 9486 रुपये प्रति ग्राम घोषित की है, जिससे निवेशकों की कमाई 221 फीसदी तक पहुंच गई है और वह भी टैक्स फ्री.
क्या है अंतिम रिडेम्पशन प्राइस?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2 मई 2025 को प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि SGB 2017-18 Series की रिडेम्पशन तिथि 9 मई 2025 होगी. इस बॉन्ड की फाइनल कीमत 9486 रुपये प्रति यूनिट (प्रति ग्राम) तय की गई है. यह कीमत 28 अप्रैल से 2 मई 2025 तक के तीन कार्यदिवसों के औसत सोने के भाव पर आधारित है, जो इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (IBJA) द्वारा जारी किए जाते हैं.
SGB 2017-18 Series I की महत्वपूर्ण जानकारी
विवरण | जानकारी |
---|---|
जारी तिथि | 12 मई 2017 |
परिपक्वता तिथि | 9 मई 2025 |
जारी मूल्य | ₹2951 प्रति ग्राम |
ऑनलाइन निवेश मूल्य | ₹2901 प्रति ग्राम (₹50 की छूट) |
अंतिम रिडेम्पशन मूल्य | ₹9486 प्रति ग्राम |
कुल रिटर्न (बिना ब्याज) | लगभग 221% |
सालाना ब्याज | 2.5% प्रतिवर्ष |
परिपक्वता राशि कर मुक्त | हां |
मुनाफा कितना हुआ?
मान लीजिए किसी निवेशक ने 50 ग्राम के लिए 2,951 रुपये प्रति ग्राम की दर से 1,47,550 रुपये का निवेश किया. आठ साल बाद उसे 9486 रुपये की दर से 4,74,300 रुपये मिल रहे हैं. यानी कुल 3,26,750 रुपये का फायदा और वह भी टैक्स फ्री. साथ ही निवेशक ने हर साल 2.5 फीसदी का निश्चित ब्याज भी पाया, जो कि कुल निवेश पर अलग से लाभ है.
SGB क्या है और कैसे काम करता है?
सोवरेन गोल्ड बॉन्ड भारत सरकार द्वारा आरबीआई के माध्यम से जारी किए जाते हैं. ये बॉन्ड सोने के ग्राम के रूप में जारी होते हैं और निवेशकों को भौतिक सोना रखने का विकल्प नहीं अपनाना पड़ता. इन्हें 8 साल की अवधि के लिए जारी किया जाता है और हर छह महीने में 2.5 फीसदी ब्याज भी दिया जाता है.
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किन्हें निवेश की अनुमति है?
- कोई भी भारतीय निवासी
- व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF), ट्रस्ट, विश्वविद्यालय, चैरिटेबल संस्थान
- नाबालिग के नाम पर अभिभावक के माध्यम से निवेश संभव
- संयुक्त निवेश की भी अनुमति
क्या कोई जोखिम है?
अगर गोल्ड की कीमतें गिरती हैं तो पूंजी घाटा हो सकता है, लेकिन निवेशक को सोने के यूनिट की संख्या में नुकसान नहीं होता.
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