एक्सप्रेस-वे, नेशनल हाईवे- स्टेट हाईवे पर हो जाए दुर्घटना, जानें कहां कितना मिलेगा मुआवजा, क्लेम का ये है तरीका
सड़क हादसे के बाद अगर किसी की मौके पर ही मौत हो जाती है. इस दौरान, अगर मरने वाले व्यक्ति के पास कोई लाइफ इंश्योरेंस न हो तो ऐसे में क्या कोई कानूनी सहायता है. बता दें भारत में कई कानून और योजनाएं मौजूद हैं, जो सड़क दुर्घटना के पीड़ित परिवारों की मदद करती हैं. जिसमें कुछ इस तरह की सुविधाओं का लाभ परिवार उठा सकता हैं. आइए जानते हैं कैसे और कितने रुपये तक मिल सकता है मुआवजा.
एक आम परिवार का वह सदस्य, जो हर दिन के रोजी-रोटी का इकलौता सहारा था, रोज की तरह काम पर निकला, लेकिन रास्ते में एक सड़क हादसे का शिकार हो गया. मौके पर ही उसकी मौत हो गई. दुखद यह रहा कि मृतक के पास न तो कोई जीवन बीमा था, न ही परिवार के पास कानूनी लड़ाई लड़ने का कोई अनुभव, ऐसे में सवाल उठता है. क्या अब उसके परिवार को कोई आर्थिक मदद मिल सकती है? हां, भारत में इसके लिए कानून और योजनाएं मौजूद हैं, जो सड़क दुर्घटना के पीड़ित परिवारों की मदद करती हैं. जिसमें कुछ इस तरह की सुविधाओं का लाभ परिवार उठा सकता हैं.
भारत में सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों और उनके परिवारों की मदद के लिए कानून लगातार विकसित हो रहे हैं. 1988 के मोटर वाहन अधिनियम से लेकर 2016 के संशोधन तक, और फिर 2022 की सोलेशियम स्कीम तक, मुआवजे की राशि और प्रक्रिया में सुधार किया गया है ताकि हादसे के शिकार परिवारों को समय पर न्याय और आर्थिक सुरक्षा मिल सके. जिसमें मूल अधिनियम, 1988 के तहत गंभीर चोट पर मुआवजा 12,000 रुपये तो वही दुर्घटना में हुइ मृत्यु पर मुआवजा 25,000 रुपये था, यह राशि हादसे में पीड़ितों की मदद के लिए तय की गई थी, लेकिन समय के साथ यह आर्थिक रूप से कम साबित होने लगी. इसके बाद मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसका उद्देश्य मुआवजे की राशि बढ़ाना और दुर्घटना पीड़ितों को बेहतर सहायता प्रदान करना था. हालांकि संशोधन के बाद भी मुआवजा राशि में बहुत बढोत्तरी तो नहीं हुई थी.
लेकिन हाल में ही 2022 की नई ‘सोलेशियम स्कीम’ के तहत सरकार ने हिट-एंड-रन मामलों में पीड़ितों को बेहतर आर्थिक सहायता देने के लिए 2022 में नई सोलिसियम स्कीम लागू की इस योजना के तहत गंभीर चोट के लिए मुआवजा 50,000 और मृत्यु के लिए मुआवजा 2,00,000 रुपये तय किये गये हैं .
सरकारी और गैर-सरकारी मदद
- मुआवजा पाने के लिए वकील जरूरी नहीं होता हैं.
- सरकारी लीगल सेवा अथॉरिटी और NGOs मुफ्त में कानूनी सहायता प्रदान करते हैं
- विशेष ट्रिब्यूनल (MACT) सड़क हादसों के मुआवजा दावों की तेजी से सुनवाई होती है, जिससे पीड़ित परिवार को जल्दी न्याय मिल जाता हैं.
- बीमा कवर, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का लाभ मिलता हैं.
- श्रम कार्ड जैसी अन्य योजनाओं से भी सहायता मिल सकती है जिससे परिवार का बोझ थोड़ा कम हो सके.
एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना होने पर आपको केंद्र सरकार की मोटर वाहन दुर्घटना कोष के तहत मुआवजा मिल सकता है, जिसमें हिट एंड रन मामलों में मृत्यु पर 2 लाख रुपये और गंभीर चोट पर 50,000 रुपये का प्रावधान है. यह राशि सीधे प्रभावित के बैंक खाते में भेजी जाती है. इसके अलावा, बीमा कवर, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, और श्रम कार्ड जैसी अन्य योजनाओं से भी सहायता मिल सकती है,
स्टेट हाईवे और नेशनल हाईवे पर सड़क दुर्घटना होने पर मोटर वाहन अधिनियम(Motor Vehicles Act) के तहत मुआवजा मिलता है, जिसमें मृतक के परिवार को 2 लाख रुपये और गंभीर चोट लगने पर 50 हजार रुपये की राशि सरकार द्वारा प्रदान की जाती है. यह मुआवजा उस वाहन से हुआ है, उसके बीमाकर्ता या मालिक से लिया जाता है. इसके अलावा, घायलों को कैशलेस इलाज भी मिलता है, और बीमा कंपनियों द्वारा भी मुआवजा दिया जाता है
हिट-एंड-रन मामलों में
हाल में ही 2022 की नई ‘सोलेशियम स्कीम’ के तहत सरकार ने हिट-एंड-रन मामलों में पीड़ितों को बेहतर आर्थिक सहायता देने के लिए 2022 में नई सोलिसियम स्कीम लागू की इस योजना के तहत गंभीर चोट के लिए मुआवजा 50,000 और मृत्यु के लिए मुआवजा 2,00,000 रुपये तय किये गये हैं .
भारत में सड़क हादसों से जुड़े मामलों को लेकर मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (Motor Vehicles Act)लागू है. यह कानून हादसों में जान गंवाने वाले या घायल हुए लोगों को मुआवजा दिलाने में अहम भूमिका निभाता है. इस अधिनियम की धारा 163A और धारा 166 खासतौर पर मुआवजा संबंधी दावों के लिए बनाई गई हैं. जिसमें समय-समय पर बदलाव देखने को मिले हैं.
धारा 163A नो फॉल्ट क्लेम (No-Fault Claim)
इस धारा के तहत गलती किसकी थी, यह साबित करना जरूरी नहीं होता. अगर हादसे में किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को मुआवजा मिल सकता है, चाहे दुर्घटना कैसे हुई, यह पूरी तरह स्पष्ट न हो. यह प्रक्रिया तेज और सरल होती है, इसलिए गरीब या अनपढ़ परिवारों के लिए यह विकल्प अधिक सहायक होता है. धारा 166 – गलती साबित करनी होगी इस धारा के तहत मुआवजा तभी मिलता है, जब यह साबित हो जाए कि हादसा दूसरी पार्टी की गलती से हुआ. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस: जरूरी है भारत में हर वाहन के लिए थर्ड पार्टी बीमा (Third Party Insurance) अनिवार्य होता है. इसका फायदा यह होता है कि अगर किसी वाहन से किसी दूसरे व्यक्ति को चोट या मृत्यु होती है, तो बीमा कंपनी मुआवजा देती है.
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मुआवजा पाने के लिए मृतक के पास बीमा होना जरूरी नहीं है हिट एंड रन मामले में क्या होगा?
जब हादसे के बाद ड्राइवर फरार हो जाए और उसकी पहचान न हो पाए, तो इसे हिट एंड रन केस कहा जाता है. ऐसे मामलों में पीड़ित परिवार को सीधे बीमा कंपनी से मुआवजा नहीं मिल सकता. लेकिन सरकार ने 2022 में मोटर वाहन दुर्घटना कोष (Motor Vehicles Accident Fund) शुरू किया है.इस योजना के तहत मौत की स्थिति में 2 लाख का मुआवजा गंभीर घायल को 50,000 की सहायता दी जाती हैं.