इन 5 तरह से हुई कमाई तो लगेगा इनकम टैक्स, नए कानून में सैलरी स्ट्रक्चर का फॉर्मूला भी फिक्स

New Income Tax Bill 2025 लाया गया है, जो 1961 के इनकम टैक्स एक्ट को बदलकर सरल बनाएगा. इस बिल में सैलरी पर टैक्स नियमों को स्पष्ट किया गया है और टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है. "टैक्स ईयर" का कॉन्सेप्ट आया है, चलिए सब एक-एक कर समझते हैं.

फाइनेंस बिल 2025 में सेक्शन 87A में कैपिटल गेन को टैक्स छूट की कैलकुलेशन से बाहर रखा गया है. Image Credit: anand purohit/Moment/Getty Images

Income Tax Bill 2025: वित्त मंत्री निरमला सीतारमण ने 13 फरवरी को नए इनकम टैक्स बिल को संसद में पेश कर दिया है जिससे 1961 के इनकम टैक्स एक्ट को बदल कर सरल बना दिया जाएगा. यह बिल अगर पास हो जाता है, तो इसे 1 अप्रैल 2026 से लागू किया जाएगा. इस बिल में सैलरी पर टैक्स नियमों को और स्पष्ट किया गया है, ताकि किसी को भी टैक्स देते समय किसी तरह की कोई गलतफहमी ‘न रहे. नए बिल में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है. “टैक्स ईयर” का भी कॉन्सेप्ट आया है, लेकिन सैलरी स्ट्रक्चर को लेकर कई अहम बातें की गई है. साथ ही 5 तरह की कमाई को भी बताया गया है जिसपर टैक्स लगेगा.

क्या है नया इनकम टैक्स बिल 2025?

नया इनकम टैक्स बिल 23 चैप्टर्स, 536 सेक्शन और 16 शेड्यूल्स के साथ 622 पेज का होगा. इसकी तुलना में 1961 का मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 298 सेक्शन और 14 शेड्यूल्स में 823 पेज का है. यह नया बिल टैक्स नियमों को आसान और स्पष्ट बनाने के लिए लाया जा रहा है.

कौन-कौन सी इनकम पर टैक्स लगेगा?

बिल के मुताबिक, इनकम को 5 मुख्य कैटेगरी में बांटा गया है:

  1. सैलरी से होने वाली इनकम
  2. घर (प्रॉपर्टी) से होने वाली इनकम
  3. बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाला प्रॉफिट
  4. कैपिटल गेन
  5. अन्य सोर्स से होने वाली इनकम

सैलरी पर टैक्स कैसे लगेगा?

बिल के अनुसार, सैलरी के तहत टैक्स लगने वाली इनकम में ये चीजें शामिल होंगी:

  1. किसी कंपनी या पूर्व नियोक्ता (एक्स एंप्लॉयर) से मिलने वाली सैलरी, चाहे वह मिली हो या अभी देनी बाकी हो.
  2. किसी भी साल में दी गई सैलरी, चाहे वह पहले की हो या भविष्य के लिए एडवांस में मिली हो.
  3. बकाया वेतन जो पहले के किसी टैक्स ईयर में टैक्स के दायरे में नहीं आया था.

सैलरी के तहत कौन-कौन सी इनकम, टैक्स के दायरे में आएगी?

  • वेतन
  • एन्युटी या पेंशन
  • ग्रेच्युटी
  • कमीशन या फीस
  • पर्क्स (अन्य सुविधाएं)
  • सैलरी के अलावा मिलने वाला कोई और फायदा
  • एडवांस सैलरी
  • लीव एनकैशमेंट (छुट्टी के बदले मिलने वाला पैसा)
  • टैक्स-फ्री सीमा से ज्यादा प्रोविडेंट फंड में योगदान
  • केंद्र सरकार या अन्य नियोक्ताओं से कर्मचारी की पेंशन योजना में योगदान
  • “अग्निवीर कॉर्पस” में केंद्र सरकार द्वारा दिया गया योगदान

क्या बदलाव नहीं किए गए हैं?

नए इनकम टैक्स बिल में टैक्स स्लैब या दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसका मतलब यह है कि आपकी सैलरी पर वही मौजूदा टैक्स स्लैब लागू रहेगा, जो पहले से तय किया गया है.

टैक्स ईयर, असेसमेंट ईयर और फाइनेंशियल ईयर में बदलाव

नए बिल में “टैक्स ईयर” का कॉन्सेप्ट लाया गया है.

  • पहले लोग असेसमेंट ईयर (AY) और फाइनेंशियल ईयर (FY) को लेकर कंफ्यूजन में रहते थे.
  • अब “टैक्स ईयर” को फाइनेंशियल ईयर (1 अप्रैल से 31 मार्च) के हिसाब से सिंक्रोनाइज किया जाएगा.
  • इससे टैक्स रिकॉर्ड्स और कैलकुलेशन को आसान बनाया जा सकेगा.

अगर कोई नया बिजनेस शुरू होता है या कोई नई इनकम सोर्स आती है, तो टैक्स ईयर इस तरह से तय होगा:

  • बिजनेस शुरू होने की तारीख से टैक्स ईयर की शुरुआत होगी.
  • अगर कोई नई इनकम सोर्स शुरू होती है, तो टैक्स ईयर उसी दिन से गिना जाएगा.
  • लेकिन हर स्थिति में टैक्स ईयर उसी फाइनेंशियल ईयर (31 मार्च) पर खत्म होगा.