होम लोन पड़ रहा महंगा? इस ऑप्शन से घट जाएगी ब्याज दर, कम होगा EMI का बोझ
होम लोन बैलेंस ट्रांसफर एक प्रक्रिया है जिसमें आप अपने मौजूदा होम लोन को एक बैंक से दूसरे बैंक या NBFC में ट्रांसफर कर सकते हैं, जो बेहतर शर्तों और कम ब्याज दरों के साथ लोन देता है. ये कैसे होता है और क्या हैं इसके फायदे?

Home Loan Balance Transfer: क्या आपको भी कई बार लोन लेने के बाद ऐसा लगता है कि काश दूसरी बैंक से लोन ले लिया होता तो ब्याज दर कम होती या फिर आपका फिक्स्ड ब्याज दर पर लोन है और रिजर्व बैंक के ब्याज दर घटाने के बाद आपको भी लगता होगा कि काश कम ब्याज दर का फायदा मिल सकता… लेकिन पता है असल में ऐसा हो सकता है. एक ऑप्शन है होम लोन बैलेंस ट्रांसफर (HLBT). इसके जरिए आप अपना होम लोन एक बैंक से किसी दूसरी बैंक में ट्रांसफर कर सकते हैं, जो बेहतर शर्तों और कम ब्याज दरों के साथ लोन दे रहा हो. चलिए सारे फायदे नुकसान डिटेल में समझते हैं.
क्या होता है होम लोन बैलेंस ट्रांसफर
होम लोन बैलेंस ट्रांसफर (HLBT) एक प्रक्रिया है जिसमें आप अपने मौजूदा होम लोन को एक बैंक से दूसरी बैंक या NBFC में ट्रांसफर करते हैं. इसमें होता ये है कि आप जिस बैंक में ट्रांसफर करना चाहते हैं वो बैंक आपके पुराने लोन का बकाया चुकाकर, आपको कम ब्याज दर या बेहतर शर्तों के साथ नया लोन देता है.
कम ब्याज दर और EMI में बचत
होम लोन बैलेंस ट्रांसफर से EMI में बचत होती है क्योंकि नया लेंडर आमतौर पर कम ब्याज दर देता है. जब आप ज्यादा ब्याज दर वाले लोन से कम ब्याज दर वाले लोन में शिफ्ट करते हैं, तो आपके कुल ब्याज पेमेंट में बड़ी बचत हो सकती है. उदाहरण के लिए अगर आप 45 लाख का लोन 9.5% ब्याज दर से 8.5% पर ट्रांसफर करते हैं, तो करीब 4.6 लाख की बचत हो सकती है.
बैंक/वित्तीय संस्था | ट्रांसफर रेट (प्रति वर्ष) |
---|---|
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) | 8.50% |
एचडीएफसी बैंक | 8.75% |
LIC हाउसिंग फाइनेंस | 9.10% |
बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) | 8.40% |
बेहतर लोन शर्तें और लचीलापन
बैलेंस ट्रांसफर का फायदा सिर्फ कम ब्याज दर ही नहीं है. कई बार आपको बेहतर रीपेमेंट ऑप्शन्स का मौका भी मिलता है. कुछ लेंडर 30 साल तक के लिए और EMI में बदलाव करने के विकल्प भी देते हैं. साथ ही, कई संस्थान टॉप-अप लोन भी ऑफर करते हैं, जिसका इस्तेमाल घर के रेनेवोशन, मेडिकल जरूरतों या एजुकेशन जैसी जरूरतों में किया जा सकता है.
फायदे और भी…
कई लोग बैंक बदलते हैं क्योंकि पुराने बैंक में हिडन चार्जेज, प्रोसेसिंग फीस या खराब सर्विस मिलती है. नया लेंडर बेहतर फीस स्ट्रक्चर, बेहतर सपोर्ट और शानदार डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ऑफर कर सकता है, जिससे बदलाव सिर्फ फाइनेंशियल नहीं बल्कि अनुभव में भी सुधार ला सकता है.
होम लोन बैलेंस ट्रांसफर: किन बातों का ध्यान रखें
- प्रोसेसिंग फीस: आमतौर पर लोन राशि का 0.35% से 1% तक होती है, लेकिन बैंक के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है.
- एडमिनिस्ट्रेटिव और लीगल दिक्कतें: हर लेंडर का अपना प्रोसेस होता है, इसे भी ध्यान में रखें.
- प्रीपेमेंट पेनल्टी: फ्लोटिंग रेट लोन पर कोई चार्ज नहीं है, लेकिन फिक्स्ड रेट लोन पर कुछ शुल्क लग सकता है.
- छिपे हुए खर्चे: हमेशा सभी चार्जेज को अच्छे से पढ़ें और हो सके तो डिटेल्ड फॉर्मेट में मांगे.
- कॉस्ट-बेनिफिट एनालिसिस: सुनिश्चित करें कि ब्याज दर में जो बचत हो रही है, वह आपके ट्रांसफर के कुल खर्च से ज्यादा हो.
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