IPO में निवेश का नया नियम! संस्थागत निवेशकों की बढ़ेगी भागीदारी; रिटेल कोटा हो सकता है कम
SEBI ने बड़े IPO के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है, जिसमें पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक के इश्यू में रिटेल निवेशकों का कोटा 35 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने की सिफारिश की गई है. वहीं संस्थागत निवेशकों का हिस्सा 60 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव है.

SEBI IPO Rules: SEBI ने बड़े इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO से जुड़े नियमों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है. इसमें रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व कोटा घटाने और संस्थागत निवेशकों के लिए हिस्सा बढ़ाने की बात कही गई है. यह प्रस्ताव ऐसे समय पर आया है जब देश में IPO एक्टिविटी में तेजी देखी जा रही है. SEBI ने बताया कि बड़े IPO में रिटेल निवेश की भागीदारी पिछले तीन सालों से स्थिर बनी हुई है.
रिटेल निवेशकों का कोटा हो सकता है कम
SEBI के प्रस्ताव के मुताबिक, पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक के IPO में रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व हिस्सा मौजूदा 35 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी किया जा सकता है. वहीं, संस्थागत निवेशकों के लिए रिजर्व 50 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी तक किया जा सकता है.
संस्थागत निवेशकों को मिलेगा ज्यादा अवसर
SEBI का मानना है कि बड़े IPO में संस्थागत निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने से बाजार में स्थिरता आएगी. इससे लॉन्ग टर्म निवेश को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भी बेहतर अवसर मिलेगा.
निवेशक वर्ग | आरक्षण प्रतिशत |
---|---|
रिटेल निवेशक (Retail Individual Investors – RIIs) | कम से कम 35% |
क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) | अधिकतम 50% |
नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NIIs – जैसे HNI) | कम से कम 15% |
एंकर इन्वेस्टर्स | QIB कोटे का हिस्सा होते हैं (50% QIB आरक्षण में से) |
एम्प्लॉयी, शेयरहोल्डर, पॉलिसीहोल्डर आदि | कंपनी द्वारा तय सीमित प्रतिशत (कुल इश्यू का 10% से अधिक नहीं) |
एंकर निवेशकों के लिए भी प्रस्ताव
SEBI ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि 250 करोड़ रुपये से अधिक के आवंटन में एंकर निवेशकों की संख्या बढ़ाई जाए. इससे उन बड़े विदेशी निवेशकों को मदद मिलेगी जो कई फंड मैनेज करते हैं और अधिक हिस्सेदारी लेना चाहते हैं.
आम लोगों की नहीं बढ़ी भागीदारी
SEBI ने कहा है कि भले ही IPO का आकार बढ़ रहा है, लेकिन आम निवेशकों की भागीदारी में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है. बड़े IPO में खास तौर पर यह रुझान देखने को मिला है, जिससे SEBI अब स्ट्रक्चर में बदलाव कर मार्केट को बैलेंस करना चाहती है.
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